मिर्जापुर: सेवानिवृत्त पेंशनर को अब जीवित प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. बायोमेट्रिक अटेंडेंस होने से समस्या का निराकरण हो जाएगा. पेंशनर को स्थानीय कोषागार में जीवित प्रमाण पत्र जमा करने की बजाय केवल बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाना होगा. इससे पेंशनर को काफी राहत मिलेगी.
पेंशनर की समस्या को देखते हुए शासन द्वारा यह कदम उठाया गया है. मिर्जापुर में लगभग 15,000 पेंशनरों को लाभ मिलेगा. एक बार कोषागार में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाने के बाद देश के किसी भी कोने से अपना अंगूठा लगाकर पेंशनर पेंशन उठा सकता है अब कोषागार आने की जरूरत नहीं होगी.
- नौकरी से रिटायर होने के बाद व्यक्ति जीपीएफ पेंशन आदि बकाया के लिए अपने विभाग कोषागार का चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं.
- किसी तरह पेंशन भी शुरू हुई तो हर साल सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने जीवित होने का प्रमाण पद देना पड़ता है.
- इसी को देखते हुए डिजिटल इंडिया के युग में डिजिटल प्रमाण पत्र शासन से बनाने को कहा गया है.
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रति वर्ष जीवित प्रमाण पत्र जमा करना पड़ता था लेकिन अब इनको इस झंझट से मुक्ति मिलेगी.
- शासन द्वारा पेंशनर्स की बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाने का निर्णय लिया गया है.
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब कोषागार पहुंचकर बायोमेट्रिक मशीन पर एक बार अंगूठा लगाना होगा फिर पेंशन शुरू हो जाएगी.
- वह देश के किसी भी कोने में बैठ कर अपना पेंशन ले सकते हैं. कोषागार में आने की जरूरत नहीं है ना बैंक में चक्कर लगाने की जरूरत है.
- पहले जीवित प्रमाण पत्र रिटर्न में दिया जाता था अब बायोमेट्रिक होने से एक बार अंगूठा दे दिया जाता है तो आधार के द्वारा पूरा डिटेल आ जाता है और मान लिया जाता है की जीवित हैं उसी के आधार पर उनको पेंशन दिया जाता है.
कोषागार अपने जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए 50 से 60 किलोमीटर दूर से हम लोग आते थे. अब हम कहीं भी बैठकर जीवित प्रमाण पत्र ऑनलाइन माध्यम से दे देंगे और हम लोगों को वहीं से पेंशन मिलना शुरू हो जाएगा. कोषागार आने की जरूरत नहीं है यह बहुत अच्छा कारगर बायोमेट्रिक है समय बच रहा है और ऑफिसों का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ रहा है.
दिनेश कुमार दुबे , पेंशनर
जनपद में 15 हजार से ज्यादा पेंशनर हैं डिजिटल हो जाने से उनको बहुत सहूलियत मिल रही है बस उनको एक बार कोषागार आना होगा अपना बायोमेट्रिक या आई रेटिना सेट लगाना होगा. इसके बाद वह कहीं भी रहे अपना पेंशन लेते रहेंगे कोषागार आने की जरूरत नहीं है.
राधेश्याम कोषाधिकारी