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विंध्यवासिनी माताः चुनरी बनाकर करते हैं सजदा, लगन से आकार लेती इनकी श्रद्धा

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी को चढ़ने वाली चुनरी मुस्लिम परिवार के लोग बनाते है. सिर्फ इतना ही नहीं इसी से इन मुस्लिम परिवारों का जीवन यापन भी होता है.

मुस्लिम परिवार बनाता है चुनरी
मुस्लिम परिवार बनाता है चुनरी
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Published : Oct 22, 2020, 12:45 AM IST

मिर्जापुर: नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की आराधना भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं. नवरात्र में देवी मां को लाल चुनरी चढ़ाने का विशेष महत्व है. बात चाहे जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर की हो या फिर विंध्याचल धाम स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम की. इन सभी धार्मिक जगहों पर श्रद्धालु नारियल और चुनरी चढ़ाते हैं.

मुस्लिम परिवार बनाता है मां की चुनरी
धर्मनगरी प्रयागराज और काशी के मध्य में 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ विंध्याचल धाम है. यहां हर भक्त आकर चुनरी चढ़ाता है. हालांकि यह बहुत कम लोग जानते हैं कि मां को चढ़ाने वाली चुनरी की बुनाई मुस्लिम परिवार के लोग करते हैं. हिंदुओं की आस्था से जुड़ी इन चुनरियों को मुस्लिम परिवार बड़ी श्रद्धा के साथ बुनते हैं. साथ ही इसी से उनका घर चलता है. ये किसी एक परिवार की बात नहीं है. मिर्जापुर के कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं, जिनका जीवन यापन इसी पर निर्भर है.

आस्था के साथ परिवार करता है काम
गंगा नदी विंध्य पर्वत के संगम पर विराजमान मां विंध्यवासिनी के क्षेत्र में प्रेम सौहार्द की गंगा-जमुनी की धारा सदियों से बहती चली आ रही है. हिंदू और मुसलमान मिलकर नवरात्र मेले की तैयारी करते हैं. हिंदू दुकान को सजाने में लगता है तो मुसलमान मां को चढ़ाने वाली चुनरी को पूरी आस्था के साथ परिवार के साथ मिलकर बनाने में जुट जाता है. इससे मुस्लिम भाइयों को दो फायदे होते हैं. एक तो इस कारीगरी के चलते उनकी कमाई हो जाती है और दूसरा उनके हाथों से बनी चुनरी मां के चरणों में चढ़ाए जाने से उनको भी मां का आशीर्वाद अपने हिंदू भाइयों की बदौलत प्राप्त हो जाता है.

मां करती हैं भक्तों की मनोकामना पूरी
नवरात्र में माता विंध्यवासिनी धाम में लगने वाले नवरात्र मेले के शुरू होने से पहले ही मुस्लिम परिवार पूरी तन्मयता से चुनरी बनाने जुट जाता है. करीब एक माह पहले ही चुनरी को आकर्षक ढंग से काटने और सिलने में कारीगर पूरे परिवार के साथ लग जाता है. लाखों की तादाद में देश के कोने-कोने से भक्त जगत जननी मां विंध्यवासिनी के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. फूल-माला, नारियल और अन्य चढ़ावे के साथ ही चुनरी को पाकर मां भक्तों की मन मांगी मुराद पूरी करती हैं.

चुनरी बनाने में दिन-रात लगे रहते हैं भक्त
भक्तों की भारी तादाद को देखते हुए माता को पसंद चुनरी कम न पड़ जाए, इसके लिए मुस्लिम समुदाय दिन-रात चुनरी बनाने में लगा रहता है. मां विंध्यवासिनी को प्रेम और श्रद्धा के साथ अर्पित किए जाने वाली चुनरी को बनाने का काम कई पीढ़ियों से मुस्लिम समुदाय करता चला आ रहा है. वहीं जिस आस्था के साथ हिंदू जगत जननी को चुनरी चढ़ाते हैं, उसी भक्तिभाव से मुसलमान माता की चुनरी बनाते हैं. माता के पूजन में कोई भेदभाव नहीं रहता.

पिछले कई सालों से चुनरी बनाने का काम पूरा परिवार कर रहा है. यह काम करने में हम लोगों को अच्छा लगता है. मजहब एक है और हम इस काम को करके एकता का संदेश भी दे रहे हैं. यही हम लोगों की रोजी-रोटी है. चुनरी को सफाई से तैयार करके हम लोग मां विंध्यवासिनी धाम में लगने वाले दुकानदारों को देते हैं. दुकानदार श्रद्धालुओं को बेचते हैं. इससे हम दोनों का प्रेम भी बना रहता है और कमाई भी हो जा रही है. यहां पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.
यासीन अली, चुनरी बनाने वाले

मिर्जापुर: नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की आराधना भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं. नवरात्र में देवी मां को लाल चुनरी चढ़ाने का विशेष महत्व है. बात चाहे जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर की हो या फिर विंध्याचल धाम स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम की. इन सभी धार्मिक जगहों पर श्रद्धालु नारियल और चुनरी चढ़ाते हैं.

मुस्लिम परिवार बनाता है मां की चुनरी
धर्मनगरी प्रयागराज और काशी के मध्य में 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ विंध्याचल धाम है. यहां हर भक्त आकर चुनरी चढ़ाता है. हालांकि यह बहुत कम लोग जानते हैं कि मां को चढ़ाने वाली चुनरी की बुनाई मुस्लिम परिवार के लोग करते हैं. हिंदुओं की आस्था से जुड़ी इन चुनरियों को मुस्लिम परिवार बड़ी श्रद्धा के साथ बुनते हैं. साथ ही इसी से उनका घर चलता है. ये किसी एक परिवार की बात नहीं है. मिर्जापुर के कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं, जिनका जीवन यापन इसी पर निर्भर है.

आस्था के साथ परिवार करता है काम
गंगा नदी विंध्य पर्वत के संगम पर विराजमान मां विंध्यवासिनी के क्षेत्र में प्रेम सौहार्द की गंगा-जमुनी की धारा सदियों से बहती चली आ रही है. हिंदू और मुसलमान मिलकर नवरात्र मेले की तैयारी करते हैं. हिंदू दुकान को सजाने में लगता है तो मुसलमान मां को चढ़ाने वाली चुनरी को पूरी आस्था के साथ परिवार के साथ मिलकर बनाने में जुट जाता है. इससे मुस्लिम भाइयों को दो फायदे होते हैं. एक तो इस कारीगरी के चलते उनकी कमाई हो जाती है और दूसरा उनके हाथों से बनी चुनरी मां के चरणों में चढ़ाए जाने से उनको भी मां का आशीर्वाद अपने हिंदू भाइयों की बदौलत प्राप्त हो जाता है.

मां करती हैं भक्तों की मनोकामना पूरी
नवरात्र में माता विंध्यवासिनी धाम में लगने वाले नवरात्र मेले के शुरू होने से पहले ही मुस्लिम परिवार पूरी तन्मयता से चुनरी बनाने जुट जाता है. करीब एक माह पहले ही चुनरी को आकर्षक ढंग से काटने और सिलने में कारीगर पूरे परिवार के साथ लग जाता है. लाखों की तादाद में देश के कोने-कोने से भक्त जगत जननी मां विंध्यवासिनी के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. फूल-माला, नारियल और अन्य चढ़ावे के साथ ही चुनरी को पाकर मां भक्तों की मन मांगी मुराद पूरी करती हैं.

चुनरी बनाने में दिन-रात लगे रहते हैं भक्त
भक्तों की भारी तादाद को देखते हुए माता को पसंद चुनरी कम न पड़ जाए, इसके लिए मुस्लिम समुदाय दिन-रात चुनरी बनाने में लगा रहता है. मां विंध्यवासिनी को प्रेम और श्रद्धा के साथ अर्पित किए जाने वाली चुनरी को बनाने का काम कई पीढ़ियों से मुस्लिम समुदाय करता चला आ रहा है. वहीं जिस आस्था के साथ हिंदू जगत जननी को चुनरी चढ़ाते हैं, उसी भक्तिभाव से मुसलमान माता की चुनरी बनाते हैं. माता के पूजन में कोई भेदभाव नहीं रहता.

पिछले कई सालों से चुनरी बनाने का काम पूरा परिवार कर रहा है. यह काम करने में हम लोगों को अच्छा लगता है. मजहब एक है और हम इस काम को करके एकता का संदेश भी दे रहे हैं. यही हम लोगों की रोजी-रोटी है. चुनरी को सफाई से तैयार करके हम लोग मां विंध्यवासिनी धाम में लगने वाले दुकानदारों को देते हैं. दुकानदार श्रद्धालुओं को बेचते हैं. इससे हम दोनों का प्रेम भी बना रहता है और कमाई भी हो जा रही है. यहां पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.
यासीन अली, चुनरी बनाने वाले

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