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'मिर्जापुर' वेब सीरीज टीम के सदस्यों को हाईकोर्ट से मिली राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमेजन प्राइम वीडियो की 'मिर्जापुर' वेब सीरीज के निर्माता अभिनेता फरहान अख्तर व ऋतेश सिधवानी के खिलाफ मिर्जापुर की कोतवाली देहात में दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 29, 2021, 8:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमेजन प्राइम वीडियो की 'मिर्जापुर' वेब सीरीज के निर्माता अभिनेता फरहान अख्तर व ऋतेश सिधवानी के खिलाफ मिर्जापुर की कोतवाली देहात में दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार व शिकायतकर्ता से याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने याचिका को मार्च 2021 के प्रथम हफ्ते में पेश करने का निर्देश देते हुए कहा है कि अगली सुनवाई की तिथि या पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने, जो जल्दी हो. याचियों के उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक रहेगी. कोर्ट ने याचियों को विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की खंडपीठ ने दिया है. याचियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में वेब सीरीज को धार्मिक, सामाजिक व क्षेत्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली, समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने व अवैध संबंध को बढ़ावा देने वाली बताते हुए कार्रवाई की मांग की गई है. याची का कहना था कि सीरीज काल्पनिक है. डिसक्लेमर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. कोर्ट ने प्रकरण विचारणीय माना और विपक्षियों से जवाब मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमेजन प्राइम वीडियो की 'मिर्जापुर' वेब सीरीज के निर्माता अभिनेता फरहान अख्तर व ऋतेश सिधवानी के खिलाफ मिर्जापुर की कोतवाली देहात में दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार व शिकायतकर्ता से याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने याचिका को मार्च 2021 के प्रथम हफ्ते में पेश करने का निर्देश देते हुए कहा है कि अगली सुनवाई की तिथि या पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने, जो जल्दी हो. याचियों के उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक रहेगी. कोर्ट ने याचियों को विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की खंडपीठ ने दिया है. याचियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में वेब सीरीज को धार्मिक, सामाजिक व क्षेत्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली, समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने व अवैध संबंध को बढ़ावा देने वाली बताते हुए कार्रवाई की मांग की गई है. याची का कहना था कि सीरीज काल्पनिक है. डिसक्लेमर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. कोर्ट ने प्रकरण विचारणीय माना और विपक्षियों से जवाब मांगा है.

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