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शहीद के परिजन बोले, शहादत के बाद सम्मान मिलता है, जीवित रहने पर नहीं

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले रवि सिंह बारामूला में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए. गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. इस बीच शहीद के चाचा बृजेश सिंह ने कहा कि जवानों को जिंदा रहते हुए भी वह सम्मान देना चाहिए, जो शहीद हो जाने के बाद मिलता है.

last rituals of martyr ravi singh
शहीद रवि सिंह के चाचा.
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Published : Aug 20, 2020, 12:10 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के जवान रवि सिंह शहीद हो गए. गुरुवार को 10 बजे शहीद का उनके पैतृक गांव गौरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसे लेकर जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने अंतिम संस्कार के लिए स्थान का जायजा लिया. जिलाधिकारी सुशील कुमार ने कहा कि शासन से शहीद के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी. साथ ही एक परिवार को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा शहीद रवि सिंह के नाम से एक स्कूल और सड़क का नाम रखा जाएगा.

बेटे की शहादत पर छलका परिजनों का दर्द.

'भतीजे को शहीद होने का सौभाग्य मिला'
शहीद के चाचा बृजेश सिंह 20 साल से सेना में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह सौभाग्य मुझे नहीं प्राप्त हुआ, जो मेरे भतीजे को हुआ है. इस बीच मुझे पीड़ा भी है कि भैया कैंसर से पीड़ित हैं और सारा इलाज रवि सिंह ही उठाते थे. अब भैया और भाभी के पास कौन है. मुझे गर्व भी है कि मेरे भतीजे ने इस सौभाग्य को प्राप्त किया है.

शहीद के चाचा ने लगाया आरोप
शहीद के चाचा बृजेश सिंह का आरोप है कि जब कोई सैनिक शहीद हो जाता है, तब सरकार और जिला प्रशासन से लेकर हर कोई शहीद जवान के घर पहुंचकर सम्मान देने में जुट जाते हैं, मगर जिंदा रहते सैनिकों को ना तो सरकार से और ना ही समाज से कुछ मिलता है. उन्होंने बताया कि हमारे माता-पिता की भी कोई सुध लेने वाला गांव में नहीं पहुंचता है, जब हम बॉर्डर पर रहते हैं. सरकार को कम से कम जिंदा रहते हुए भी हम लोगों को सम्मान देना चाहिए.

'शहीद होने से पहले भी मिले सम्मान'
शहीद के चाचा ने बताया कि एक फाइल भी लेकर हम कहीं जाते हैं तो काम नहीं होता है. बोला जाता है कि यह फौजी है, मगर अब शहीद होने के बाद यहां पर लोगों की भीड़ लग रही है और सहायता की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से चाहेंगे कि हम जवानों को जिंदा रहते हुए भी वह सम्मान देना चाहिए, जो शहीद हो जाने के बाद मिलता है.

17 अगस्त को शहीद हुए थे रवि सिंह
दरअसल, जम्मू कश्मीर के बारामूला में 17 अगस्त को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सदर तहसील के जिगना क्षेत्र के गौरा गांव में रवि सिंह शहीद हो गए थे. वे राष्ट्रीय राइफल में जबलपुर में 2013 में भर्ती हुए थे. अब जिला प्रशासन अंतिम संस्कार के लिए सुबह के वक्त को देखते हुए तैयारियां करने में जुट गया है.

शहीद के नाम पर होगा सड़क और स्कूल का नाम
जिलाधिकारी सुशील कुमार ने बुधवार को गांव में पहुंचकर शहीद के अंतिम संस्कार और अंतिम दर्शन को लेकर जगह का निरीक्षण किया. इसके अलावा जिलाधिकारी ने शहीद के माता-पिता और पत्नी से मिलकर बात की. उन्होंने सरकार से मिलने वाली 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, एक सरकारी नौकरी के साथ शहीद रवि प्रकाश के नाम से सड़क और स्कूल का नाम करने की जानकारी परिजनों को दी. इसके अलावा शहीद रवि प्रकाश का गांव में स्टेच्यू भी बनाया जाएगा और पार्क का निर्माण भी कराया जाएगा.

'मेरा बेटा शेर है और शेर रहेगा'
शहीद के माता पिता का कहना है कि मुझे गर्व है कि मेरे लाल ने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए. मेरा बेटा शेर है, और शेर रहेगा. कोई और लाल होता तो उसे भी हम भारत माता की सेवा के लिए भेज देते. बचपन से ही वह कहा करता था कि हम फौज में जाएंगे, देश का सेवा करेंगे. आज वह देश की सेवा करके तिरंगे में लौट रहा है.

अधूरा रह गया सपना
पिता संजय सिंह ने बताया कि रवि ने कहा था कि पापा दीपावली में आएंगे और आपके साथ दिया जलाएंगे. 2 महीने की छुट्टी लेकर आएंगे. वहीं मां रेखा से रवि ने कहा था कि जब घर आएंगे तो छोटी बहन की शादी के लिए कोई अच्छा घर देखेंगे. वहीं पत्नी से रवि ने कहा था कि जल्दी घर आएंगे, मगर यह किसी को नहीं पता था कि वह तिरंगा में आएगा.

ये भी पढ़ें: मिर्जापुर: बारामूला में शहीद रवि सिंह के पिता को बेटे पर गर्व

मिर्जापुर: कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के जवान रवि सिंह शहीद हो गए. गुरुवार को 10 बजे शहीद का उनके पैतृक गांव गौरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसे लेकर जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने अंतिम संस्कार के लिए स्थान का जायजा लिया. जिलाधिकारी सुशील कुमार ने कहा कि शासन से शहीद के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी. साथ ही एक परिवार को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा शहीद रवि सिंह के नाम से एक स्कूल और सड़क का नाम रखा जाएगा.

बेटे की शहादत पर छलका परिजनों का दर्द.

'भतीजे को शहीद होने का सौभाग्य मिला'
शहीद के चाचा बृजेश सिंह 20 साल से सेना में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह सौभाग्य मुझे नहीं प्राप्त हुआ, जो मेरे भतीजे को हुआ है. इस बीच मुझे पीड़ा भी है कि भैया कैंसर से पीड़ित हैं और सारा इलाज रवि सिंह ही उठाते थे. अब भैया और भाभी के पास कौन है. मुझे गर्व भी है कि मेरे भतीजे ने इस सौभाग्य को प्राप्त किया है.

शहीद के चाचा ने लगाया आरोप
शहीद के चाचा बृजेश सिंह का आरोप है कि जब कोई सैनिक शहीद हो जाता है, तब सरकार और जिला प्रशासन से लेकर हर कोई शहीद जवान के घर पहुंचकर सम्मान देने में जुट जाते हैं, मगर जिंदा रहते सैनिकों को ना तो सरकार से और ना ही समाज से कुछ मिलता है. उन्होंने बताया कि हमारे माता-पिता की भी कोई सुध लेने वाला गांव में नहीं पहुंचता है, जब हम बॉर्डर पर रहते हैं. सरकार को कम से कम जिंदा रहते हुए भी हम लोगों को सम्मान देना चाहिए.

'शहीद होने से पहले भी मिले सम्मान'
शहीद के चाचा ने बताया कि एक फाइल भी लेकर हम कहीं जाते हैं तो काम नहीं होता है. बोला जाता है कि यह फौजी है, मगर अब शहीद होने के बाद यहां पर लोगों की भीड़ लग रही है और सहायता की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से चाहेंगे कि हम जवानों को जिंदा रहते हुए भी वह सम्मान देना चाहिए, जो शहीद हो जाने के बाद मिलता है.

17 अगस्त को शहीद हुए थे रवि सिंह
दरअसल, जम्मू कश्मीर के बारामूला में 17 अगस्त को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सदर तहसील के जिगना क्षेत्र के गौरा गांव में रवि सिंह शहीद हो गए थे. वे राष्ट्रीय राइफल में जबलपुर में 2013 में भर्ती हुए थे. अब जिला प्रशासन अंतिम संस्कार के लिए सुबह के वक्त को देखते हुए तैयारियां करने में जुट गया है.

शहीद के नाम पर होगा सड़क और स्कूल का नाम
जिलाधिकारी सुशील कुमार ने बुधवार को गांव में पहुंचकर शहीद के अंतिम संस्कार और अंतिम दर्शन को लेकर जगह का निरीक्षण किया. इसके अलावा जिलाधिकारी ने शहीद के माता-पिता और पत्नी से मिलकर बात की. उन्होंने सरकार से मिलने वाली 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, एक सरकारी नौकरी के साथ शहीद रवि प्रकाश के नाम से सड़क और स्कूल का नाम करने की जानकारी परिजनों को दी. इसके अलावा शहीद रवि प्रकाश का गांव में स्टेच्यू भी बनाया जाएगा और पार्क का निर्माण भी कराया जाएगा.

'मेरा बेटा शेर है और शेर रहेगा'
शहीद के माता पिता का कहना है कि मुझे गर्व है कि मेरे लाल ने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए. मेरा बेटा शेर है, और शेर रहेगा. कोई और लाल होता तो उसे भी हम भारत माता की सेवा के लिए भेज देते. बचपन से ही वह कहा करता था कि हम फौज में जाएंगे, देश का सेवा करेंगे. आज वह देश की सेवा करके तिरंगे में लौट रहा है.

अधूरा रह गया सपना
पिता संजय सिंह ने बताया कि रवि ने कहा था कि पापा दीपावली में आएंगे और आपके साथ दिया जलाएंगे. 2 महीने की छुट्टी लेकर आएंगे. वहीं मां रेखा से रवि ने कहा था कि जब घर आएंगे तो छोटी बहन की शादी के लिए कोई अच्छा घर देखेंगे. वहीं पत्नी से रवि ने कहा था कि जल्दी घर आएंगे, मगर यह किसी को नहीं पता था कि वह तिरंगा में आएगा.

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Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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