मिर्जापुर : जिले में अब उद्यमियों को अपना उद्योग शुरू करने के लिए विभिन्न विभागों का चक्कर नहीं करना पड़ेगा. महज 72 घंटे के अंदर उद्योग की स्थापना की मंजूरी मिल जाएगी. उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एमएसएमई एक्ट 2020 लागू की है. इसके तहत उद्यमी 1000 दिन में अपनी औपचारिकता पूरी कर लाइसेंस या क्लीयरेंस ले सकता है. उसके पहले ही आवेदन करते ही उद्योग को मंजूरी दे दी जाएगी.
29 विभागों का नहीं लगाना पड़ेगा चक्कर
उद्योग स्थापित करने में आ रही परेशानियां को देखते हुए सरकार ने एमएसएमई एक्ट 2020 लागू की है. इसके तहत अब आवेदन करने के महज 72 घंटे में ही सभी विभागों से स्वतः धारा 80, एनओसी विभाग, प्रदूषण विभाग, श्रम विभाग से रजिस्ट्रेशन, बिजली विभाग का कनेक्शन यह सभी 72 घंटे में स्वीकृति उद्यमियों को चलाने के लिए यहां से मिल जाएगा. विभागों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. इसके बाद उद्यमी उद्योग चलाने के बीच 1000 दिन के अंदर औपचारिकता पूरी कर लाइसेंस या क्लीयरेंस ले सकता है. एमएसएमई एक्ट के लाभ नई यूनिट स्थापित करने की चाह रखने वाले उद्यमी उठा सकते हैं. उद्यमी को एमएसएमई यूनिट स्थापित करने के लिए 29 विभागों से अलग-अलग क्लीयरेंस लेने की जरूरत पड़ती थी. मगर अब इस झंझट से उद्यमियों को मुक्त रखा गया है. यूनिट स्थापित करने की कवायद शुरू करने के बाद इनके पास एक हजार दिन रहेगा. जिसके भीतर वह इन विभागों से क्लीयरेंस ले पाएंगे.
आवेदन के समय देनी होगी उद्योग की जानकारी
प्रदेश सरकार ने उद्योग स्थापना के लिए सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग अधिनियम 2020 को लागू की है. इस प्रक्रिया के मुताबिक एमएसएमई से जुड़े नए उद्योग की स्थापना विस्तारीकरण और विविधीकरण के आवेदन किए जा सकेंगे. उद्यमी अपना आवेदन पत्र के साथ घोषणा पत्र आवश्यक प्रपत्र जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र में जमा करेगा. आवेदन का पूरा ब्यौरा एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा. जो बाद में डीएम के अध्यक्षता में जिला स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति आवेदन पत्रों पर विचार कर अनुमति देगी.
उद्योग लगाना हुआ आसान
उपायुक्त उद्योग विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि एमएसएमई यूनिट को स्थापित करने के लिए आवेदन मिलने के 72 घंटे के अंदर नोडल एजेंसी की तरफ से उन्हें स्वीकृति पत्र उद्यमी यूनिट स्थापित करने के लिए मिल जाएंगे. अनुमति मिलने के बाद उद्यमी के पास 1000 दिन का समय होगा. इसके अंदर उसे अन्य आवश्यक क्लीयरेंस विभागों से लेने पड़ेंगे. प्रदेश सरकार ने जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है या जिनको प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खतरनाक श्रेणी में रखा है., उसे इस एक्ट का लाभ नहीं मिल पाएगा.