ETV Bharat / state

मिर्जापुर में गंगा खतरे के निशान के पार, घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं लोग - गंगा का जलस्तर

यूपी के मिर्जापुर में इन दिनों बाढ़ के कारण हालात खराब हैं. मंगलवार की सुबह जनपद में गंगा नदी ने खतरे के निशान 77.724 सेंटीमीटर को पार कर लिया है. गंगा का जलस्तर सुबह 10:00 बजे 77.890 पहुंच गया था. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को सतर्क करते हुए नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सजग रहने को कहा है.

सब कुछ हो गया जलमग्न.
सब कुछ हो गया जलमग्न.
author img

By

Published : Aug 10, 2021, 4:46 PM IST

मिर्जापुर: जिले में इन दिनों ग्रामीणों को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक ओर जहां गंगा में आई बाढ़ से ग्रामीण त्रस्त हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर रहा. ग्रामीणों का कहना है कि मदद के नाम पर अगर उन्हें कुछ मिला है तो महज एक नाव, इसके अलावा राहत सामग्री के नाम पर यहां कुछ नहीं पहुंचाया जा रहा है. दरअसल, मां गंगा पिछले पांच दिनों से मिर्जापुर में रौद्र रूप से बह रही हैं. गंगा का जलस्तर मंगलवार को खतरे के निशान को भी पार कर गया. अभी भी गंगा के जलस्तर में 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि जारी है. जलस्तर बढ़ने से सदर और चुनार तहसील के सैकड़ों गांव पानी की चपेट में है. गंगा के किनारे से लेकर गांव तक लगाए गए सभी फसलें जलमग्न हो गई हैं, लोग भी अब यहां से पलायन कर रहे हैं.

ये है स्थिति
मंगलवार की सुबह जनपद में गंगा नदी ने खतरे के निशान 77.724 सेंटीमीटर को पार कर लिया है. गंगा का जलस्तर सुबह 10:00 बजे 77.890 पहुंच गया था. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को सतर्क करते हुए नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सजग रहने को कहा है. बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए जनपद में 57 नावें लगाई गई हैं. साथ ही जो गांव बाढ़ की चपेट में हैं, वहां के लोगों को रात में छत पर रहने को कहा गया है. अधिकारियों ने किसी अनहोनी की आशंका पर जिला प्रशासन को तत्काल सूचना देने के लिए बोला गया है.


300 गांव प्रभावित
जिले में 6 ब्लॉकों के लगभग 300 गांव प्रभावित हुए हैं. मंझवा, छानबे, सीखड़, कोन, नरायनपुर के 152 गांव में पानी घुस गया है. बाढ़ के चपेट में आए अकोढ़ी, बबूरा गांव के लोगों के पास जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां के लोगों ने अपनी पीड़ा बताई. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 5 दिनों से गांव पानी से डूबा हुआ है, आवागमन पूरी तरह से बाधित है. घरों के साथ ही पूरी फसल जलमग्न हो गई है और जिला प्रशासन ने एक नाव देकर कोटा पूरा कर लिया है. राहत सामग्री के नाम पर एक भी चीज उन तक नहीं पहुंची है. जिन लोगों के घर डूब गए हैं, वह लोग भी अब यहां से पलायन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि एक दिन एसडीएम आए भी थे, लेकिन उस पार से ही वापस चले गए थे. उसके बाद से अब तक कोई हालचाल लेने भी नहीं पहुंचा है.

लोगों की जान सांसत में.
लोगों की जान सांसत में.


क्या कहते हैं अधिकारी
इस बारे में अपर जिला अधिकारी यूपी सिंह से बात की गई. उनके मुताबिक, गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे बसी दो तहसीलों चुनार और सदर के 493 गांव प्रभावित होते हैं. बाढ़ आने से यह सभी गांव जलमग्न हो जाते हैं. 2019 के रिकार्ड के अनुसार, उस साल 77.980 मीटर पानी पहुंच गया था जबकि खतरे का निशान 77.724 मीटर है. जब गंगा का पानी इस लेबल तक पहुंचता है तब 493 गांव प्रभावित होते हैं. इन गांव में सबसे पहले फसलें डूबती हैं इसके बाद गांव में पानी घुसता है. तब कहीं जाकर लोगों को विस्थापित करने की जरूरत पड़ती है.

घरों में घुसा पानी.
घरों में घुसा पानी.
इसे भी पढ़ें- बाढ़-बारिश का बढ़ेगा कहर, पिघलेंगे ग्लेशियर, समुद्री उफान से खतरे में दुनिया : IPCC रिपोर्ट
ग्रामीणों को मिली महज एक नाव.
ग्रामीणों को मिली महज एक नाव.


वहीं जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने गंगा के खतरे के निशान को पार करने के बाद सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त कर दी है. उन्होंने कहा है कि बाढ़ पीड़ितों को युद्ध स्तर पर मदद पहुंचाई जाए. जिला अधिकारी ने बताया है कि 37 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं. सभी को अलर्ट कर दिया गया है और क्षेत्रों में रहने को कहा गया है. ग्रामीणों को आने-जाने के लिए हर जगह नाव लगा दी गईं हैं.

सब कुछ हो गया जलमग्न.
सब कुछ हो गया जलमग्न.

मिर्जापुर: जिले में इन दिनों ग्रामीणों को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक ओर जहां गंगा में आई बाढ़ से ग्रामीण त्रस्त हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर रहा. ग्रामीणों का कहना है कि मदद के नाम पर अगर उन्हें कुछ मिला है तो महज एक नाव, इसके अलावा राहत सामग्री के नाम पर यहां कुछ नहीं पहुंचाया जा रहा है. दरअसल, मां गंगा पिछले पांच दिनों से मिर्जापुर में रौद्र रूप से बह रही हैं. गंगा का जलस्तर मंगलवार को खतरे के निशान को भी पार कर गया. अभी भी गंगा के जलस्तर में 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि जारी है. जलस्तर बढ़ने से सदर और चुनार तहसील के सैकड़ों गांव पानी की चपेट में है. गंगा के किनारे से लेकर गांव तक लगाए गए सभी फसलें जलमग्न हो गई हैं, लोग भी अब यहां से पलायन कर रहे हैं.

ये है स्थिति
मंगलवार की सुबह जनपद में गंगा नदी ने खतरे के निशान 77.724 सेंटीमीटर को पार कर लिया है. गंगा का जलस्तर सुबह 10:00 बजे 77.890 पहुंच गया था. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को सतर्क करते हुए नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सजग रहने को कहा है. बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए जनपद में 57 नावें लगाई गई हैं. साथ ही जो गांव बाढ़ की चपेट में हैं, वहां के लोगों को रात में छत पर रहने को कहा गया है. अधिकारियों ने किसी अनहोनी की आशंका पर जिला प्रशासन को तत्काल सूचना देने के लिए बोला गया है.


300 गांव प्रभावित
जिले में 6 ब्लॉकों के लगभग 300 गांव प्रभावित हुए हैं. मंझवा, छानबे, सीखड़, कोन, नरायनपुर के 152 गांव में पानी घुस गया है. बाढ़ के चपेट में आए अकोढ़ी, बबूरा गांव के लोगों के पास जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां के लोगों ने अपनी पीड़ा बताई. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 5 दिनों से गांव पानी से डूबा हुआ है, आवागमन पूरी तरह से बाधित है. घरों के साथ ही पूरी फसल जलमग्न हो गई है और जिला प्रशासन ने एक नाव देकर कोटा पूरा कर लिया है. राहत सामग्री के नाम पर एक भी चीज उन तक नहीं पहुंची है. जिन लोगों के घर डूब गए हैं, वह लोग भी अब यहां से पलायन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि एक दिन एसडीएम आए भी थे, लेकिन उस पार से ही वापस चले गए थे. उसके बाद से अब तक कोई हालचाल लेने भी नहीं पहुंचा है.

लोगों की जान सांसत में.
लोगों की जान सांसत में.


क्या कहते हैं अधिकारी
इस बारे में अपर जिला अधिकारी यूपी सिंह से बात की गई. उनके मुताबिक, गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे बसी दो तहसीलों चुनार और सदर के 493 गांव प्रभावित होते हैं. बाढ़ आने से यह सभी गांव जलमग्न हो जाते हैं. 2019 के रिकार्ड के अनुसार, उस साल 77.980 मीटर पानी पहुंच गया था जबकि खतरे का निशान 77.724 मीटर है. जब गंगा का पानी इस लेबल तक पहुंचता है तब 493 गांव प्रभावित होते हैं. इन गांव में सबसे पहले फसलें डूबती हैं इसके बाद गांव में पानी घुसता है. तब कहीं जाकर लोगों को विस्थापित करने की जरूरत पड़ती है.

घरों में घुसा पानी.
घरों में घुसा पानी.
इसे भी पढ़ें- बाढ़-बारिश का बढ़ेगा कहर, पिघलेंगे ग्लेशियर, समुद्री उफान से खतरे में दुनिया : IPCC रिपोर्ट
ग्रामीणों को मिली महज एक नाव.
ग्रामीणों को मिली महज एक नाव.


वहीं जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने गंगा के खतरे के निशान को पार करने के बाद सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त कर दी है. उन्होंने कहा है कि बाढ़ पीड़ितों को युद्ध स्तर पर मदद पहुंचाई जाए. जिला अधिकारी ने बताया है कि 37 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं. सभी को अलर्ट कर दिया गया है और क्षेत्रों में रहने को कहा गया है. ग्रामीणों को आने-जाने के लिए हर जगह नाव लगा दी गईं हैं.

सब कुछ हो गया जलमग्न.
सब कुछ हो गया जलमग्न.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.