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मिर्जापुर: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथ से बने स्कूल ड्रेस को डीएम ने बच्चों को बांटा

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में ग्रामीण महिलाओं का हुनर निखर कर सामने आया है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने सिलाई कला केन्द्र के माध्यम से सिलाई सीखकर स्कूली बच्चों के ड्रेसों को सिलती है. जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं.

बच्चों को वितरण किया गया ड्रेस
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Published : Sep 7, 2019, 7:01 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अब घर में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. मिर्जापुर के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं एक कदम आगे बढ़ते हुए परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ड्रेस की सिलाई कर रही हैं. मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन की पहल पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बच्चों का नाप लेकर फिट ड्रेस बनाकर बच्चों तक पहुंचा रही हैं.

डीएम ने वितरण किया ड्रेस.

समूह की महिलाओं के हाथों से बने ड्रेस को जिलाधिकारी ने अपने गोद लिए गांव के स्कूल पर वितरित किए. इस सत्र में 64000 यूनिफॉर्म ग्रामीण महिलाओं को बनाने के लिए दिया गया है. इससे गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और साथ ही बच्चों को ड्रेस भी मिल जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: योगी के मंत्री श्रीकांत शर्मा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठा मिर्जापुर पत्रकार का मुद्दा

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को मिला रोजगार
प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष दो जोड़ी ड्रेस दिया जाता है. इसके लिए सरकार ने प्रति जोड़ी 200 रुपये खर्च करती है. इसके बावजूद भी एसएमसी और संबंधित शिक्षक बच्चों को सही समय और सही नाप का ड्रेस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.

इसको देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बच्चों का ड्रेस सिलवाने का बीड़ा उठाया है. समूह की महिलाओं ने बच्चों का नाप लेकर ड्रेस सिलकर स्कूल पढ़ने वाले बच्चों तक पहुंचा रही हैं.

सिलाई कला केंद्र के माध्यम से महिलाओं को दिया जाता है प्रशिक्षण

मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि महिलाओं के समूह को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. यह प्रशिक्षण एक सिलाई कला केन्द्र के माध्यम से दिया जाता है. उनको रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा विभाग ने जो नि:शुल्क यूनिफॉर्म दी जाती है , उसे कन्वर्जन करने का प्रयास किया है. विद्यालयों में जो ड्रेस दिया जा रहा है, उसे गांव की स्वयं सहायता समूह से संबंधित महिलाएं तैयार कर रही हैं. वह संबंधित स्कूल के मैनेजमेंट से संपर्क कर जो उनके नियम है, उसके अनुसार कपड़ा लेकर सिलाई कर सप्लाई करती हैं.

पिछले वर्ष हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 200 स्कूलों में यह काम करवाया था. इस वर्ष दायरा बढ़ाकर लगभग 64000 यूनिफॉर्म मतलब 32000 बच्चों को छह ब्लॉक के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिलाई कर रही है.

-प्रियंका निरंजन, मुख्य विकास अधिकारी

हुनर हो तो कमाना हो आसान
ड्रेस वितरण करने वाली निर्मला देवी का कहना है कि हमें स्कूल से सिलने के लिए 110 रुपये एक कपड़े की सिलाई मिलती है. हमारे समूह में 15 से 20 महिलाएं काम कर रही हैं. हमने 12 स्कूलों का नाप लिया है. हमलोग तीन चार कैटेगरी में नाप लेते हैं इसके बाद कपड़ा ले जाकर स्कूल से सिलाई करते हैं. इसमें स्कूल के बच्चों को पक्का सिलाई का कपड़ा मिल जा रहा है.

मिर्जापुर: ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अब घर में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. मिर्जापुर के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं एक कदम आगे बढ़ते हुए परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ड्रेस की सिलाई कर रही हैं. मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन की पहल पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बच्चों का नाप लेकर फिट ड्रेस बनाकर बच्चों तक पहुंचा रही हैं.

डीएम ने वितरण किया ड्रेस.

समूह की महिलाओं के हाथों से बने ड्रेस को जिलाधिकारी ने अपने गोद लिए गांव के स्कूल पर वितरित किए. इस सत्र में 64000 यूनिफॉर्म ग्रामीण महिलाओं को बनाने के लिए दिया गया है. इससे गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और साथ ही बच्चों को ड्रेस भी मिल जा रहा है.

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को मिला रोजगार
प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष दो जोड़ी ड्रेस दिया जाता है. इसके लिए सरकार ने प्रति जोड़ी 200 रुपये खर्च करती है. इसके बावजूद भी एसएमसी और संबंधित शिक्षक बच्चों को सही समय और सही नाप का ड्रेस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.

इसको देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बच्चों का ड्रेस सिलवाने का बीड़ा उठाया है. समूह की महिलाओं ने बच्चों का नाप लेकर ड्रेस सिलकर स्कूल पढ़ने वाले बच्चों तक पहुंचा रही हैं.

सिलाई कला केंद्र के माध्यम से महिलाओं को दिया जाता है प्रशिक्षण

मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि महिलाओं के समूह को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. यह प्रशिक्षण एक सिलाई कला केन्द्र के माध्यम से दिया जाता है. उनको रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा विभाग ने जो नि:शुल्क यूनिफॉर्म दी जाती है , उसे कन्वर्जन करने का प्रयास किया है. विद्यालयों में जो ड्रेस दिया जा रहा है, उसे गांव की स्वयं सहायता समूह से संबंधित महिलाएं तैयार कर रही हैं. वह संबंधित स्कूल के मैनेजमेंट से संपर्क कर जो उनके नियम है, उसके अनुसार कपड़ा लेकर सिलाई कर सप्लाई करती हैं.

पिछले वर्ष हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 200 स्कूलों में यह काम करवाया था. इस वर्ष दायरा बढ़ाकर लगभग 64000 यूनिफॉर्म मतलब 32000 बच्चों को छह ब्लॉक के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिलाई कर रही है.

-प्रियंका निरंजन, मुख्य विकास अधिकारी

हुनर हो तो कमाना हो आसान
ड्रेस वितरण करने वाली निर्मला देवी का कहना है कि हमें स्कूल से सिलने के लिए 110 रुपये एक कपड़े की सिलाई मिलती है. हमारे समूह में 15 से 20 महिलाएं काम कर रही हैं. हमने 12 स्कूलों का नाप लिया है. हमलोग तीन चार कैटेगरी में नाप लेते हैं इसके बाद कपड़ा ले जाकर स्कूल से सिलाई करते हैं. इसमें स्कूल के बच्चों को पक्का सिलाई का कपड़ा मिल जा रहा है.

Intro:ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अब घर में ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। मिर्जापुर के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं एक कदम आगे बढ़ते हुए परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ड्रेस सील कर दे रही हैं मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन की पहल पर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बच्चों का नाप लेकर फिट ड्रेस बनाकर बच्चों तक पहुंचा रही हैं समूह की महिलाओं के हाथों से बने ड्रेस को जिलाधिकारी ने अपने गोद लिए गांव के स्कूल पर वितरण किए इस सत्र में 64000 यूनिफॉर्म ग्रामीण महिलाओं को बनाने के लिए दिया गया है इससे गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है साथ ही बच्चों को ड्रेस भी मिल जा रही है।


Body:प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष 2 जोड़ी ड्रेस दिया जाता है इसके लिए सरकार द्वारा प्रति जोड़ी 200 खर्च भी किया जाता है वजूद इसके एसएमसी एवं संबंधित शिक्षकों द्वारा बच्चों को सही समय और सही नाप का ड्रेस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं इसको देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बच्चों का ड्रेस सिलवाने का बीड़ा उठाया है समूह की महिलाओं द्वारा बच्चों का नाप लेकर ड्रेस सीलकर स्कूल पढ़ने वाले बच्चों तक पहुंचा रही हैं। वही मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि महिलाओं के समूह को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है उसी में एक सिलाई कला है बड़ी संख्या में सिलाई प्रशिक्षण कराया गया है उनको रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा विभाग में जो निशुल्क यूनिफॉर्म दी जाती है हमने उसे कन्वर्जन करने का प्रयास किया है कि विद्यालय में जो ड्रेस दिया जा रहा है हमारे गांव की जो महिलाएं समूह सहायता समूह संबंधित काम कर रही हैं वह संबंधित स्कूल के मैनेजमेंट से संपर्क कर जो उनके नियम है उनके नियमानुसार कपड़ा लेकर सिलाई कर सप्लाई कर सकती हैं। पिछले वर्ष हमने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 200 स्कूलों में यह काम करवाया था इस वर्ष दायरा बढ़ाकर हम लगभग 64000 यूनिफार्म मतलब 32000 बच्चों को 6 ब्लॉक के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं द्वारा सिलाई करा रही हूं यह ब्लॉक हैं सिटी, पटेहरा ,राजगढ़, हलिया,लालगंज,छानबे कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिलाई कर अपने संबंधित स्कूल में गुणवत्ता युक्त ड्रेस वितरण करें रही हैं। इससे इनको अपने गांव में ही रोजगार भी मिल जा रहा है साथ ही बच्चों को फिटिंग की ड्रेस भी मिल जा रही है यह महिलाओं के लिए एक वरदान साबित हो रहा है रोजगार। Bite-निर्मला देवी- स्वयं सहायता महिला समूह की सदस्य Bite- प्रियंका निरंजन- मुख्य विकास अधिकारी मिर्जापुर


Conclusion:स्वयं सहायता समूह की महिला स्कूल में ड्रेस वितरण करने आई निर्मला देवी का कहना है कि हमें स्कूल से कपड़ा मिला है सिलने के लिए 110 रुपये एक कपड़े की सिलाई का मिलता है हमारे समूह में 15 से 20 महिलाएं काम कर रही हैं हमने 12 स्कूलों का नाप लिया है 6 गांव के स्कूल हैं कुल पंद्रह सौ छात्रों का कपड़ा सिलने के लिए मिला है उसी को सील कर हम स्कूल में वितरण करा रही हूं हम लोग तीन चार कैटेगरी में नाप लेते हैं इसके बाद कपड़ा ले जाकर स्कूल से सिलाई करते हैं इसमें स्कूल के बच्चों को पक्का सिलाई का कपड़ा मिल जा रहा है उनका ड्रेस फिट मिल जा रहा है रेडीमेंट लेते थे तो छोटा बड़ा और सिलाई जल्दी छोड़ देता था यह सब प्रॉब्लम था अब यह नहीं होगा साथ ही हम महिलाओं को इससे रोजगार भी मिल जा रहा है हमारी कुछ कमाई भी हो जा रही है। जय प्रकाश सिंह मिर्ज़ापुर 9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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