ETV Bharat / state

मिर्जापुर : विंध्याचल में अष्टमी पर महागौरी का पूजन कर की मंगलकामना

जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शनिवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी. अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने पर भक्तों ने मां के महागौरी स्वरूप और सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन किया. महागौरी पूजन में कन्या पूजन का महत्व है. वहीं मां सिद्धिदात्री नवीं स्वरूप हैं, जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं.

विंध्याचल में लगा भक्तों का तांता
author img

By

Published : Apr 13, 2019, 8:28 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शनिवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी. लाखों भक्तों ने अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने पर मां के महागौरी स्वरूप और सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन किया. विन्ध्यपर्वत पर तीनों देवियां एक साथ विराजमान हैं. महागौरी अष्टभुजा पर्वत पर बैठकर भक्तों का कल्याण कर रही हैं. यहां द्वापर युग से ही मां के अष्टभुजा स्वरूप का प्रमाण मिलता है.

विंध्याचल में लगा भक्तों का तांता.

पौराणिक कथाओं के अनुसार भक्तों के सारे पापों को जला देने वाली और आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ शक्तियों की आठवीं स्वरूप महागौरी की पूजा नवरात्रि के अष्टमी को की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इसके कारण उनके शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था. तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिव जी ने उनके शरीर को गंगा जल के पवित्र जल से धोया था.

इससे उनका वर्ण विद्युत प्रभा की तरह कांतिमान और गौर वर्ण का हो गया. इसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा. इनकी चार भुजाएं हैं. एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में अभय मुद्रा में हैं. तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है तो चौथा हाथ वर मुद्रा में है. इनका वाहन वृष है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी पूजा का बड़ा महत्व है. मान्यता है कि भक्ति और श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करने से भक्तों के घर में सुख-शांति बनी रहती है और उसके यहां माता अन्नपूर्णा स्वरूप होती हैं. इस दिन माता की पूजा में कन्या पूजन और उनके सम्मान का विधान है. आज के दिन भक्त महागौरी पूजा में कन्या पूजन करते हैं और पुण्य की प्राप्ति करते हैं.

इस बार नवरात्रि आठ दिन की होने के कारण शनिवार को अष्टमी और नवमी दोनों मनाई जा रही है. मां सिद्धिदात्री नवां स्वरूप हैं. इनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. मां सिद्धिदात्री की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कमल के आसन पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र है, जो बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है. आज के दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है.

मिर्जापुर: जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शनिवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी. लाखों भक्तों ने अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने पर मां के महागौरी स्वरूप और सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन किया. विन्ध्यपर्वत पर तीनों देवियां एक साथ विराजमान हैं. महागौरी अष्टभुजा पर्वत पर बैठकर भक्तों का कल्याण कर रही हैं. यहां द्वापर युग से ही मां के अष्टभुजा स्वरूप का प्रमाण मिलता है.

विंध्याचल में लगा भक्तों का तांता.

पौराणिक कथाओं के अनुसार भक्तों के सारे पापों को जला देने वाली और आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ शक्तियों की आठवीं स्वरूप महागौरी की पूजा नवरात्रि के अष्टमी को की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इसके कारण उनके शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था. तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिव जी ने उनके शरीर को गंगा जल के पवित्र जल से धोया था.

इससे उनका वर्ण विद्युत प्रभा की तरह कांतिमान और गौर वर्ण का हो गया. इसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा. इनकी चार भुजाएं हैं. एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में अभय मुद्रा में हैं. तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है तो चौथा हाथ वर मुद्रा में है. इनका वाहन वृष है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी पूजा का बड़ा महत्व है. मान्यता है कि भक्ति और श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करने से भक्तों के घर में सुख-शांति बनी रहती है और उसके यहां माता अन्नपूर्णा स्वरूप होती हैं. इस दिन माता की पूजा में कन्या पूजन और उनके सम्मान का विधान है. आज के दिन भक्त महागौरी पूजा में कन्या पूजन करते हैं और पुण्य की प्राप्ति करते हैं.

इस बार नवरात्रि आठ दिन की होने के कारण शनिवार को अष्टमी और नवमी दोनों मनाई जा रही है. मां सिद्धिदात्री नवां स्वरूप हैं. इनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. मां सिद्धिदात्री की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कमल के आसन पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख, गदा और सुदर्शन चक्र है, जो बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है. आज के दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है.

Intro:जगत जननी मां विंध्यवासिनी के धाम में आज लाखों भक्तों ने अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने पर मां के महागौरी स्वरूप और सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन किया मंदिर प्रातः काल मां की आरती के बाद घंटा घड़ियाल गूंज उठे और मां की एक झलक पाने को भक्तों लालायित हो उठे विन्ध्यपर्वत पर तीनों देवियां एक साथ विराजमान है महागौरी के रूप में अष्टभुजा पर्वत पर बैठकर भक्तों का कल्याण कर रही है द्वापर युग से ही मां के अष्टभुजा स्वरूप का प्रमाण मिलता है।


Body:पौराणिक कथाओं की मानें तो भक्तों के सारे पापों को जला देने वाली और आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ शक्तियों की आठवीं स्वरूपा महागौरी की पूजा नवरात्र के अष्टमी तिथि को किया जाता है पौराणिक कथा अनुसार महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके कारण के शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिव जी ने इनके शरीर को गंगा जल के पवित्र जल से धोया जिससे इनका वर्ण विद्युत प्रभा की तरह कांति मान और गौर वर्ण का हो गया और उसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा इनकी चार भुजाएं हैं एक हाथ में त्रिशूल है दूसरे हाथ में अभय मुद्रा में हैं तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है चौथे हाथ वर मुद्रा में है इनका वाहन वृष है नवरात्र का अष्टमी तिथि को मां महागौरी पूजा का बड़ा महत्व है मान्यता है कि भक्ति और श्रद्धा पूर्वक माता की पूजा करने से भक्तों के घर में सुख शांति बनी रहती है और उसके यहां माता अन्नपूर्णा स्वरूप होती हैं इस दिन माता की पूजा में कन्या पूजन और उनके सम्मान का विधान है आज के दिन भक्तों महागौरी पुर में कन्या पूजन करते हैं और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।

Bite-मिठ्ठू मिश्रा-तीर्थ पुरोहित


Conclusion:इस बार नवरात्र 8 दिन होने के कारण आज अष्टमी और नवमी दोनों तिथि एक साथ मनाया जा रहा है जिससे नवमी स्वरूप का मां सिद्धिदात्री हैं जिन की आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है उसे बड़े कर्मो से लड़ने की शक्ति मिलती है मां सिद्धिदात्री की आराधना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं कमल के आसन पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल शंख गदा सुदर्शन चक्र है जो हमें बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है। आज के दिन मां की आराधना करने से भक्तों को यश बल एवं धन की प्राप्ति होती है मां सिद्धिदात्री का नया स्वरूप हमारे शुभ तत्वों की वृद्धि करते हुए हमें दिव्यता का आभास कराता है दूर दूर से आए श्रद्धालु भी मां के दोनों स्वरूप के दर्शन कर बहुत खुश हैं बोल रहे हैं जो मां से मांगो मां वह सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।

Bite-शशि पांडेय-श्रद्धालू

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.