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अष्टभुजा पहाड़ पर आशियाने की मन्नत, छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बना रहे श्रद्धालु - अष्टभुजा के पहाड़ों पर श्रद्धालु बना रहे घरौंदे

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में नवरात्र के दौरान विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन करने आए श्रद्धालु अष्टभुजा के पहाड़ों पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बनाते हैं. मान्यता है कि घरौंदे बनाने से उन्हें 3 साल के अंदर अपना घर मिल जाएगा.

छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बना रहे श्रद्धालु
छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बना रहे श्रद्धालु
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Published : Oct 21, 2020, 11:29 PM IST

मिर्जापुर: नवरात्र में विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने आए श्रद्धालु अष्टभुजा के पहाड़ों पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बना रहे हैं. मान्यता है कि पहाड़ पर घरौंदा बनाने से जिनके घर नहीं हैं, देवी मां उनके घर का सपना पूर करती हैं. विंध्याचल धाम में विराजमान तीनों देवियों के दर्शन और पूजन करने के बाद श्रद्धालु पहाड़ पर पहुंचकर वहां पहले से पड़े पत्थरों को सजाकर घरौंदा बना रहे हैं. भक्त मां से अपना आवास बनाने की मन्नत मांग रहे हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से कोई यहां पर आकर घरौंदा बनाकर जाता है तो मां की कृपा से तीन साल में उसका आशियाना बन जाता है.

विंध्याचल धाम में स्थित मां विंध्यवासिनी, त्रिकोण मार्ग पर स्थित मां कालीखोह की देवी और मां अष्टभुजा के दर्शन पूजन करने श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. सदियों से यहां नवरात्र में भक्त अष्टभुजा पहाड़ पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थरों से सड़क के दोनों किनारे पर घरौंदा बनाने की परम्परा चली आ रही है. यहां पत्थर से घर बनाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने सपनों का घर मां के आशीर्वाद से प्राप्त करते हैं.

ये है घरौंदा बनाने की मान्यता
नवरात्र मेले के दौरान मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने के बाद हजारों आस्थावान रोजाना त्रिकोण परिक्रमा करते हैं. मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने के बाद भक्त काली माता और अष्टभुजा माता की पैदल यात्रा पूरी करते हैं. मान्यता है कि तीनों देवियों का दर्शन जो नहीं करता है उसकी यात्रा अधूरी रहती है. पैदल यात्रा के दौरान काली माता और अष्टभुजा माता के बीच अष्टभुजा पहाड़ पर बिखरे पत्थरों के 9 टुकड़ों से सजाकर सपनों के घर का प्रतिरूप बनाया जाता है. मान्यता है कि भक्त बिखरे हुए 9 पत्थर इकट्ठा करके उसे जोड़कर घरौंदा बनाते हैं और उसके ऊपर एक छत रख देते हैं तो उनकी आवास की कामना माता रानी अवश्य पूरी करती हैं. ऐसी मान्यता है कि तीन वर्ष के अंदर उन्हें घर जरूर उपलब्ध हो जाता है.

घरौंदा बनाकर मां से मांगी जाती है मन्नत
घरौंदा बनाने के बारे में मिर्जापुर से आयी लक्ष्मीना और बिहार से आई शीला देवी ने बताया कि किसी से सुना था कि यहां पर नवरात्र में घरौंदा बनाने से अपने मकान का सपना पूरा होता है, इसीलिए मां के धाम में आई हैं. माता रानी विंध्यवासिनी, काली माता और अष्टभुजा माता के दर्शन करने के बाद पहाड़ पर घरौंदा बनाकर मां से मन्नत मांग रही हैं.

उन्नाव से परिवार के साथ आए सोनू और रानी बताते हैं कि उनके के पास पक्का आशियाना नहीं है. उसी आशियाने की कामना के साथ वह मां के दरबार में घरौंदा बना रहे हैं. उम्मीद है कि उनके मकान बनने का सपना माता रानी जरूर पूरा करेंगी.

मिर्जापुर: नवरात्र में विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने आए श्रद्धालु अष्टभुजा के पहाड़ों पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थरों से घरौंदे बना रहे हैं. मान्यता है कि पहाड़ पर घरौंदा बनाने से जिनके घर नहीं हैं, देवी मां उनके घर का सपना पूर करती हैं. विंध्याचल धाम में विराजमान तीनों देवियों के दर्शन और पूजन करने के बाद श्रद्धालु पहाड़ पर पहुंचकर वहां पहले से पड़े पत्थरों को सजाकर घरौंदा बना रहे हैं. भक्त मां से अपना आवास बनाने की मन्नत मांग रहे हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से कोई यहां पर आकर घरौंदा बनाकर जाता है तो मां की कृपा से तीन साल में उसका आशियाना बन जाता है.

विंध्याचल धाम में स्थित मां विंध्यवासिनी, त्रिकोण मार्ग पर स्थित मां कालीखोह की देवी और मां अष्टभुजा के दर्शन पूजन करने श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. सदियों से यहां नवरात्र में भक्त अष्टभुजा पहाड़ पर बिखरे छोटे-छोटे पत्थरों से सड़क के दोनों किनारे पर घरौंदा बनाने की परम्परा चली आ रही है. यहां पत्थर से घर बनाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने सपनों का घर मां के आशीर्वाद से प्राप्त करते हैं.

ये है घरौंदा बनाने की मान्यता
नवरात्र मेले के दौरान मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने के बाद हजारों आस्थावान रोजाना त्रिकोण परिक्रमा करते हैं. मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने के बाद भक्त काली माता और अष्टभुजा माता की पैदल यात्रा पूरी करते हैं. मान्यता है कि तीनों देवियों का दर्शन जो नहीं करता है उसकी यात्रा अधूरी रहती है. पैदल यात्रा के दौरान काली माता और अष्टभुजा माता के बीच अष्टभुजा पहाड़ पर बिखरे पत्थरों के 9 टुकड़ों से सजाकर सपनों के घर का प्रतिरूप बनाया जाता है. मान्यता है कि भक्त बिखरे हुए 9 पत्थर इकट्ठा करके उसे जोड़कर घरौंदा बनाते हैं और उसके ऊपर एक छत रख देते हैं तो उनकी आवास की कामना माता रानी अवश्य पूरी करती हैं. ऐसी मान्यता है कि तीन वर्ष के अंदर उन्हें घर जरूर उपलब्ध हो जाता है.

घरौंदा बनाकर मां से मांगी जाती है मन्नत
घरौंदा बनाने के बारे में मिर्जापुर से आयी लक्ष्मीना और बिहार से आई शीला देवी ने बताया कि किसी से सुना था कि यहां पर नवरात्र में घरौंदा बनाने से अपने मकान का सपना पूरा होता है, इसीलिए मां के धाम में आई हैं. माता रानी विंध्यवासिनी, काली माता और अष्टभुजा माता के दर्शन करने के बाद पहाड़ पर घरौंदा बनाकर मां से मन्नत मांग रही हैं.

उन्नाव से परिवार के साथ आए सोनू और रानी बताते हैं कि उनके के पास पक्का आशियाना नहीं है. उसी आशियाने की कामना के साथ वह मां के दरबार में घरौंदा बना रहे हैं. उम्मीद है कि उनके मकान बनने का सपना माता रानी जरूर पूरा करेंगी.

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