मिर्जापुरः विंध्याचल धाम में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की नवरात्र में आराधना की जा रही है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री स्वरूप का भक्तों ने पूजन किया. दूसरे दिन आज श्रद्धालु मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का पूजन कर रहे हैं. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित करने वाली मां का यह स्वरूप बड़ा दिव्य है. दूसरे दिन भी धाम में भक्तों का ताता लगा हुआ है. लंबी-लंबी कतारों में लगकर भक्त मां विंध्यवासिनी की एक झलक पाकर निहाल हो रहे हैं.
ब्रह्मचारिणी स्वरूप का भक्त कर रहे दर्शन-पूजन
नवरात्र में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में मां का पूजन करने का विधान है. वहीं दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन किया जाता है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित करने वाली मां का यह स्वरूप दिव्य है. माता सफेद वस्त्र धारण कर एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में माला लिए हुए सुशोभित हैं. मां के इस रूप का पुराणों में काफी महत्व बताया गया है.
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धाम में व्यवस्था दुरुस्त
मां विन्ध्वासिनी का दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु दिलीप त्रिपाठी बताते हैं कि धाम में मां के दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है. सभी भक्त मास्क लगाकर कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मां का दर्शन कर रहे हैं. मां सभी के कष्टों को दूर करने वाली हैं. वहीं आचार्य राजन मिश्र ने बाताया कि धाम में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा है. मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का आज भक्त दर्शन कर रहे हैं. दूर दराज से आने वाले कुछ श्रद्धालु 9 दिनों तक विंध्य क्षेत्र में रहकर मां की आराधना पूरे तन-मन से करते हैं, जिससे प्रसन्न होकर मां उनकी सभी मुरादें पूरी करती हैं. माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नई उर्जा, नया उत्साह और सदविचार का संचार होता है. धाम में मां के मनोहारी स्वरूप का दर्शन कर भक्तों को परम शांति मिलती है.