मिर्जापुर/कन्नौज : शारदीय नवरात्रि पर सोमवार को मां की एक झलक पाने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हैं. दूर दराज से आए भक्त सुबह से लंबी कतारों में घंटों खड़े होकर मां के दर्शन के लिए बेताब दिखे. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रम्हचारिणी की पूजा-आराधना की जाती है. क्योंकि मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां पार्वती ने घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है.
मिर्जापुर के मां विंध्यवासिनी मंदिर में लगी भक्तों की भीड़
मिर्जापुर के विंध्याचल में सोमवार को मां विंध्यवासिनी के दूसरे स्वरूप यानी ब्रह्मचारिणी देवी का श्रद्धालु दर्शन पूजन कर रहे हैं. यहां मंगला आरती के बाद से ही भक्तों को मां के दर्शन होने शुरू हो गए थे. लंबी-लंबी कतारों में खड़े भक्त हाथों में नारियल चुनरी लेकर मां का जयकारा लगाते हुए दर्शन पूजन कर रहे हैं. आज के दिन मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए कमल का फूल प्रसाद में शक्कर की बनी सामग्री चढ़ाने से मां भगवती खुश होकर अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
दुर्गा पूजा के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा अर्चना
ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी के रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य हैं. इस देवी के दाएं हाथ में माला है और बाएं हाथ में कमंडल धारण है. दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है.
कन्नौज के कालीदुर्गा मंदिर में भक्तों का लगा तांता
कन्नौज में नवरात्रि के दूसरे दिन भी शहर के मंदिरों में मां के भक्तों की भारी भीड़ रही. शहर के कालीदुर्गा मंदिर में सोमवार के दिन मां ब्रम्हचारिणी की पूजा-आराधना की गई है. शारदीय नवरात्रि के चलते प्राचीन सिद्धपीठ मां अन्नपूर्णा मंदिर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. इस प्राचीन शक्तिपीठ मां अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है.
राजा को स्वप्न आने के बाद हुआ था सिद्धपीठ का निर्माण
यह सिद्धपीठ मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर कन्नौज के तिर्वा क्षेत्र में है. इसकी मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में अन्न यानी अनाज मां को भेंट के रूप में चढ़ाता है उसके घर में कभी भी धन-धान की कमी नहीं रहती. इस मंदिर का भव्य निर्माण कराए जाने को लेकर तिर्वा के राजा को एक स्वप्न आया. जिसके बाद यहां अब भव्य मंदिर बन चुका है. यहां मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के अलावा पंचमुखी देवी के नौ रूपों की मूर्तियां भी लगी हैं.