मिर्जापुर : लोकसभा चुनाव का एलान होते ही लोकसभा सीट के लिए तीनों दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. भाजपा ने शुक्रवार को ही एनडीए गठबंधन के तहत अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मिर्जापुर की सीट सौंप दी है. इसके साथ ही सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए हैं.
मिर्जापुर में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. तीनों पार्टियों से नाम तय होने से चुनावी बिसात तैयार की जा रही है. पार्टी कार्यकर्ता जाति समीकरण और वोटों के गुड़ा-भाग में जुट गए हैं. कांग्रेस 2014 लोकसभा चुनाव लड़ चुके ललितेश पति त्रिपाठी को दोबारा टिकट देकर मुस्लिम-ब्राह्मण मतों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की उम्मीद कर रही है. वहीं अनुप्रिया पटेल को बहुसंख्यक आबादी पटेलों का सहारा है.
सपा बसपा गठबंधन के सियासी गणित बदलते हुए पटेल के स्थान पर बिंद को टिकट देकर नया दांव खेला है. इस सीट पर सपा के टिकट पर एक बार रामरति बिंद चुनाव जीत चुके हैं. दूसरी बार इसी संगठन के सहारे जीत हासिल करना चाहती है. 2014 लोकसभा के आंकड़ों की बात करें तो भाजपा अपना दल गठबंधन को 4,36,536 अनुप्रिया पटेल पाकर विजयी हुई थीं. दूसरे नंबर पर बसपा के प्रत्याशी समुद्रा बिंद थे, जिनको 2,17,457 वोट मिले थे.
2014 के चुनाव में तीसरे स्थान पर कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी थे, जिनको 1,52,666 वोट मिला था. चौथे स्थान पर सपा से सुरेंद्र सिंह पटेल थे, जिनको 1,08,859 वोट मिला था. टिकट फाइनल होने के बाद यहां के प्रत्याशियों के समर्थकों का अपना-अपना राय है. सपा का कहना है कि इस बार गठबंधन यहां से जीतेगा क्योंकि मंत्री रहते हुए जातिवाद की राजनीति जिले में की है. इसलिए उनका इस बार हारना तय माना जा रहा है. विशेष जाति को महत्व है. अगड़ी जातियां उनसे नाराज हैं, चाहे उनके गठबंधन की बीजेपी ही क्यों न हो.
वहीं कांग्रेस की बात करें तो उनका कहना है कि बहुत सही टिकट मिल गया. अनुप्रिया जी को दोबारा यहां से ललितेश जी हमारे जो प्रत्याशी हैं, उनको इससे बहुत फायदा मिलेगा. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के समर्थक भी काफी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि विकास जिस तरह से मंत्री जी ने जिले का किया है उसी विकास पर हम लोग फिर से विजयी होंगे.