मिर्जापुर: विंध्याचल मंदिर से निकलने वाले फूल अब कचरे में नहीं फेंके जा रहे हैं. अब उन फूलों को इकट्ठा करके उससे अगरबत्तियां बनाई जा रही है. यह संभव हुआ है उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा.
मंदिरों से निकलने वाले फूलों से बन रही अगरबत्ती
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा विंध्याचल के सभी मंदिरों से फूलों को इकट्ठा कर इनसे अगरबत्तियां बनाने का काम किया जा रहा है. इस पहल से जहां एक ओर गरीब महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है, वहीं विंध्याचल के मंदिरों से निकलने वाले फूल कचरे का हिस्सा नहीं बन रहे हैं और न ही यह गंगा नदी को दूषित कर रहे हैं.
इस समूह में 10 से 11 महिलाएं काम कर रही हैं. महिलाएं मंदिरों से फूलों को इकट्ठा कर, फूलों की छंटनी के बाद उनको सुखाकर चुर्ण तैयार करती हैं और फिर उसी से अगरबत्ती तैयार की जाती है. इन अगरबत्तियों का बंडल बनाकर उन्हें धूप में सुखाया जाता है. सूखने के बाद 24 तिल्ली एक डिब्बे में पैक किए जाते हैं और इसे अष्टभुजा मंदिर, कालीखोह मंदिर, विंध्याचल मंदिर के पास दुकानों पर पहुंचा कर सेल करती हैं.
12 रुपये प्रति डिब्बे बिकती हैं अगरबत्तियां
अगरबत्ती बना रही महिलाओं का कहना है कि पहले हम लोग घर में खाली बैठे रहते थे, लेकिन अब समूह से जुड़ गए हैं और अगरबत्ती बना रहे हैं. अब हम लोगों की कमाई भी हो जा रही है. पहले मंदिरों में चढ़े फूलों को लोग गंगा नदी में या कचरे में फेंक देते थे. जिससे गंदगी होती थी, लेकिन अब हम लोग इससे अगरबत्ती बनाते हैं इसे मंदिरों के आसपास ही बेचते हैं.
विंध्याचल के मंदिरों में जो फूल चढ़ाया जाता है उसे अगर हम अगरबत्ती में यूज करें तो प्रसाद के रूप में वितरित किया जा सकता है. साथ ही जो गंदगी होती थी सड़क पर या गंगा नदी में उसके निस्तारण से बचा जा सकता है. उस फूल को हमारे सहायता समूह की महिलाएं इकट्ठा करके सुखाकर चूर्ण बनाकर अगरबत्ती बना रही हैं और पैकेजिंग कर मां के दरबार में बिक्री की जा रही है. इससे महिलाओं की आमदनी भी हो जा रही है और जो गंदगी होती थी उससे भी बचा जा रहा है.
- प्रियंका निरंजन, मुख्य विकास अधिकारी