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पिता की मौत ने कराया भूख का एहसास, अब जरूरमंदों की सेवा में लगे 'फूडमैन'

उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में विशाल नाम के युवक लोगों को बिना किसी शुल्क के सेवा भाव से भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. करीब 13 सालों से वह लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं.

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Published : Dec 30, 2020, 1:27 PM IST

जरूरमंदों की सेवा
जरूरमंदों की सेवा

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में 40 साल के एक ऐसे युवक हैं, जो पिछले 13 वर्षों से जरूरतमंद और गरीब लोगों को खाना उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं. वर्तमान समय में यह प्रतिदिन राजधानी लखनऊ के तीन मुख्य अस्पताल केजीएमयू, सिविल और लोहिया संस्थान में मरीजों का इलाज कराने आए तीमारदारों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं.

जरूरतमंद लोगों के लिए करते हैं खाने की व्यवस्था.

विशाल सिंह प्रतिदिन लगभग 1000 लोगों को फ्री में खाना उपलब्ध कराते हैं. 13 वर्षों से लगातार यह जरूरतमंद और मजबूर लोगों के काम आ रहे हैं. उनके इस काम के लिए लखनऊवासियों ने 'फूड मैन' का नाम भी दिया है.

पिता के इलाज के दौरान लिया जरूरतमंदों की मदद का फैसला

लखनऊ के फूडमैन विशाल सिंह के पिता सिंचाई विभाग में काम करते थे, जो 2003 में सांस की बीमारी से ग्रसित हो गए. विशाल अपने पिता का इलाज कराने के लिए उन्हें गुड़गांव लेकर गए, जहां पर लंबे समय तक विशाल के पिता का इलाज चला. इलाज में ही उनके पास जो भी बचत के पैसे थे, वह खर्च हो गए. विशाल ने बताया कि इलाज में पैसे खत्म हो जाने के बाद ऐसा समय आ गया था कि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं बचे थे. उस समय महसूस हुआ कि लोग जो अस्पताल में अपने किसी का इलाज कराने पहुंचते हैं, वह कितना मजबूर हो जाते हैं. इसके बाद मन में यह ख्याल आया कि हमें तीमारदारों की मदद करनी चाहिए.

घर से खाना बना कर भेजते थे अस्पताल

विशाल ने बताया कि शुरुआती दौर में पैसे का अभाव रहता था, जिसके चलते वह खुद अपने घर में खाना बनाते थे और खाना बर्तनों में पैककर अस्पताल भेजवाते थे. धीरे-धीरे लोगों ने मदद करनी शुरू की और सबसे पहले केजीएमयू में एक छोटा सा सेंटर बना. यहां पर जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जाने लगा. संस्था का प्रचार-प्रसार हुआ तो और भी लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए और आज राजधानी लखनऊ के केजीएमयू, सिविल और लोहिया संस्थान में प्रसादम नाम से कई सेंटर चल रहे हैं. इन सेंटरों पर जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जाता है.

आधुनिक मशीनों से बनता है खाना

विशाल सिंह जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने के लिए खाना बनाने के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग करते हैं. विशाल सिंह ने बताया कि हमें रोटियों की अधिक आवश्यकता रहती है, जिसके लिए मैन पॉवर भी अधिक लगता है. ऐसे में मैन पॉवर की कमी के चलते हमने रोटी के लिए आटा मढ़ने और रोटी सेंकने के लिए आधुनिक मशीन लगा रखी है. इन मशीनों से काफी मदद मिलती है और कम समय में अधिक खाना भी बन जाता है.

विशाल ने लोगों से की अपील

ईटीवी भारत से बातचीत में विशाल सिंह ने लोगों से अपील की है कि जो लोग सक्षम हैं, उन्हें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वह प्रतिदिन एक आदमी के खाने की व्यवस्था करें. आज भी तमाम लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती है. ऐसे में जो लोग सक्षम हैं, उन्हें आगे आना चाहिए और ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जो पैसे के अभाव के चलते अपने लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में 40 साल के एक ऐसे युवक हैं, जो पिछले 13 वर्षों से जरूरतमंद और गरीब लोगों को खाना उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं. वर्तमान समय में यह प्रतिदिन राजधानी लखनऊ के तीन मुख्य अस्पताल केजीएमयू, सिविल और लोहिया संस्थान में मरीजों का इलाज कराने आए तीमारदारों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं.

जरूरतमंद लोगों के लिए करते हैं खाने की व्यवस्था.

विशाल सिंह प्रतिदिन लगभग 1000 लोगों को फ्री में खाना उपलब्ध कराते हैं. 13 वर्षों से लगातार यह जरूरतमंद और मजबूर लोगों के काम आ रहे हैं. उनके इस काम के लिए लखनऊवासियों ने 'फूड मैन' का नाम भी दिया है.

पिता के इलाज के दौरान लिया जरूरतमंदों की मदद का फैसला

लखनऊ के फूडमैन विशाल सिंह के पिता सिंचाई विभाग में काम करते थे, जो 2003 में सांस की बीमारी से ग्रसित हो गए. विशाल अपने पिता का इलाज कराने के लिए उन्हें गुड़गांव लेकर गए, जहां पर लंबे समय तक विशाल के पिता का इलाज चला. इलाज में ही उनके पास जो भी बचत के पैसे थे, वह खर्च हो गए. विशाल ने बताया कि इलाज में पैसे खत्म हो जाने के बाद ऐसा समय आ गया था कि उनके पास खाने तक के पैसे नहीं बचे थे. उस समय महसूस हुआ कि लोग जो अस्पताल में अपने किसी का इलाज कराने पहुंचते हैं, वह कितना मजबूर हो जाते हैं. इसके बाद मन में यह ख्याल आया कि हमें तीमारदारों की मदद करनी चाहिए.

घर से खाना बना कर भेजते थे अस्पताल

विशाल ने बताया कि शुरुआती दौर में पैसे का अभाव रहता था, जिसके चलते वह खुद अपने घर में खाना बनाते थे और खाना बर्तनों में पैककर अस्पताल भेजवाते थे. धीरे-धीरे लोगों ने मदद करनी शुरू की और सबसे पहले केजीएमयू में एक छोटा सा सेंटर बना. यहां पर जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जाने लगा. संस्था का प्रचार-प्रसार हुआ तो और भी लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए और आज राजधानी लखनऊ के केजीएमयू, सिविल और लोहिया संस्थान में प्रसादम नाम से कई सेंटर चल रहे हैं. इन सेंटरों पर जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराया जाता है.

आधुनिक मशीनों से बनता है खाना

विशाल सिंह जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने के लिए खाना बनाने के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग करते हैं. विशाल सिंह ने बताया कि हमें रोटियों की अधिक आवश्यकता रहती है, जिसके लिए मैन पॉवर भी अधिक लगता है. ऐसे में मैन पॉवर की कमी के चलते हमने रोटी के लिए आटा मढ़ने और रोटी सेंकने के लिए आधुनिक मशीन लगा रखी है. इन मशीनों से काफी मदद मिलती है और कम समय में अधिक खाना भी बन जाता है.

विशाल ने लोगों से की अपील

ईटीवी भारत से बातचीत में विशाल सिंह ने लोगों से अपील की है कि जो लोग सक्षम हैं, उन्हें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वह प्रतिदिन एक आदमी के खाने की व्यवस्था करें. आज भी तमाम लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती है. ऐसे में जो लोग सक्षम हैं, उन्हें आगे आना चाहिए और ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जो पैसे के अभाव के चलते अपने लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते.

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