मिर्जापुर: अयोध्या में प्रस्तावित रामलला मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में विंध्याचल धाम से मां विंध्यवासिनी का चरणामृत, गंगाजल और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने विंध्याचल के गंगा नदी से जल मिट्टी और मां विंध्यवासिनी का चरणामृत इकट्ठा कर विधिवत पूजन अर्चन के बाद अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए ले जाएंगे.
विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष रामचंद्र शुक्ल ने बताया कि उन्हें बेहद ही खुशी है कि वह दिन आ गया, जिसका बरसों से इंतजार था. राम मंदिर के लिए 3 लाख से ज्यादा हिंदुओं ने बलिदान दिया है. दरअसल, 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी. इसके लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों से मिट्टी और जल मंगाया जा रहा है.
पीएम नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्याय करेंगे. वहीं राम मंदिर की पवित्रता और महत्ता बढ़ाने के लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश के पवित्र स्थलों की रज, मिट्टी इकट्ठा कर अयोध्या ले जा रहे हैं. इस कड़ी में विंध्याचल से मां विंध्यवासिनी का चरणामृत और गंगाजल मिट्टी इकट्ठा कर कार्यकर्ता ले जा रहे हैं. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मां विंध्यवासिनी मंदिर परिसर में इकट्ठा होकर मां विंध्यवासिनी का चरणामृत और गंगाजल मिट्टी को इकट्ठा कर विधिवत पूजा की.
विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष रामचंद्र शुक्ल ने बताया कि मिर्जापुर के अन्य पवित्र स्थानों से भी कालिखो, अष्टभुजा, विजयपुर शीतला मंदिर, बड़ी माता छोटी माता, देवनाथ दक्ष प्रजापति की यज्ञ स्थली, गणेश मंदिर, रामपुर जैसे विभिन्न धार्मिक जगहों से भी जल और मिट्टी ले जाया जा रहा है.
भगवान राम का मिर्जापुर के इतिहास में भी उल्लेख है. दरअसल, भगवान राम ने मां सीता के साथ अपने पितृदेव के लिए विंध्य क्षेत्र के अधिष्ठात्री देवी के चरणों में स्थित मां गंगा के घाट पर तर्पण किया था. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए विंध्याचल के राम गया घाट पर पिंडदान किया था. अब इस घाट को 'राम गया घाट' या 'छोटा गया' के नाम से जाना जाता है.
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