ETV Bharat / state

मिर्जापुर में जरवेरा फूल की डिमांड, कम पानी से अच्छी कमाई कर रहा किसान - जरवेरा फूल की जा रही है खेती

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में किसान अब धान और गेंहू की खेती छोड़ जरवेरा की (सजावट के काम आने वाला फूल) खेती करने के लिए अग्रसर हो रहे हैं. इस खेती से किसानों को कम पानी में अच्छी पैदावार मिल रही है और लाभ भी ज्यादा हो रहा है, जिससे किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं.

etv bharat
जरवेरा फूल के खेती को दिया जा रहा बढ़ावा
author img

By

Published : Dec 11, 2019, 12:00 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: किसान उत्साह और परिश्रम से कृषि कार्य करें तो परंपरागत खेती की अपेक्षा कई गुना लाभ कमा सकते हैं. यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि वास्तविकता है. यह संभव कर दिखाया है जिले मुख्यालय से 40 मीटर दूर पटेहरा ब्लाक के राकेश कुमार सिंह ने पाली हाउस के जरिए जरवेरा फूल की खेती कर साल में अच्छी बचत कर लेते हैं. इनके खेती करने के तरीके को लोग दूर-दूर से देखने भी आते हैं.

खेती कराने के लिए ट्रेनर भी है जो खेती करा रहे है और कैसे फूल तोड़ा जाता है वह भी बता रहे हैं. इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर समेत दिल्ली तक है. जवेरा के फूल गुलदस्ता से लेकर सजावट तक के काम में आते है. धान, गेहूं की फसलें न होने की वजह से किसान परंपरागत खेती छोड़कर यह पद्धति अपना रहे हैं. उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत पॉलीहाउस खेती की जा रही है. यह प्रोजेक्ट 60 लाख का है जिसमें 30 लाख सरकार से अनुदान है.

जरवेरा फूल के खेती को दिया जा रहा बढ़ावा.


किसानों में जगी एक नई उम्मीद की किरण
फूल देखकर किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक आती है. पानी के कमी से परेशान हो चुके जिले के पटेहरा ब्लाक के किसान के चेहरे पर एक नई उम्मीद की किरण जरवेरा की खेती लेकर आई है. संरक्षित खेती (पॉलीहाउस) के अंतर्गत जरवेरा के फूल (सजावट के काम आने वाला फूल) की खेती करने वाले किसान राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पहले धान गेहूं मटर की खेती किया करते थे. पानी की कमी होने के कारण जरवेरा की खेती कर रहे हैं और इसमे पानी कम लगता है. इस खेती में ड्रिप द्वारा पानी दिया जाता है इससे पानी की बचत भी हो जाती है और अच्छी कमाई भी हो जाती है.

दूर-दूर तक है इस फूल का डिमांड
इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर और दिल्ली तक है. अभी उत्पादन कम हो रहा है अगले महीने से अच्छा उत्पादन होने लगेगा तो हम डिमांड के अनुसार सप्लाई की जाएगी. इस खेती के लिए एक वर्ष से तैयारी चल रही है. प्रतिदिन लगभग 2000 फूल निकल रहे हैं. यह 60 लाख का प्रोजेक्ट है जिसमें 30 लाख उद्यान विभाग द्वारा अनुदान दिया गया है.

पॉली हाउस के लिए लोगों को दिया जा रहा है बढ़ावा
इस जरवेरा की खेती के लिए एक 14 साल से जो किसान खेती करा रहे हैं. वह यहां पर आकर पौधे को लगाने से लेकर तोड़ने तक की विधि बता रहे हैं. किसान इस खेती का फायदा भी बता रहे हैं है और लोगों को ऐसे खेती के लिए बढ़ावा भी दे रहे हैं.

जानिए क्या कहती हैं मुख्य विकास अधिकारी
मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन का कहना है कि पटेहरा ब्लाक जल के समस्या से ग्रसित ब्लॉक है. यहां पर ऐसी पद्धति से ही खेती करनी चाहिए, जिसमें जल कम से कम लगे और बचाव कर सकें. पॉलीहाउस के द्वारा यह खेती की जा रही है, जिसमें कम जल से अच्छा फसल उत्पादन किया जा रहा है. इसके साथ ही किसान की आय भी बढ़ रहा है और किसानों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है.

महिला किसान भी जुड़ रही इस खेती से
इस वर्ष 10 किसानों ने इस खेती के लिए आवेदन कर चुके है. महिला समूह कि जो महिलाएं हैं उन्हें भी छोटे-छोटे अनुदान देकर इस खेती के लिए बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वह कम पानी में अच्छी बचत कर सकें. यह योजना बहुत अच्छी योजना है. किसान कम पानी में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें:- मिर्जापुर: जिलाधिकारी ने झाड़ू लगाकर स्वच्छता के प्रति लोगों को किया जागरूक

मिर्जापुर: किसान उत्साह और परिश्रम से कृषि कार्य करें तो परंपरागत खेती की अपेक्षा कई गुना लाभ कमा सकते हैं. यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि वास्तविकता है. यह संभव कर दिखाया है जिले मुख्यालय से 40 मीटर दूर पटेहरा ब्लाक के राकेश कुमार सिंह ने पाली हाउस के जरिए जरवेरा फूल की खेती कर साल में अच्छी बचत कर लेते हैं. इनके खेती करने के तरीके को लोग दूर-दूर से देखने भी आते हैं.

खेती कराने के लिए ट्रेनर भी है जो खेती करा रहे है और कैसे फूल तोड़ा जाता है वह भी बता रहे हैं. इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर समेत दिल्ली तक है. जवेरा के फूल गुलदस्ता से लेकर सजावट तक के काम में आते है. धान, गेहूं की फसलें न होने की वजह से किसान परंपरागत खेती छोड़कर यह पद्धति अपना रहे हैं. उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत पॉलीहाउस खेती की जा रही है. यह प्रोजेक्ट 60 लाख का है जिसमें 30 लाख सरकार से अनुदान है.

जरवेरा फूल के खेती को दिया जा रहा बढ़ावा.


किसानों में जगी एक नई उम्मीद की किरण
फूल देखकर किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक आती है. पानी के कमी से परेशान हो चुके जिले के पटेहरा ब्लाक के किसान के चेहरे पर एक नई उम्मीद की किरण जरवेरा की खेती लेकर आई है. संरक्षित खेती (पॉलीहाउस) के अंतर्गत जरवेरा के फूल (सजावट के काम आने वाला फूल) की खेती करने वाले किसान राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पहले धान गेहूं मटर की खेती किया करते थे. पानी की कमी होने के कारण जरवेरा की खेती कर रहे हैं और इसमे पानी कम लगता है. इस खेती में ड्रिप द्वारा पानी दिया जाता है इससे पानी की बचत भी हो जाती है और अच्छी कमाई भी हो जाती है.

दूर-दूर तक है इस फूल का डिमांड
इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर और दिल्ली तक है. अभी उत्पादन कम हो रहा है अगले महीने से अच्छा उत्पादन होने लगेगा तो हम डिमांड के अनुसार सप्लाई की जाएगी. इस खेती के लिए एक वर्ष से तैयारी चल रही है. प्रतिदिन लगभग 2000 फूल निकल रहे हैं. यह 60 लाख का प्रोजेक्ट है जिसमें 30 लाख उद्यान विभाग द्वारा अनुदान दिया गया है.

पॉली हाउस के लिए लोगों को दिया जा रहा है बढ़ावा
इस जरवेरा की खेती के लिए एक 14 साल से जो किसान खेती करा रहे हैं. वह यहां पर आकर पौधे को लगाने से लेकर तोड़ने तक की विधि बता रहे हैं. किसान इस खेती का फायदा भी बता रहे हैं है और लोगों को ऐसे खेती के लिए बढ़ावा भी दे रहे हैं.

जानिए क्या कहती हैं मुख्य विकास अधिकारी
मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन का कहना है कि पटेहरा ब्लाक जल के समस्या से ग्रसित ब्लॉक है. यहां पर ऐसी पद्धति से ही खेती करनी चाहिए, जिसमें जल कम से कम लगे और बचाव कर सकें. पॉलीहाउस के द्वारा यह खेती की जा रही है, जिसमें कम जल से अच्छा फसल उत्पादन किया जा रहा है. इसके साथ ही किसान की आय भी बढ़ रहा है और किसानों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है.

महिला किसान भी जुड़ रही इस खेती से
इस वर्ष 10 किसानों ने इस खेती के लिए आवेदन कर चुके है. महिला समूह कि जो महिलाएं हैं उन्हें भी छोटे-छोटे अनुदान देकर इस खेती के लिए बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वह कम पानी में अच्छी बचत कर सकें. यह योजना बहुत अच्छी योजना है. किसान कम पानी में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें:- मिर्जापुर: जिलाधिकारी ने झाड़ू लगाकर स्वच्छता के प्रति लोगों को किया जागरूक

Intro:किसान उत्साह और परिश्रम से कृषि कार्य करें तो परंपरागत खेती की अपेक्षा कई गुना लाभ कमा सकते हैं ।यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि वास्तविकता है। यह संभव कर दिखाया है मिर्जापुर मुख्यालय से 40 मीटर दूर पटेहरा ब्लाक के राकेश कुमार सिंह ने पाली हाउस के जरिए जरवेरा फूल की खेती कर साल में अच्छी बचत कर लेते हैं। वहीं इनके खेती करने के तरीके को लोग दूर दूर से देखने भी आते हैं खेती कराने के लिए ट्रेनर भी है जो खेती करा रहा है और कैसे फूल तोड़ा जाता है वह भी बता रहा है इस फूल का डिमांड लखनऊ कानपुर समेत दिल्ली तक है जवेरा के फूल गुलदस्ता से लेकर सजावट के काम आने वाला फूल होता है। कम पानी की वजह से धान गेहूं की फसलें न होने की वजह से किसान परंपरागत खेती छोड़कर यह पद्धति अपना रहे हैं। उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत पॉलीहाउस खेती की जा रही है यह प्रोजेक्ट 60 लाख का है जिसमें 30 लाख सरकार से अनुदान है।


Body:कहते हैं फूल देखकर किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक आती है पानी के कमी से परेशान हो चुके मिर्ज़ापुर के पटेहरा ब्लाक के किसान के चेहरे पर एक नई उम्मीद की किरण जरवेरा की खेती लेकर आई है। संरक्षित खेती (पाली हाउस) के अंतर्गत जरवेरा के फूल (सजावट के काम आने वाला फूल) की खेती करने वाले किसान राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पहले धान गेहूं मटर की खेती किया करते थे पानी ज्यादा लगता था जरवेरा की खेती कर रहे हैं पानी कम लगता है ड्रिप द्वारा पानी दिया जाता है इससे पानी की बचत भी हो जाती है और अच्छी कमाई भी हो जा रही है। इस फूल का डिमांड लखनऊ कानपुर समय दिल्ली तक है अभी उत्पादन कम हो रहा है अगले महीने से अच्छा उत्पादन होने लगेगा तो हम डिमांड के अनुसार सप्लाई कर लेंगे इस खेती के लिए 1 वर्ष से तैयारी चल रही है 5 महीने हो गए लगभग 2,000 फुल प्रतिदिन निकल रहे हैं। यह 60 लाख का प्रोजेक्ट है जिसमें 30 लाख उद्यान विभाग द्वारा अनुदान मिलेगा।
इस जरवेरा की खेती के लिए एक 14 साल से जो खेती करा रहे हैं ट्रेनर हैं वह भी यहां पर आकर पौधे को लगाने से लेकर तोड़ने तक की विधि बता रहे हैं और परंपरागत खेती से इस खेती में फायदा भी बता रहे हैं है लोगों को ऐसे खेती की बढ़ावा भी दे रहे हैं। वही मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन का कहना है कि पटेहरा ब्लाक जल के समस्या से ग्रसित ब्लॉक है यहां पर ऐसी पद्धति से ही खेती करनी चाहिए जिसमें जल कम से कम लगे और बचाव कर सकें इसीलिए पाली हाउस के द्वारा यह खेती की जा रही है कम जल से अच्छा फसल उत्पादन कर रहे हैं पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है साथ ही किसान की आय भी बढ़ रहा है किसानों ने उत्साह दिखाया है इस वर्ष 10 किसान और इस खेती के लिए अप्लाई किया है उन्हें भी उम्मीद है इस वर्ष दे दिया जाएगा बजट। साथ ही महिला समूह कि जो महिलाएं हैं उन्हें भी छोटे-छोटे अनुदान देकर इस खेती के लिए बढ़ावा दिया जाएगा जिससे कम पानी में अच्छी बचत कर सकें यह योजना बहुत अच्छी योजना है किसान कम पानी में अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस फूल का डिमांड बहुत तेजी से हो रही है ज्यादातर लोग गुलदस्ता और सजावट के लिए प्रयोग करते हैं।

बाईट-राकेश कुमार सिंह-किसान
बाईट-जितेंद्र-ट्रेनर
बाईट-प्रियंका निरंजन-मुख्य विकास अधिकारी

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630


Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.