मिर्जापुर: किसान उत्साह और परिश्रम से कृषि कार्य करें तो परंपरागत खेती की अपेक्षा कई गुना लाभ कमा सकते हैं. यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि वास्तविकता है. यह संभव कर दिखाया है जिले मुख्यालय से 40 मीटर दूर पटेहरा ब्लाक के राकेश कुमार सिंह ने पाली हाउस के जरिए जरवेरा फूल की खेती कर साल में अच्छी बचत कर लेते हैं. इनके खेती करने के तरीके को लोग दूर-दूर से देखने भी आते हैं.
खेती कराने के लिए ट्रेनर भी है जो खेती करा रहे है और कैसे फूल तोड़ा जाता है वह भी बता रहे हैं. इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर समेत दिल्ली तक है. जवेरा के फूल गुलदस्ता से लेकर सजावट तक के काम में आते है. धान, गेहूं की फसलें न होने की वजह से किसान परंपरागत खेती छोड़कर यह पद्धति अपना रहे हैं. उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत पॉलीहाउस खेती की जा रही है. यह प्रोजेक्ट 60 लाख का है जिसमें 30 लाख सरकार से अनुदान है.
किसानों में जगी एक नई उम्मीद की किरण
फूल देखकर किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक आती है. पानी के कमी से परेशान हो चुके जिले के पटेहरा ब्लाक के किसान के चेहरे पर एक नई उम्मीद की किरण जरवेरा की खेती लेकर आई है. संरक्षित खेती (पॉलीहाउस) के अंतर्गत जरवेरा के फूल (सजावट के काम आने वाला फूल) की खेती करने वाले किसान राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पहले धान गेहूं मटर की खेती किया करते थे. पानी की कमी होने के कारण जरवेरा की खेती कर रहे हैं और इसमे पानी कम लगता है. इस खेती में ड्रिप द्वारा पानी दिया जाता है इससे पानी की बचत भी हो जाती है और अच्छी कमाई भी हो जाती है.
दूर-दूर तक है इस फूल का डिमांड
इस फूल का डिमांड लखनऊ, कानपुर और दिल्ली तक है. अभी उत्पादन कम हो रहा है अगले महीने से अच्छा उत्पादन होने लगेगा तो हम डिमांड के अनुसार सप्लाई की जाएगी. इस खेती के लिए एक वर्ष से तैयारी चल रही है. प्रतिदिन लगभग 2000 फूल निकल रहे हैं. यह 60 लाख का प्रोजेक्ट है जिसमें 30 लाख उद्यान विभाग द्वारा अनुदान दिया गया है.
पॉली हाउस के लिए लोगों को दिया जा रहा है बढ़ावा
इस जरवेरा की खेती के लिए एक 14 साल से जो किसान खेती करा रहे हैं. वह यहां पर आकर पौधे को लगाने से लेकर तोड़ने तक की विधि बता रहे हैं. किसान इस खेती का फायदा भी बता रहे हैं है और लोगों को ऐसे खेती के लिए बढ़ावा भी दे रहे हैं.
जानिए क्या कहती हैं मुख्य विकास अधिकारी
मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन का कहना है कि पटेहरा ब्लाक जल के समस्या से ग्रसित ब्लॉक है. यहां पर ऐसी पद्धति से ही खेती करनी चाहिए, जिसमें जल कम से कम लगे और बचाव कर सकें. पॉलीहाउस के द्वारा यह खेती की जा रही है, जिसमें कम जल से अच्छा फसल उत्पादन किया जा रहा है. इसके साथ ही किसान की आय भी बढ़ रहा है और किसानों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है.
महिला किसान भी जुड़ रही इस खेती से
इस वर्ष 10 किसानों ने इस खेती के लिए आवेदन कर चुके है. महिला समूह कि जो महिलाएं हैं उन्हें भी छोटे-छोटे अनुदान देकर इस खेती के लिए बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वह कम पानी में अच्छी बचत कर सकें. यह योजना बहुत अच्छी योजना है. किसान कम पानी में अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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