मेरठ: शहर में रहने वाले एक शख्स को पुरानी करेंसी इकट्ठा करने का बेहद शौक है. अपने कलेक्शन में प्राचीन सिक्के जमा करने के लिए यह शख्स जानकारी मिलने पर देश के किसी भी कोने में चला जाता है. इसके कलेक्शन में सम्राट अशोक काल के सिक्के से लेकर कई काल के सिक्के भी शामिल हैं.
प्राचीन करेंसी इकट्ठा करने वाले इस शख्स का नाम है, विजय आनंद अग्रवाल. पूर्व पार्षद व सर्राफा व्यापारी विजय आनंद अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उन्हें स्कूल के समय से ही पुरानी चीजें इकट्ठा करने का शौक था. शुरुआती दौर में उन्हें डाक टिकट इकट्ठा करने का शौक था, लेकिन उन्हें जब पिता ने पुश्तैनी सिक्के दिए, तो वह प्राचीन सिक्कों को अपने कलेक्शन में शामिल करने लगे. स्कूल के समय का यह शौक आज तक कायम है. यदि उन्हें किसी प्राचीन सिक्के के बारे में जानकारी मिलती है, तो उस व्यक्ति से संपर्क कर उसे अपने कलेक्शन में शामिल करने के लिए उसके पास पहुंच जाते हैं. बदले में वह सिक्के की कीमत उस व्यक्ति को देते हैं या फिर अपने कलेक्शन की कुछ ऐसी चीजें जो उस व्यक्ति के काम की हों, उसे देकर अपने कलेक्शन को पूरा करते हैं.
कैसे होते हैं आहत सिक्के
विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि 500 ईसा पूर्व के लगभग आहत सिक्के चलन में आए. यह सिक्के भारत में प्रचलित प्राचीन मुद्रा प्रणाली की शुरुआत मानी जाती है. शुरू में चांदी से बने आहत सिक्के अधिक होते थे. बाद में तांबे और कांस्य के बने सिक्के भी चलन में आए. आहत सिक्के को धातु के टुकड़े पर कोई खास चिन्ह बनाकर तैयार किया जाता था. आहत सिक्कों पर मछली, मोर, यज्ञ वेदी, हाथी, शंख, बैल, खरगोश आदि के चिन्ह देखने को मिलते हैं. इन सिक्कों का कोई निश्चित आकार नहीं होता था. आहत सिक्कों को पंच मार्क भी कहा जाता है, क्योंकि इस पर 5 तरह के निशान बने होते हैं.
सम्राट अशोक के समय की करेंसी
विजय आनंद ने बताया कि उनके कलेक्शन में सम्राट अशोक से लेकर कई ऐसे सिक्के और करेंसी उनके कलेक्शन में शामिल हैं, जो आज शायद ही किसी के पास उपलब्ध हों. उनके कलेक्शन में सुल्तानों की करेंसी, मिडिल इंडिया काल और मुगलकालीन सिक्के भी हैं. उन्होंने बताया कि अपने कलेक्शन को बनाने के लिए वह अब तक 750 शहरों की यात्रा कर चुके हैं. उन्हें यदि पता चलता है कि उनके कलेक्शन से संबंधित किसी के पास कोई सिक्का है, तो वह उसे लेने उसके पास पहुंच जाते हैं.
इतिहास को संजोकर रखने की जरूरत
विजय आनंद का कहना है कि इतिहास को संजोकर रखने की जरूरत है. आने वाली पीढ़ी को हमारे इतिहास के बारे में जरूर पता होना चाहिए. इसके लिए कानून में बदलाव भी करने की जरूरत है, तभी लोग पुरानी प्राचीन वस्तुओं के महत्व को समझ सकेंगे और उसे संभालकर रखेंगे.