मेरठ: लंपी वायरस का संक्रमण (lumpy virus infection) तेजी से फैलता जा रहा है. अगर बात मेरठ जनपद की करें तो अब तक 450 से ज्यादा गोवंश इस बीमारी से प्रभावित हो हो चुके हैं. लंपी वायरस को मात देने के लिए योगी सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है. इसी के चलते 106 गोवंश को इस बीमारी से निजात दिला दी गई है. गनीमत रही कि इस वायरस से मेरठ में अभी तक किसी पशु की मृत्यु नहीं हुई है.
मेरठ में लंपी वायरस (Lumpy virus in Meerut) से लड़ने के लिए पशु चिकित्सा विभाग पूरी तैयारी में जुट गया है. इसके लिए मेरठ में 12 सर्विलांस टीम का गठन किया गया है, जो प्रतिदिन अलग-अलग गांव में जाती है और पशुपालकों को लंपी वायरस के प्रति जागरूक करती है. ये टीम पशुपालकों को बताती है कि अगर उन्हें अपने पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण दिखे तो उन्हें क्या करना चाहिए. इसके अलावा वायरस को रोकने के उपाय भी पशुपालकों को टीम बताती है. वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में नगर निगम और नगर पालिका द्वारा फॉगिंग, सैनिटाइजेशन और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव लगातार कराया जा रहा है ताकि लंपी वायरस के प्रकोप को कम किया जाए.
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शासन के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में पशु मेले एवं पशुओं के आवागमन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसकी निगरानी के लिए मेरठ को 3 जोन और 12 सेक्टर में बांट दिया गया है. मेरठ के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पशुधन विकास को कंट्रोल रूम प्रभारी और जिले का नोडल अधिकारी बनाया गया है. साथ ही उनका नंबर 9412313943 भी पशुपालकों के साथ साझा किया जा रहा है ताकि पशुपालकों की समस्या सुनकर उनका निदान किया जा सके.
पशु चिकित्सा विभाग द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से ऑडियो-वीडियो और डिजिटल पंपलेट द्वारा तमाम पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि अगर उनके पशुओं में वायरस के लक्षण दिखें तो उनको अन्य पशुओं से अलग रखना है. इस ऑडियो और वीडियो में तमाम तरह की जानकारियां पशुपालकों को दी जा रही हैं.
मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अखिलेश गर्ग का कहना है कि शासन से 70 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन पशु चिकित्सा विभाग के पास आ चुकी है, जिससे अब लंपी वायरस प्रभावित ग्रामों की 5 किलोमीटर परिधि से बाहर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा ताकि अभियान से वायरस को फैलने से रोका जाएगा.
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ऐसे फैलता है लंपी संक्रमण
लंपी एक वायरल डिजीज है, जो पशुओं को प्रभावित करती है. आमतौर पर यह खून चूसने वाले कीड़ों, मच्छर की कुछ प्रजातियों और पशुओं को कीड़े के काटने से फैलता है. यह बीमारी संक्रमित पशु से दूसरे पशुओं में तेजी से फैल जाती है. इसकी चपेट में आने वाले पशुओं को बुखार आता है और स्किन पर जगह-जगह निशान पड़ जाते हैं. इतना ही नहीं गंभीर स्थिति होने पर पशु मर भी जाते हैं.
संक्रमण से बचाव के उपाय
- अपने जानवरों को संक्रमित पशुओं से अलग रखें.
- रोग के लक्षण दिखने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए.
- मेला, मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए.
- गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए.
- मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए.
- रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिएय
- अगर गोशाला या उसके आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखें तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी दें.
- एक पशुशाला के श्रमिक को दूसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए.
- पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए.