मेरठ: प्रदेश सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के बुर्के को तीन तलाक की तरह खत्म करने की बात कही है. मंत्री के इस बयान पर उलेमाओं में आक्रोश देखा जा रहा है. देवबंदी उलेमाओं ने मंत्री के बयान की निंदा करते हुए कहा कि बुर्का पहनना इस्लाम धर्म में अनिवार्य है. लेकिन मंत्री को एक जिम्मेदार पद पर होते हुए ऐसे बयान देना गलत है. ऐसे बयान देश को तोड़ने का काम करते हैं.
मुस्लिम धर्म गुरुओं ने की निंदा
योगी सरकार के मंत्री आंनद स्वरूप शुक्ला के इस बयान की चारों और निन्दा की जा रही है. मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मंत्री जी के इस बयान की निंदा की है. जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम इमाम मौलाना कारी इसहाक गोरा ने मंत्री आंनद शुक्ला के बयान की निन्दा करते हुए कहा कि प्रदेश का मंत्री माननीय होता है परन्तु ऐसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए.
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धार्मिक मामलों में न करें दखलंदाजी
उन्होंने कहा कि उनका यह बयान मुसलमानों को धार्मिक भवनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है. कारी इशहाक गोरा ने कहा कि मंत्री को विकास, अच्छे कार्य की बातें करनी चाहिए. बिना कुछ जाने-समझे किसी भी धर्म में दखल नहीं करनी चाहिए. अगर किसी को पर्दे से तकलीफ दिखती है उनको समझ लेना चाहिए इस्लाम की नजर में महिलायें बहुत अहमियत रखती हैं.
मंत्री पद से हटाने की मांग
वहीं, मुफ्ती असद कासमी ने भी मंत्री शुक्ला के इस बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया है. उन्होंने कहा कि मंत्री आंनद स्वरूप शुक्ला मुस्लिम धर्म के ठेकेदार नहीं हैं. मुस्लिम धर्म में महिलाओं के लिए बुर्का या पर्दा लाजमी हैं. बुर्के में रहकर मुस्लिम महिलाएं खुश हैं. मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मंत्री जी इस्लाम धर्म के बारे मे क्या जानते हैं? आपको अपने मजहब से तालुक रखना चाहिए. बुर्के को लेकर दिए इस विवादित बयान से नाराज उलेमाओं ने सीएम योगी से ऐसे मंत्री के हटाने की मांग की है.