ETV Bharat / state

नकली मृतक आश्रित बनकर नौकरी करते रहे टीचर और चपरासी, अब होगी सैलरी की रिकवरी

मेरठ के बेसिक शिक्षा विभाग में दो लोग वर्षों तक नकली मृतक आश्रित बनकर नौकरी करते रहे. इन दोनों के खिलाफ शिकायत के बाद जांच हुई तो सच सामने आया. अब शिक्षा विभाग इन दोनों से सैलरी की रिकवरी करेगा. साथ ही इनके खिलाफ केस भी दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat education department of Meerut
author img

By

Published : Dec 3, 2022, 1:02 PM IST

मेरठ : जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में एक टीचर और एक फोर्थ ग्रेड कर्मचारी (fake Teacher and peon in meerut ) ने वर्षों पहले मृतक के फर्जी आश्रित बनकर नौकरी ले ली. फिर विभाग का कर्मचारी बनकर वर्षों तक तनख्वाह लेते रहे. हद यह है कि दोनों आरोपी के माता-पिता में से किसी ने शिक्षा विभाग में नौकरी नहीं की थी. अब जब जांच में सच सामने आ गया है तो शिक्षा विभाग उनसे रिकवरी की तैयारी कर रहा है ( salary will be recovered) .

मेरठ के बेसिक शिक्षा विभाग ( education department of Meerut ) ने उच्च प्राथमिक विद्यालय नंगलामल में सहायक अध्यापक पद पर तैनात देवेंद्र कुमार और उच्च प्राथमिक विद्यालय डिमौली में अनुदेशक के पद पर नौकरी कर रहे योगेश कुमार की सेवा समाप्त कर दी है. देवेंद्र आर योगेश ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी पाई थी. कई वर्षों तक चली जांच में यह सामने आया है कि दोनों ने फर्जी तरीके से मृतक आश्रित बनकर नौकरी हासिल की थी.

जानकारी देते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार
मेरठ के बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि देवेंद्र कुमार उच्च प्राथमिक विद्यालय नंगलामल में सहायक अध्यापक पद पर तैनात हैं. उनके खिलाफ चली जांच में पता चला कि देवेंद्र 19 नवंबर 1997 से मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी कर रहे थे. जब उच्च प्राथमिक विद्यालय डिमौली में अनुदेशक के पद पर नौकरी कर रहे योगेश की कुंडली जब खंगाली गई तो पता चला कि वह 28 अगस्त 1989 से नौकरी कर रहे हैं. दोनों की नियुक्ति मृतक आश्रित के तौर पर हुई थी. दोनों के खिलाफ कमिश्नर से शिकायत की गई थी. काफी लंबे समय तक दोनों की नियुक्तियों की जांच हुई. जांच रिपोर्ट के आधार पर बीएसए योगेंद्र कुमार ने बताया कि देवेंद्र कुमार ने कहीं न कहीं सांठ-गांठ करके नौकरी हासिल की थी. योगेश कुमार ने भी मृतक आश्रित होने के फर्जी दस्तावेज मृतक लगाए थे. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब दोनों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. अब दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है . इन दोनों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को इन दोनों मामलों में मुकदमा दर्ज कराने को निर्देश दे दिए गए हैं.बीएसए ने बताया कि देवेंद्र ने कम से कम एक करोड़ रुपये शिक्षा विभाग से इस बीच वेतन के तौर पर लिए हैं. योगेश ने भी कम से कम 50 से 60 लाख रुपये की तनख्वाह के तौर पर लिए हैं. अब इन दोनों से सैलरी में ली गई रकम की वसूली की जाएगी. बीएसए ने कहा कि जिले भर में ऐसा कोई और तो मामला नहीं है यह भी पड़ताल अब कराएंगे. पढ़ें : महिला ने लगाया थाने में गैंगरेप का आरोप, एसपी सिटी बोले, दबाब बनाने के लिए दी झूठी शिकायत

मेरठ : जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में एक टीचर और एक फोर्थ ग्रेड कर्मचारी (fake Teacher and peon in meerut ) ने वर्षों पहले मृतक के फर्जी आश्रित बनकर नौकरी ले ली. फिर विभाग का कर्मचारी बनकर वर्षों तक तनख्वाह लेते रहे. हद यह है कि दोनों आरोपी के माता-पिता में से किसी ने शिक्षा विभाग में नौकरी नहीं की थी. अब जब जांच में सच सामने आ गया है तो शिक्षा विभाग उनसे रिकवरी की तैयारी कर रहा है ( salary will be recovered) .

मेरठ के बेसिक शिक्षा विभाग ( education department of Meerut ) ने उच्च प्राथमिक विद्यालय नंगलामल में सहायक अध्यापक पद पर तैनात देवेंद्र कुमार और उच्च प्राथमिक विद्यालय डिमौली में अनुदेशक के पद पर नौकरी कर रहे योगेश कुमार की सेवा समाप्त कर दी है. देवेंद्र आर योगेश ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी पाई थी. कई वर्षों तक चली जांच में यह सामने आया है कि दोनों ने फर्जी तरीके से मृतक आश्रित बनकर नौकरी हासिल की थी.

जानकारी देते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार
मेरठ के बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि देवेंद्र कुमार उच्च प्राथमिक विद्यालय नंगलामल में सहायक अध्यापक पद पर तैनात हैं. उनके खिलाफ चली जांच में पता चला कि देवेंद्र 19 नवंबर 1997 से मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी कर रहे थे. जब उच्च प्राथमिक विद्यालय डिमौली में अनुदेशक के पद पर नौकरी कर रहे योगेश की कुंडली जब खंगाली गई तो पता चला कि वह 28 अगस्त 1989 से नौकरी कर रहे हैं. दोनों की नियुक्ति मृतक आश्रित के तौर पर हुई थी. दोनों के खिलाफ कमिश्नर से शिकायत की गई थी. काफी लंबे समय तक दोनों की नियुक्तियों की जांच हुई. जांच रिपोर्ट के आधार पर बीएसए योगेंद्र कुमार ने बताया कि देवेंद्र कुमार ने कहीं न कहीं सांठ-गांठ करके नौकरी हासिल की थी. योगेश कुमार ने भी मृतक आश्रित होने के फर्जी दस्तावेज मृतक लगाए थे. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब दोनों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. अब दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है . इन दोनों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को इन दोनों मामलों में मुकदमा दर्ज कराने को निर्देश दे दिए गए हैं.बीएसए ने बताया कि देवेंद्र ने कम से कम एक करोड़ रुपये शिक्षा विभाग से इस बीच वेतन के तौर पर लिए हैं. योगेश ने भी कम से कम 50 से 60 लाख रुपये की तनख्वाह के तौर पर लिए हैं. अब इन दोनों से सैलरी में ली गई रकम की वसूली की जाएगी. बीएसए ने कहा कि जिले भर में ऐसा कोई और तो मामला नहीं है यह भी पड़ताल अब कराएंगे. पढ़ें : महिला ने लगाया थाने में गैंगरेप का आरोप, एसपी सिटी बोले, दबाब बनाने के लिए दी झूठी शिकायत
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.