मेरठ: मेरठ मेडिकल कॉलेज (Meerut Medical College) के पीएमएसएसवाई सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक लाल बिल्डिंग स्थित कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) में प्रेस वार्ता हुई. कोर्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के सहायक आर्चाय डा. रोहित कुमार चौहान ने बताया कि सानिया उम्र 15 वर्ष निवासी लावड, जानपद मेरठ, जन्मजात जटिल हृदय रोग-टैट्रालॉजी आफ फैलॉट (ब्लू बेबी सिंड्रोम) से ग्रसित थी. इस रोग से ग्रसित बच्चे जन्म के होठ, जीभ एवं नाखून से नीले रहते है.
मरीज के रोने से या हृदय पर अधिक कार्यभार होने से और अधिक बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए क्योकि हृदय में मुख्य रूप से चार प्रकार के विकार होते है जिसमें हृदय में छेद होना, फेफडों में खून कम जाना, शुद्ध एवं अशुद्ध खून का मिश्रित होना तथा हृदय की मासपेशियों का अनुचित रूप से बढ़ जाना प्रमुख है. एक से ज्यादा विकार होने के कारण इसको जटिल हृदय रोग की श्रेणी में रखा जाता है.
मेरठ में ब्लू बेबी सिंड्रोम की सफल सर्जरी (Successful surgery of blue baby syndrome in Meerut) हुई. ऐसे जटिल हृदय रोग में आपरेशन ही एकमात्र इलाज है, जिसमें हार्ट लंग्स मशीन की सहायता से हृदय को रोककर चारों विकारों को रिपेयर किया जाता है क्योंकि यह एक जटिल रोग है जिसका आपरेशन भी आसान नहीं होता है. आपरेशन के बाद मरीज को विशेष देखरेख की जरूरत होती है. इलाज की खास बात यह है कि आपरेशन होते ही बच्चे का रंग नीले से सामान्य हो जाता है क्योंकि ऑक्सीजन की माात्रा खून में बढ़ जाती है.
सानिया का सफल ऑपरेशन डा. रोहित कुमार चौहान(सर्जन), डा. स्वेता गौतम (एनेस्थेसिया विभाग), शाहरूल मलिक (परफ्यूजनिस्ट), एसिस्टेंट शंकर एवं हरी, आईसीयू स्टाफ किरण, डा. आशीष गोयल, डा. विजय, अमित चौहान एवं विलसन आदि का विशेष योगदान रहा. मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा. वीडी पाण्डेय ने बताया कि निजि अस्पतालो में खर्चा 4 से 5 लाख रुपये होता है, लेकिन लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ (LLRM Medical College in Meerut) में इस इलाज का खर्च राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया. मरीज के 35,000 रुपये खर्च हुए.
प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता, डा. रोहित कुमार चौहान, प्रमुख अधीक्षक डा. धीरज राज, प्रमुख अधीक्षक सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक डा. सुभाष, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. गौरव गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक, डा. तरूण पाल मीडिया प्रभारी डा. वी डी पांण्डेय, डा. अनिल कुमार, डा. प्रेम प्रकाश मिश्रा रहे.