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मेरठ: नौकरी छोड़ कर की औषधीय पौधों की खेती, 10 गुना बढ़ी आमदनी

उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी किसान अशोक चौहान पारंपरिक खेती की जगह मेडिसिनल प्लांट यानी जड़ी-बूटियों की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यदि वैज्ञानिक तरीके से मेडिसिनल प्लांट की खेती की जाए तो इससे 10 गुना अधिक लाभ होता है.

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मेडिसनल प्लांट की खेती से कमा रहे 10 गुना मुनाफा.
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Published : Aug 25, 2020, 11:03 PM IST

मेरठ: युवाओं को भले ही खेती के प्रति लगाव न हो, लेकिन यदि खेती व्यावसायिक दृष्टि से की जाए तो यह काफी लाभकारी साबित होती है. यह साबित करके दिखाया है मेरठ जिले के मटौर गांव में रहने वाले एक किसान ने. इस किसान ने गन्ने और गेहूं की खेती को छोड़कर मेडिसिनल प्लांट की खेती शुरू की. आज इस किसान ने दूसरे अन्य किसानों को भी मेडिसिनल खेती से जोड़ लिया है और यूपी में करीब 100 एकड़ में मेडिसिनल प्लांट की खेती करा रहे हैं. इस किसान का दावा है कि यदि वैज्ञानिक तरीके से मेडिसिनल प्लांट की खेती की जाए तो इससे पारंपरिक खेती से 10 गुना अधिक लाभ होता है.

मेडिसिनल प्लांट की खेती से कमा रहे 10 गुना मुनाफा.
पढ़ाई के दौरान ही आया आइडिया मटौर गांव निवासी किसान अशोक चौहान ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया की एमएससी बॉटनी की पढ़ाई के दौरान वह हारबेरियम के लिए उत्तराखंड गए थे. वहीं पर उन्हें मेडिसिनल प्लांट की खेती करने का विचार आया. पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिन उन्होंने प्राइवेट नौकरी की, लेकिन बाद में उसे छोड़कर मेडिसिनल खेती शुरू कर दी. शुरू में एक दो बीघे से खेती की शुरुआत की गई, जो धीरे-धीरे बढ़ कर अब 100 बीघा पहुंच गई है.गेहूं-गन्ने की खेती छोड़ी अशोक चौहान बताते हैं कि उनके यहां गेहूं गन्ने की परंपरागत खेती होती थी, लेकिन उन्होंने मेडिसिनल प्लांट की खेती शुरू की. हल्दी और तुलसी की खेती से शुरुआत करते हुए अब सर्पगंधा, सतावरी, अकरकरा, एलोवेरा आदि करीब 12 बड़ी क्रॉप वाली मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं.दूसरों को दे रहे रोजगार किसान ने बताया कि शुरुआती दौर में काफी चुनौती का सामना करना पड़ा. शुरू में यह पता नहीं चल रहा था कि जो पैदावार हुई है, उसे कहां बेचें, जिससे नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे बाजार की जानकारी होती चली गई और अब बाजार में हाथों-हाथ उनका माल बिक जाता है. उन्होंने बताया कि यदि बेरोजगार युवा मेडिसिनल प्लांट की खेती करते हैं तो वह न केवल अपनी बेरोजगारी दूर कर सकते हैं, बल्कि अपने साथ दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं.अधिक आमदनी का जरिया किसान अशोक ने बताया कि किसान यदि गेहूं और गन्ने की खेती के साथ खेतों के कुछ हिस्से में मेडिसिनल प्लांट की खेती भी करें तो उन्हें परंपरागत फसलों की खेती के मुकाबले कम से कम पांच गुना अधिक लाभ होगा. किसान शुरू में तुलसी की खेती करके देख सकते हैं. इस समय मेडिसिनल प्लांट को बेचने के लिए कोई समस्या नहीं है, फार्मेसी कंपनियां खुद किसान के पास पहुंचकर उसकी फसल को खरीद लेती हैं.

मेरठ: युवाओं को भले ही खेती के प्रति लगाव न हो, लेकिन यदि खेती व्यावसायिक दृष्टि से की जाए तो यह काफी लाभकारी साबित होती है. यह साबित करके दिखाया है मेरठ जिले के मटौर गांव में रहने वाले एक किसान ने. इस किसान ने गन्ने और गेहूं की खेती को छोड़कर मेडिसिनल प्लांट की खेती शुरू की. आज इस किसान ने दूसरे अन्य किसानों को भी मेडिसिनल खेती से जोड़ लिया है और यूपी में करीब 100 एकड़ में मेडिसिनल प्लांट की खेती करा रहे हैं. इस किसान का दावा है कि यदि वैज्ञानिक तरीके से मेडिसिनल प्लांट की खेती की जाए तो इससे पारंपरिक खेती से 10 गुना अधिक लाभ होता है.

मेडिसिनल प्लांट की खेती से कमा रहे 10 गुना मुनाफा.
पढ़ाई के दौरान ही आया आइडिया मटौर गांव निवासी किसान अशोक चौहान ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया की एमएससी बॉटनी की पढ़ाई के दौरान वह हारबेरियम के लिए उत्तराखंड गए थे. वहीं पर उन्हें मेडिसिनल प्लांट की खेती करने का विचार आया. पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिन उन्होंने प्राइवेट नौकरी की, लेकिन बाद में उसे छोड़कर मेडिसिनल खेती शुरू कर दी. शुरू में एक दो बीघे से खेती की शुरुआत की गई, जो धीरे-धीरे बढ़ कर अब 100 बीघा पहुंच गई है.गेहूं-गन्ने की खेती छोड़ी अशोक चौहान बताते हैं कि उनके यहां गेहूं गन्ने की परंपरागत खेती होती थी, लेकिन उन्होंने मेडिसिनल प्लांट की खेती शुरू की. हल्दी और तुलसी की खेती से शुरुआत करते हुए अब सर्पगंधा, सतावरी, अकरकरा, एलोवेरा आदि करीब 12 बड़ी क्रॉप वाली मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं.दूसरों को दे रहे रोजगार किसान ने बताया कि शुरुआती दौर में काफी चुनौती का सामना करना पड़ा. शुरू में यह पता नहीं चल रहा था कि जो पैदावार हुई है, उसे कहां बेचें, जिससे नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे बाजार की जानकारी होती चली गई और अब बाजार में हाथों-हाथ उनका माल बिक जाता है. उन्होंने बताया कि यदि बेरोजगार युवा मेडिसिनल प्लांट की खेती करते हैं तो वह न केवल अपनी बेरोजगारी दूर कर सकते हैं, बल्कि अपने साथ दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं.अधिक आमदनी का जरिया किसान अशोक ने बताया कि किसान यदि गेहूं और गन्ने की खेती के साथ खेतों के कुछ हिस्से में मेडिसिनल प्लांट की खेती भी करें तो उन्हें परंपरागत फसलों की खेती के मुकाबले कम से कम पांच गुना अधिक लाभ होगा. किसान शुरू में तुलसी की खेती करके देख सकते हैं. इस समय मेडिसिनल प्लांट को बेचने के लिए कोई समस्या नहीं है, फार्मेसी कंपनियां खुद किसान के पास पहुंचकर उसकी फसल को खरीद लेती हैं.
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