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ब्लैक फंगस से कैसे करें बचाव और क्या हैं इसके लक्षण, यहां पढ़ें - मेरठ ताजा समाचार

अभी कोरोना की मुसीबत खत्म भी नहीं हुई है कि मरीजों के सामने अब ब्लैक फंगस एक नयी मुसीबत के रुप में सामने आया है. मेरठ जिले में अभी तक 66 लोगों में ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमायकॉसिस की पुष्टि हो चुकी है. इनमें से 5 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. खौफ का आलम यह है कि कई तीमारदार अपने मरीजों को यहां के अस्पताल से रेफर कराकर दिल्ली का रुख कर चुके हैं.

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ब्लैक फंगस
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Published : May 20, 2021, 10:55 PM IST

मेरठ : पहली बार 11 मई को मेरठ जिले में ब्लैक फंगस के 3 मरीजों की पुष्टि हुई. इनमें से मेरठ के अलावा एक मुजफ्फरनगर और एक बिजनौर के रहने वाले थे. 14 मई को 5 नए कोविड मरीजों में म्यूकोरमायकॉसिस यानि ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई. 15 मई को ब्लैक फंगस से पहली बार किसी मरीज की मौत हुई. इसके बाद मानो जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की बाढ़ आ गई.

वीडियो रिपोर्ट

मेरठ में ब्लैक फंगस के मामले

तारीखमामले
11 मई3 मरीज
14 मई5 मरीज
17 मई16 मरीज, 2 मौत
18 मई7 मरीज, 3 मौत
19 मई15 मरीज
20 मई20 मरीज

अब तक जिले में ब्लैक फंगस के 66 मामले सामने आए हैं जिनमें से अधिकांश कोरोना मरीज हैं. डॉ. अंकुर उपाध्याय का कहना है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण नाक से शुरू होकर आंखों के रास्ते दिमाग तक पहुंचता है. ब्लैक फंगस को मरीज के गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिलती है. आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है. फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है.

ब्लैक फंगस के शुरूआती लक्षण

1. मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.

2. आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द रहने लगता है.

3. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है.

4. खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार रहता है.

5. मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.

6. दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.

7. कई मरीजों को धुंधला दिखने लगता है.

8. मरीजों को सीने में दर्द होता है.

9. स्थिति बेहद खराब होने की स्थिति में मरीज बेहोश हो भी जाता है.

कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक

विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इलाज के दौरान स्टेरॉयड की ज्यादा डोज और लंबे समय तक आईसीयू में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन पर रहने कोरोना मरीजों की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है. ब्लैक फंगस त्वचा के साथ नाक, फेफड़े और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है. हालत गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो जाती है.

ब्लैक फंगस से कैसे करें बचाव

1. नल के पानी और मिनरल वाटर बिना उबाले नहीं पीना चाहिए.

2. धूल भरे निर्माणस्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करना चाहिए.

3. मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, फुल बाजू की कमीज और दस्ताने पहनने चाहिए.

4. घर एवं शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

5. कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और शुगर के रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें.

6. स्टेरॉयड दवाओं का जरूरत के अनुसार डॉक्टरों की सलाह पर ही सेवन करना चाहिए.

7. आभास होते ही फंगल का पता लगाने के लिए जांच करानी चाहिए.

हमारे वातावरण में मौजूद हैं ब्लैक फंगस

डॉ. अंकुर उपाध्याय कहते हैं कि मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहेगा, उसमें ब्लैक फंगस फैलने का खतरा उतना ही ज्यादा रहेगा. वह बताते हैं कि ब्लैक फंगस हमारे वातावरण में पहले से ही मौजूद हैं. जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है या फिर गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों में यह फैलता है. डायबिटीज, कैंसर और किडनी की गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों में भी ब्लैक फंगस होने का खतरा रहता है.

इसे भी पढ़ें - UP में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस होंगी शुरू, जारी हुआ आदेश

मेरठ : पहली बार 11 मई को मेरठ जिले में ब्लैक फंगस के 3 मरीजों की पुष्टि हुई. इनमें से मेरठ के अलावा एक मुजफ्फरनगर और एक बिजनौर के रहने वाले थे. 14 मई को 5 नए कोविड मरीजों में म्यूकोरमायकॉसिस यानि ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई. 15 मई को ब्लैक फंगस से पहली बार किसी मरीज की मौत हुई. इसके बाद मानो जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की बाढ़ आ गई.

वीडियो रिपोर्ट

मेरठ में ब्लैक फंगस के मामले

तारीखमामले
11 मई3 मरीज
14 मई5 मरीज
17 मई16 मरीज, 2 मौत
18 मई7 मरीज, 3 मौत
19 मई15 मरीज
20 मई20 मरीज

अब तक जिले में ब्लैक फंगस के 66 मामले सामने आए हैं जिनमें से अधिकांश कोरोना मरीज हैं. डॉ. अंकुर उपाध्याय का कहना है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण नाक से शुरू होकर आंखों के रास्ते दिमाग तक पहुंचता है. ब्लैक फंगस को मरीज के गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिलती है. आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है. फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है.

ब्लैक फंगस के शुरूआती लक्षण

1. मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.

2. आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द रहने लगता है.

3. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है.

4. खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार रहता है.

5. मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.

6. दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.

7. कई मरीजों को धुंधला दिखने लगता है.

8. मरीजों को सीने में दर्द होता है.

9. स्थिति बेहद खराब होने की स्थिति में मरीज बेहोश हो भी जाता है.

कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक

विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इलाज के दौरान स्टेरॉयड की ज्यादा डोज और लंबे समय तक आईसीयू में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन पर रहने कोरोना मरीजों की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है. ब्लैक फंगस त्वचा के साथ नाक, फेफड़े और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है. हालत गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो जाती है.

ब्लैक फंगस से कैसे करें बचाव

1. नल के पानी और मिनरल वाटर बिना उबाले नहीं पीना चाहिए.

2. धूल भरे निर्माणस्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करना चाहिए.

3. मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, फुल बाजू की कमीज और दस्ताने पहनने चाहिए.

4. घर एवं शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

5. कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और शुगर के रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें.

6. स्टेरॉयड दवाओं का जरूरत के अनुसार डॉक्टरों की सलाह पर ही सेवन करना चाहिए.

7. आभास होते ही फंगल का पता लगाने के लिए जांच करानी चाहिए.

हमारे वातावरण में मौजूद हैं ब्लैक फंगस

डॉ. अंकुर उपाध्याय कहते हैं कि मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहेगा, उसमें ब्लैक फंगस फैलने का खतरा उतना ही ज्यादा रहेगा. वह बताते हैं कि ब्लैक फंगस हमारे वातावरण में पहले से ही मौजूद हैं. जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है या फिर गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों में यह फैलता है. डायबिटीज, कैंसर और किडनी की गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों में भी ब्लैक फंगस होने का खतरा रहता है.

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