मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग की शोध टीम ने एक ऐसा गोंद तैयार किया है, जो एक बार लगेगा तो फिर छूटेगा नहीं. इसका पेटेंट भी विश्वविद्यालय ने हासिल कर लिया है. इस खास गोंद की सबसे खास बात तो ये है कि ये 72 घंटे तक पानी में भी मजबूत पकड़ बरकरार रखता है. रसायन विज्ञान के शोध छात्र 4 साल में इस फार्मूले को बनाने में कामयाब हुए हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर नाजिया तरन्नुम और रिसर्च स्कॉलर रिज़वान ने एक खास गोंद तैयार किया है. दावा यह किया जा रहा है कि पानी भी 72 घंटे तक इस खास गोंद पर असर नहीं डाल सकेगा, जबकि बाकी गोंद पानी के सम्पर्क में आने पर जल्द ही निष्क्रिय हो जाते हैं. भारत सरकार ने अब इस प्रयोग को पेटेंट भी प्रदान कर दिया है. प्रायः आमतौर पर देखा जाता है कि फर्नीचर, निर्माण एवं अन्य उपयोगों में आने वाला गोंद पानी में भीगने पर अपनी पकड़ छोड़ देता है, लेकिन अब पानी के सीधे संपर्क में आने पर भी तत्काल गोंद अपनी पकड़ कमजोर नहीं करेगा.
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर नाज़िया तरन्नुम के मार्गदर्शन में रिसर्च स्कॉलर पिछले 4 साल से इस खास गोंद को बनाने के लिए लगातार शोध कर रहे थे. नाजिया बताती हैं कि करीब 4 साल तक शोध किया गया है. उसके बाद अब भारत सरकार ने भी उनके शोध को सराहा है. पेटेंट भी प्रदान कर दिया है. नाजिया कहती हैं कि आमतौर पर वुड इंडस्ट्री व कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में गोंद की काफी डिमांड होती है. काफी कीमत लोगों को चुकानी पड़ती थी. वो कहती हैं कि अगर किसी को कम भी चाहिए तो उसे अधिक पैसे खर्च करने होते हैं. अब जो शोध हुआ है, उससे गोंद सस्ता हुआ है और किफायती भी.
असिस्टेंट प्रोफेसर नाजिया ने बताया कि आमतौर पर बाजार में काफी महंगी कीमत गोंद के लिए चुकानी होती है, लेकिन जो शोध करके खास गोंद तैयार किया गया है ये न सिर्फ तीन गुना सस्ता है, बल्कि इसकी लकड़ी भी अन्य गोंद से तीन गुणा अधिक है. शोध करने वाले रिसर्च स्कॉलर रिजवान कहते हैं कि घंटों लैब में वर्षों से इस फार्मूले को बनाने में लगे हैं, वे कहते हैं कि नाजिया के मार्गदर्शन से यह सम्भव हुआ है. उन्होंने बताया कि नॉर्मल गोंद में हम अपने गोंद को मिलाएंगे और उसके बाद तीन गुना ताकत फिर उसकी बढ़ जाएगी.
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इस बारे में यूनिवर्सिटी की तरफ से भी शोध करने वाली टीम की हैसला आफजाई की गई है. प्रोफेसर नाजिया ने बताया कि विश्वविद्यालय में ईजाद किए गए इस फार्मूले को अगले चरण में ले जाने को लक्ष्य बना रहे हैं, ताकि इसका लाभ लोगों को मिल सके. इस रिसर्च पर पूरा खर्चा जो भी आया है वह विश्वविद्यालय ने वहन किया है. इस तैयार यौगिक को पॉलीविनाइल के साथ मिश्रित करके प्रयोग में लाया जा सकेगा. फिलहाल अब तैयारी ये हो रही है कि इस तरफ कोई इंडस्ट्री उनसे संपर्क करे तो ये योगिक (खास गोंद) लोगों को बाजार में मिल सके.