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दूसरे चरण में पहुंचा पहली रैपिड रेल के लिए ट्रैक बिछाने का कार्य

दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक प्रस्तावित रैपिड रेल पर अब ट्रैक बिछाने के दूसरे चरण का कार्य शुरू कर दिया गया है. उम्मीद की जा रही है कि रैपिड रेल का पहला हिस्सा दुहाई डिपो और साहिबाबाद के बीच मार्च 2023 में तैयार हो जाएगा.

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल का कार्य शुरू
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल का कार्य शुरू
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Published : Aug 28, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 8:02 PM IST

मेरठ: दिल्ली-मेरठ को जोड़ने वाली पहली रैपिड रेल का संचालन 2023 में शुरू होने का दावा किया जा रहा है. यहां, अब प्रायोरिटी कॉरिडोर में आरआरटीएस ट्रैक बिछाने की गतिविधियां दूसरे चरण में पहुंच गई हैं. अधिकारियों का दावा है कि कार्य तेज गति से चल रहा है, ताकि समय से कार्य को पूर्ण किया जा सके.

इन दिनों दिल्ली से मेरठ के लिए करीब 70 किलोमीटर लंबे रूट पर देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का कार्य अब बेहद तीव्र गति पर चलने का दावा अधिकारी कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, प्रायोरिटी कॉरिडोर में आरआरटीएस ट्रैक बिछाने की गतिविधियां दूसरे चरण में पहुंच गई हैं. आरआरटीएस ट्रैक के निर्माण के लिए रेल की पटरियों को ट्रैक स्लैब पर रखने के बाद उन्हें आपस में जोड़ने के लिए मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग प्लांट को क्रेन के जरिए आरआरटीएस वायडक्ट (जिस पर ट्रेन चलती है) पर स्थापित किया गया है.

आरआरटीएस वायडक्ट पर ट्रैक बिछाने की गतिविधियों के अंतर्गत रेल की पटरियों की वेल्डिंग से जोड़ा जाता है. मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग प्लांट 18-18 मीटर लंबे रेल के पटरियों को वायडक्ट पर उच्च क्वालिटी की वैल्डिंग से जोड़ देता है. यह दोनों दिशाओं के ट्रैक निर्माण में कार्य कर सकता है. वेल्डिंग करने की सुविधा से लैस इस मोबाइल प्लांट को स्थापित करने के लिए 180 टन के क्रेन की मदद ली गई है. यह प्लांट अभी गुलधर व दुहाई के बीच स्थापित किया गया है. शीघ्र ही ट्रैक बनाने के काम को तेज करने के लिए इस प्रकार का एक और प्लांट साहिबाबाद से गाजियाबाद के बीच के वायडक्ट पर भी स्थापित किया जाएगा.

एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर के ट्रैक सिस्टम के लिए प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब टेक्नालॉजी का उपयोग कर रहा है जो शताब्दी नगर स्थित कास्टिंग यार्ड में निर्मित किए जा रहे हैं. एनसीआरटीसी द्वारा प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक का प्रयोग भारत में पहली बार रीजनल रैपिड रेल के निर्माण में किया जा रहा है. यह उच्च-क्षमता वाले बैलास्टलेस ट्रैक हैं, जिसे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है. इस कारण ट्रैक की जीवन-चक्र की लागत कम होती है. इसकी मदद से एनसीआरटीसी हाइ स्पीड व हाई फ्रीक्वेंसी वाली आरआरटीएस ट्रेन चलाने में सक्षम होगा. संचालन के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करेगा, जिसकी डिजाइन और औसत गति क्रमशः 180 किमी प्रति घंटा और 100 किमी प्रति घंटा की होगी.

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साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी वाले प्राथमिकता खंड में आरआरटीएस स्टेशन के डिजाइन व आर्किटेक्चर का कार्य फाइनल होने के साथ ही निर्माण कार्य आगे बढ़ रहा है. सभी स्टेशनों के सुपरस्ट्रक्चर का निर्माण कार्य एडवांस स्टेज पर है. वर्तमान में पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. लगभग 9 किमी आरआरटीएस वायडक्ट के साथ एलिवेटेड सेक्शन के 900 पियर पहले ही पूरे हो चुके हैं, जिसका ज्यादातर हिस्सा प्राथमिकता खंड में स्थित है.

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आरआरटीएस कॉरीडोर में अभी 16 लॉन्चिंग गैंट्रीज़ (तारिणी) एलिवेटेड सेक्शन के निर्माण के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. भूमिगत स्टेशन के लिए भी निर्माण कार्य प्रारम्भ हो चुका है. साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक और 2025 तक पूर्ण कॉरिडोर को शुरू करने का लक्ष्य है.

मेरठ: दिल्ली-मेरठ को जोड़ने वाली पहली रैपिड रेल का संचालन 2023 में शुरू होने का दावा किया जा रहा है. यहां, अब प्रायोरिटी कॉरिडोर में आरआरटीएस ट्रैक बिछाने की गतिविधियां दूसरे चरण में पहुंच गई हैं. अधिकारियों का दावा है कि कार्य तेज गति से चल रहा है, ताकि समय से कार्य को पूर्ण किया जा सके.

इन दिनों दिल्ली से मेरठ के लिए करीब 70 किलोमीटर लंबे रूट पर देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का कार्य अब बेहद तीव्र गति पर चलने का दावा अधिकारी कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, प्रायोरिटी कॉरिडोर में आरआरटीएस ट्रैक बिछाने की गतिविधियां दूसरे चरण में पहुंच गई हैं. आरआरटीएस ट्रैक के निर्माण के लिए रेल की पटरियों को ट्रैक स्लैब पर रखने के बाद उन्हें आपस में जोड़ने के लिए मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग प्लांट को क्रेन के जरिए आरआरटीएस वायडक्ट (जिस पर ट्रेन चलती है) पर स्थापित किया गया है.

आरआरटीएस वायडक्ट पर ट्रैक बिछाने की गतिविधियों के अंतर्गत रेल की पटरियों की वेल्डिंग से जोड़ा जाता है. मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग प्लांट 18-18 मीटर लंबे रेल के पटरियों को वायडक्ट पर उच्च क्वालिटी की वैल्डिंग से जोड़ देता है. यह दोनों दिशाओं के ट्रैक निर्माण में कार्य कर सकता है. वेल्डिंग करने की सुविधा से लैस इस मोबाइल प्लांट को स्थापित करने के लिए 180 टन के क्रेन की मदद ली गई है. यह प्लांट अभी गुलधर व दुहाई के बीच स्थापित किया गया है. शीघ्र ही ट्रैक बनाने के काम को तेज करने के लिए इस प्रकार का एक और प्लांट साहिबाबाद से गाजियाबाद के बीच के वायडक्ट पर भी स्थापित किया जाएगा.

एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर के ट्रैक सिस्टम के लिए प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब टेक्नालॉजी का उपयोग कर रहा है जो शताब्दी नगर स्थित कास्टिंग यार्ड में निर्मित किए जा रहे हैं. एनसीआरटीसी द्वारा प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक का प्रयोग भारत में पहली बार रीजनल रैपिड रेल के निर्माण में किया जा रहा है. यह उच्च-क्षमता वाले बैलास्टलेस ट्रैक हैं, जिसे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है. इस कारण ट्रैक की जीवन-चक्र की लागत कम होती है. इसकी मदद से एनसीआरटीसी हाइ स्पीड व हाई फ्रीक्वेंसी वाली आरआरटीएस ट्रेन चलाने में सक्षम होगा. संचालन के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करेगा, जिसकी डिजाइन और औसत गति क्रमशः 180 किमी प्रति घंटा और 100 किमी प्रति घंटा की होगी.

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साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी वाले प्राथमिकता खंड में आरआरटीएस स्टेशन के डिजाइन व आर्किटेक्चर का कार्य फाइनल होने के साथ ही निर्माण कार्य आगे बढ़ रहा है. सभी स्टेशनों के सुपरस्ट्रक्चर का निर्माण कार्य एडवांस स्टेज पर है. वर्तमान में पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. लगभग 9 किमी आरआरटीएस वायडक्ट के साथ एलिवेटेड सेक्शन के 900 पियर पहले ही पूरे हो चुके हैं, जिसका ज्यादातर हिस्सा प्राथमिकता खंड में स्थित है.

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आरआरटीएस कॉरीडोर में अभी 16 लॉन्चिंग गैंट्रीज़ (तारिणी) एलिवेटेड सेक्शन के निर्माण के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. भूमिगत स्टेशन के लिए भी निर्माण कार्य प्रारम्भ हो चुका है. साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक और 2025 तक पूर्ण कॉरिडोर को शुरू करने का लक्ष्य है.

Last Updated : Aug 28, 2021, 8:02 PM IST
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