मेरठ: एलोवेरा की बढ़ती डिमांड के चलते किसानों का रुझान अब इसकी खेती के प्रति बढ़ता जा रहा है. वेस्ट यूपी में एलोवेरा की वैज्ञानिक खेती के लिए कृषि वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं, ताकि इसकी फसल से वेस्ट यूपी के किसान अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें. लिहाजा सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक टिशू कल्चर लैब में एलोवेरा की उन्नत प्रजाति विकसित करने में जुटे हैं.
एलोवेरा की खेती से किसान कमाएंगे दोगुना लाभ
एलोवेरा के नाम और उसके औषधीय गुणों की जानकारी सामने आने के बाद जिस तरह से इसकी डिमांड बाजार में बढ़ रही है, उसे देखते हुए किसान अब एलोवेरा की खेती के प्रति अपना रुझान दिखा रहे हैं. क्योंकि वेस्ट यूपी में गन्ने की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन अब कृषि वैज्ञानिक यहां के किसानों की आय दोगुना करने के लिए एलोवेरा की वैज्ञानिक खेती कराने की दिशा में काम कर रहे हैं.
किसानों को प्रोफेशनल बनाने की पहल
वेस्ट यूपी में कुछ किसान एलोवेरा की खेती कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक किसान वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह प्रोफेशनल होकर खेती नहीं करेंगे, तब तक उसका अधिक लाभ इस खेती से नहीं लिया जा सकता.
50 हजार से शुरू की जा सकती है एलोवेरा की खेती
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि एलोवेरा की खेती एक हेक्टेयर जमीन में केवल 50 हजार रुपये की लागत से की जा सकती है. उसके बाद करीब पांच साल तक यह फसल उत्पादन देगी, जिससे पांच साल में करीब आठ से दस लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.
वेस्ट यूपी में किसानों को एलोवेरा की खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए यूनिवर्सिटी की टिशू कल्चर लैब में एलोवेरा की उन्नत प्रजाति विकसित की जा रही है, ताकि किसान अधिक गुणवत्ता वाली उपज लेकर अधिक मुनाफा कमा सकें. इसकी फसल लेने के लिए जुलाई और अक्टूबर का समय अत्यधिक उपयोगी है.
-डॉ. आरएस सेंगर, प्रोफेसर, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय