मेरठः मौसम में उतार-चढ़ाव के बीच अब धान की फसल पर ब्लास्ट रोग का खतरा मंडरा रहा है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते यदि रोग की पहचान कर उसका उपचार नहीं किया गया तो फसल में नुकसान का सामना किसानों को उठाना पड़ सकता हैं. इसलिए किसानों को समय रहते फसल पर लगने वाले रोग का निदान करना जरूरी हैं.
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धान की फसल पर ब्लास्ट रोग का खतरा
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के डीन डॉक्टर रामजी सिंह ने बताया इस समय धान की फसल पर विशेष निगरानी रखने का समय है. इस समय जो मौसम है उसमें धान की फसल पर ब्लास्ट रोग का खतरा रहता है. इस रोग के चलते धान की फसल बर्बाद हो जाती है. जिससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है.
तीन तरह के ब्लास्ट रोग
कृषि विश्वविद्यालय के डीन रामजी सिंह के अनुसार इस समय तीन तरह के ब्लास्ट रोग धान की फसल पर आते हैं. जिसमें एक झोंका रोग जिसे लीफ ब्लास्ट रोग भी कहते हैं, दूसरा शीथ ब्लाइट रोग और तीसरा जीवाणु झुलसा रोग शामिल है.
लीफ ब्लास्ट रोग में धान की पत्ती पर आंख के आकार जैसा धब्बा बनता है. धीरे-धीरे यह धब्बे बड़े हो जाते हैं. जिससे पूरी पत्ती उनकी चपेट में आ जाती है और वह पत्ती को नष्ट कर देते हैं.
शीथ ब्लाइट रोग भी फफूंदी जनक रोग है. इस रोग की चपेट में आने पर फसल में चावल नहीं बनता. इसी तरह जीवाणु झुलसा रोग भी धान की फसल को बर्बाद कर देता है.
समय रहते करें उपचार
धान की फसल में लगने वाले रोगों की यदि समय से पहचान कर ली जाए तो उपचार के माध्यम से उसे दूर किया जा सकता है. रोग का पता चलने पर तुरंत किसानों को उसका वैज्ञानिक सलाह के साथ उपचार करना चाहिए. समय रहते दवा के छिड़काव से फसल को रोग मुक्त किया जा सकता है. जिससे फसल का उत्पादन अच्छा होगा और उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित नहीं होगी.