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राइट टू एजुकेशन, गरीब बच्चों को कॉन्वेंट में पढ़ाने के लिए 8000 आवेदन, सिर्फ 25% को ही मिला दाखिला - meerut BSA Yogendra Kumar

मेरठ में राइट टू एजुकेशन (Right to Education) के तहत गरीब बच्चों के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने के लिए 8 हजार आवेदन सामने आए. लेकिन, इनमें सिर्फ एक-चौथाई बच्चों को ही दाखिला मिला. आवेदन करने वाले लोगों ने कहा कि आवश्यक सर्टिफिकेट के नाम पर उन्हें बार-बार दौड़ाया जा रहा था, जिससे परेशान होकर उन्होंने दूसरे स्कूल में बच्चों का दाखिला करा दिया.

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Published : Dec 24, 2022, 12:58 PM IST

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने कम दाखिले की बताई वजह

मेरठः प्रदेश में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) के तहत गरीब बच्चों के कॉन्वेंट स्कूल में होने वाले प्रवेश सफेद हाथी बनकर रह गए हैं. आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत एक लाख रुपये से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाना था. लेकिन, मेरठ में जितने आवेदन आए उनमें से महज एक चौथाई बच्चों के दाखिले कॉन्वेंट स्कूलों में हो पाए हैं. 6-14 वर्ष के जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में पढ़ने का अवसर मिल सके, इसके लिए हर वर्ष राइट टू एजुकेशन के तहत कॉन्वेंट स्कूलों में दाखिले दिए जाते हैं.

जिला बेसिक शिक्षा के अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि इस सत्र में राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले के लिए करीब साढ़े 8 हजार आवेदन-पत्र आए थे. इनमें से सिर्फ 3938 पात्र पाए गए. बीएसए ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विद्यालयों में एडमिशन के लिए लिए पत्र जारी किए थे, जिसमें से 2998 बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत प्रवेश लिया है. इसके साथ ही 556 बच्चों के अविभावक अथॉरिटी लेटर ही लेने नहीं आए. वहीं, 1084 छात्र ऐसे भी थे, जिनके अभिभावकों ने भी विभाग से आकर दाखिले के लिए अनिवार्य ऑथारिटी लेटर नहीं लिया.

बीएसए ने बताया कि जिन बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले नहीं लिए उनके अभिवावकों से सम्पर्क करने की कोशिश की गई. दाखिले के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया. विभाग ने विज्ञप्ति निकालकर भी लोगों को अवगत कराने की कोशिश की. लेकिन, बावजूद इसके लोगों ने बच्चों के दाखिले में रुचि नहीं दिखाई. बेसिक शिक्षा अधिकारी का मानना है कि लोग अपने बच्चों के दाखिला सिर्फ ख्याति प्राप्त विद्यालयों में ही कराना चाहते थे.

ईटीवी भारत ने उन लोगों से भी बात करने की कोशिश की, जो अपने बच्चे का दाखिला कॉन्वेंट स्कूल में चाहते थे. लेकिन, उन्होंने नहीं कराया. लिसाड़ी गेट के महफूज ने बताया कि दाखिले में कभी वेरिफिकेशन तो कभी-कभी आवश्यक सर्टिफिकेट के नाम पर बार-बार दफ्तर के चक्कर लगाना पड़ रहा था. लेकिन, जब बात नहीं बनी तो बच्चों का दाखिला दूसरी जगह करा दिया. वहीं, माधवपुरम की नीलम ने बताया कि वो अपनी बच्ची को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती थी, लेकिन बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने से परेशान होकर उन्होंने कॉन्वेंट स्कूल में बेटी को पढ़ाने की उम्मीद छोड़ दी.

विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस दौरान ऐसे आवेदन पत्र भी सामने आए. जो शर्तों को पूरा करने का दावा करते हुए एडमिशन तो चाहते थे. लेकिन, बाद में कहीं पकड़े न जाएं, इस वजह से उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला नहीं कराया. जिले में 8 हजार आवेदन में सिर्फ 2298 बच्चे ही इस योजना के तहत कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेः राजधानी के कई डिग्री कॉलेजों में परास्नातक में प्रवेश का मौका, दो बार चांस देने के बाद भी सीटें खाली

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने कम दाखिले की बताई वजह

मेरठः प्रदेश में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) के तहत गरीब बच्चों के कॉन्वेंट स्कूल में होने वाले प्रवेश सफेद हाथी बनकर रह गए हैं. आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत एक लाख रुपये से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाना था. लेकिन, मेरठ में जितने आवेदन आए उनमें से महज एक चौथाई बच्चों के दाखिले कॉन्वेंट स्कूलों में हो पाए हैं. 6-14 वर्ष के जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में पढ़ने का अवसर मिल सके, इसके लिए हर वर्ष राइट टू एजुकेशन के तहत कॉन्वेंट स्कूलों में दाखिले दिए जाते हैं.

जिला बेसिक शिक्षा के अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि इस सत्र में राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले के लिए करीब साढ़े 8 हजार आवेदन-पत्र आए थे. इनमें से सिर्फ 3938 पात्र पाए गए. बीएसए ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विद्यालयों में एडमिशन के लिए लिए पत्र जारी किए थे, जिसमें से 2998 बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत प्रवेश लिया है. इसके साथ ही 556 बच्चों के अविभावक अथॉरिटी लेटर ही लेने नहीं आए. वहीं, 1084 छात्र ऐसे भी थे, जिनके अभिभावकों ने भी विभाग से आकर दाखिले के लिए अनिवार्य ऑथारिटी लेटर नहीं लिया.

बीएसए ने बताया कि जिन बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले नहीं लिए उनके अभिवावकों से सम्पर्क करने की कोशिश की गई. दाखिले के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया. विभाग ने विज्ञप्ति निकालकर भी लोगों को अवगत कराने की कोशिश की. लेकिन, बावजूद इसके लोगों ने बच्चों के दाखिले में रुचि नहीं दिखाई. बेसिक शिक्षा अधिकारी का मानना है कि लोग अपने बच्चों के दाखिला सिर्फ ख्याति प्राप्त विद्यालयों में ही कराना चाहते थे.

ईटीवी भारत ने उन लोगों से भी बात करने की कोशिश की, जो अपने बच्चे का दाखिला कॉन्वेंट स्कूल में चाहते थे. लेकिन, उन्होंने नहीं कराया. लिसाड़ी गेट के महफूज ने बताया कि दाखिले में कभी वेरिफिकेशन तो कभी-कभी आवश्यक सर्टिफिकेट के नाम पर बार-बार दफ्तर के चक्कर लगाना पड़ रहा था. लेकिन, जब बात नहीं बनी तो बच्चों का दाखिला दूसरी जगह करा दिया. वहीं, माधवपुरम की नीलम ने बताया कि वो अपनी बच्ची को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती थी, लेकिन बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने से परेशान होकर उन्होंने कॉन्वेंट स्कूल में बेटी को पढ़ाने की उम्मीद छोड़ दी.

विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस दौरान ऐसे आवेदन पत्र भी सामने आए. जो शर्तों को पूरा करने का दावा करते हुए एडमिशन तो चाहते थे. लेकिन, बाद में कहीं पकड़े न जाएं, इस वजह से उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला नहीं कराया. जिले में 8 हजार आवेदन में सिर्फ 2298 बच्चे ही इस योजना के तहत कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

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