मेरठ : कोरोना संक्रमण से पूरे देश में कोहराम मचा है. लोग इस संक्रमण से अपनों को बचाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं. वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जो इस आपदा में अवसर की तलाश कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मेरठ में सामने आया है. यहां कोरोना के इलाज में मददगार इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी जोरों पर चल रही है.
इसे रोकने के लिए जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है. संक्रमित मरीजों के लिए संजीवनी का काम कर रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में व्यवस्था की गई है. यानि अब सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट से मरीजों के परिजनों को ये इंजेक्शन दिया जा रहा है. यहां रेमडेसिविर इंजेक्शन महज 1800 रुपये में आसानी से उपलब्ध है.
जिला प्रशासन की अनोखी पहल
बता दें कि रेमडेसिविर इंजेक्शन 25 से 45 हजार रुपये तक ब्लैक में बेचा जा रहा था. पुलिस ने इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का खुलासा कर कई लोगों को सलाखों के पीछे भेज दिया. इंजेक्शन की बढ़ती कालाबाजारी को देखते हुए जिला प्रशासन ने रियायती दरों पर इंजेक्शन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इंजेक्शन का दुरुपयोग न हो, इसके लिए बकायदा नियम एवं मानक तैयार किए गए है ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज को आसानी से इंजेक्शन मुहैया कराया जा सके. इस दिशा में सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने की अनोखी पहल की गयी है.
मरीज के जरूरी कागज एवं आधार कार्ड लाना अनिवार्य
सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. इंजेक्शन लेने के लिए जरूरतमंद को मरीज के कोरोना रिपोर्ट, जरूरी कागजात और डॉक्टर का पर्चा दिखाना होगा. इसके बाद उन्हें हाथों-हाथ सस्ती दरों पर इंजेक्शन दे दिया जाएगा. रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की शिकायतों के बीच ये पहल की गई है.
सरकारी डॉक्टरों की निगरानी में दिया जा रहा इंजेक्शन
सिटी मजिस्ट्रेट सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही थी. ये इंजेक्शन जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा था. जरूरतमंदों तक इसे पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने कोर्ट में इंजेक्शन का स्टॉक लगाया है. यहां हर जरूरतमंद को जरूरी कागज दिखाने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन आसानी से मिल जाएगा. इसके लिए डॉक्टर का पर्चा और मरीज की तमाम रिपोर्ट दिखानी होगी. ये भी दिखाना होगा कि मरीज कब से अस्पताल में भर्ती है और क्या उसे वाकई इस इंजेक्शन की जरूरत है. कोर्ट परिसर में कागजों की जांच के लिए डॉक्टर और सीएमओ की टीम भी मौजूद है.
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सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि परिजन एवं तीमारदार को इसका भी प्रमाण देना होगा कि इंजेक्शन मरीज को ही लगाया गया है. इंजेक्शन का कहीं दुरूपयोग ना हो या इसकी कालाबाजारी ना हो, इस पर निगरानी रखी जा रही है.