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4 साल बाद भी 9 लाख पात्रों को नसीब नहीं हुए आयुष्मान कार्ड - Record of Ayushman Bharat Scheme in Meerut

मेरठ में 4 साल के बाद भी 9 लाख से भी अधिक ऐसे पात्र हैं, जिन्हें आयुष्मान योजना का कार्ड तक भी नसीब नहीं हुआ है. वहीं, सीएमओ का कहना है कि लोगों तक कार्ड पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है.

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आयुष्मान भारत योजना
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Published : Sep 24, 2022, 4:21 PM IST

मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) उन जरूरतमंदों के लिए केंद्र सरकार लाई थी, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वे बीमार पड़ें तो 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार उनका हो सके, लेकिन योजना के 4 साल के बाद भी मेरठ में 9 लाख से भी अधिक ऐसे पात्र हैं, जिन्हें इस योजना का कार्ड तक भी नसीब नहीं हुआ है.

दरअसल, पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत 4 साल पहले की थी. मंशा स्पष्ट थी कि ऐसे लोग जो निर्धन हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति महंगा उपचार कराने की नहीं होती थी, ऐसे लोगों का पांच लाख रुपये तक निःशुल्क उपचार हो सके और उनका जीवन बचाया जा सके. इसके लिए 2011 की जनगणना के आधार पर स्थायी पात्रता सूची बनाई गई, उस सूची के आधार पर मेरठ जिले में कुल 12 लाख 55 हजार ऐसे पात्र चिन्हित किए गए जो कि सरकार की इस योजना के अंतर्गत किसी भी बीमारी का पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार करा सकते थे. लेकिन कई साल गुजर चुके, पर स्वास्थ्य विभाग आज तक भी जिले में जरूरतमंदों के आयुष्मान कार्ड तक नहीं बनवा पाया, जबकि समय-समय पर कार्ड बनवाने के दावे जरूर किए जाते रहे हैं.

जानकारी देते हुए डीएम मेरठ दीपक मीणा

मेरठ सीएमओ अखिलेश मोहन का कहना है कि जिले में 12 लाख 55 हजार लोगों की सूची उन्हें मिली थी, जिनके ये कार्ड बनने हैं, लेकिन अभी तक 3 लाख 40 हजार लोगों के ही कार्ड बन पाए हैं. लेकिन लोगों के कार्ड बनाने के लिए विभाग द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है. लेकिन जो इसके पात्र हैं वो लोग ही आगे नहीं आते. सीएमओ का कहना है कि लोगों में जागरुकता की भी कमी है.

यह भी पढ़ें- राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा, 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में रात में मिला करते थे सेवादार

सीएमओ का कहना है कि ऐसा भी देखा गया है कि जिस घर परिवार में जब कोई मरीज बीमार हो जाता है ,तभी परिवार के लोग इसके लिए प्रयास करते हैं. वे कहते हैं कि हालांकि जिले में अब तक इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 29 हजार 800 लोगों का सफल इलाज किया गया है. कहा कि जिल में 69 ऐसे हॉस्पिटल चिन्हित हैं, जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीज उपचार करा सकते हैं.

डीएम मेरठ दीपक मीणा का कहना है कि लोगों को ठीक से जागरूक करने की जरूरत है, उन्हें जो जानकारी स्वास्थ्य विभाग से दी गई है. उसके हिसाब से प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जब भी टीम मौके पर पहुंचते है तो लोग मौजूद नहीं होते है. डीएम ने कहा कि सभी के कार्ड बनाने के लिए लिए विभाग ने एक एप्लिकेशन भी अब तैयार की है ताकि इस काम में तेजी आए और लोगों को इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ मिल सके.

यह भी पढ़ें- योगी के मंदिर पर विवाद, सरकारी जमीन कब्जाने का आरोप

पात्र कहां बनवा सकते हैं कार्ड
जिले में जितने भी आयुष्मान भारत योजना के तहत चिन्हित अस्पताल हैं. वहां भी पात्र कार्ड बनवाने को आवेदन कर सकते हैं, जबकि साथ ही CSC पर आयुष्मान मित्रों के जरिए भी कार्ड बनाए जाते हैं, इसके लिए अतिरिक्त शिविर समय-समय पर लगाए जाते हैं.

बता दें कि प्रदेश भर में मेरठ जिले की अगर बात करें तो प्रदेश में इस योजना के कार्ड बनाने में जिले स्थिति बेहद निचले स्तर पर है, जिसके लिए डीएम ने भी कई बार जिले के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इसमें तेजी लाने के विषय में निर्देश दिए हैं. बड़ा सवाल यही है कि आखिर 4 साल में स्वास्थ्य विभाग इस तरफ तेजी क्यों नहीं ला पा रहा.



मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) उन जरूरतमंदों के लिए केंद्र सरकार लाई थी, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वे बीमार पड़ें तो 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार उनका हो सके, लेकिन योजना के 4 साल के बाद भी मेरठ में 9 लाख से भी अधिक ऐसे पात्र हैं, जिन्हें इस योजना का कार्ड तक भी नसीब नहीं हुआ है.

दरअसल, पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत 4 साल पहले की थी. मंशा स्पष्ट थी कि ऐसे लोग जो निर्धन हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति महंगा उपचार कराने की नहीं होती थी, ऐसे लोगों का पांच लाख रुपये तक निःशुल्क उपचार हो सके और उनका जीवन बचाया जा सके. इसके लिए 2011 की जनगणना के आधार पर स्थायी पात्रता सूची बनाई गई, उस सूची के आधार पर मेरठ जिले में कुल 12 लाख 55 हजार ऐसे पात्र चिन्हित किए गए जो कि सरकार की इस योजना के अंतर्गत किसी भी बीमारी का पांच लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार करा सकते थे. लेकिन कई साल गुजर चुके, पर स्वास्थ्य विभाग आज तक भी जिले में जरूरतमंदों के आयुष्मान कार्ड तक नहीं बनवा पाया, जबकि समय-समय पर कार्ड बनवाने के दावे जरूर किए जाते रहे हैं.

जानकारी देते हुए डीएम मेरठ दीपक मीणा

मेरठ सीएमओ अखिलेश मोहन का कहना है कि जिले में 12 लाख 55 हजार लोगों की सूची उन्हें मिली थी, जिनके ये कार्ड बनने हैं, लेकिन अभी तक 3 लाख 40 हजार लोगों के ही कार्ड बन पाए हैं. लेकिन लोगों के कार्ड बनाने के लिए विभाग द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है. लेकिन जो इसके पात्र हैं वो लोग ही आगे नहीं आते. सीएमओ का कहना है कि लोगों में जागरुकता की भी कमी है.

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सीएमओ का कहना है कि ऐसा भी देखा गया है कि जिस घर परिवार में जब कोई मरीज बीमार हो जाता है ,तभी परिवार के लोग इसके लिए प्रयास करते हैं. वे कहते हैं कि हालांकि जिले में अब तक इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 29 हजार 800 लोगों का सफल इलाज किया गया है. कहा कि जिल में 69 ऐसे हॉस्पिटल चिन्हित हैं, जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीज उपचार करा सकते हैं.

डीएम मेरठ दीपक मीणा का कहना है कि लोगों को ठीक से जागरूक करने की जरूरत है, उन्हें जो जानकारी स्वास्थ्य विभाग से दी गई है. उसके हिसाब से प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जब भी टीम मौके पर पहुंचते है तो लोग मौजूद नहीं होते है. डीएम ने कहा कि सभी के कार्ड बनाने के लिए लिए विभाग ने एक एप्लिकेशन भी अब तैयार की है ताकि इस काम में तेजी आए और लोगों को इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ मिल सके.

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पात्र कहां बनवा सकते हैं कार्ड
जिले में जितने भी आयुष्मान भारत योजना के तहत चिन्हित अस्पताल हैं. वहां भी पात्र कार्ड बनवाने को आवेदन कर सकते हैं, जबकि साथ ही CSC पर आयुष्मान मित्रों के जरिए भी कार्ड बनाए जाते हैं, इसके लिए अतिरिक्त शिविर समय-समय पर लगाए जाते हैं.

बता दें कि प्रदेश भर में मेरठ जिले की अगर बात करें तो प्रदेश में इस योजना के कार्ड बनाने में जिले स्थिति बेहद निचले स्तर पर है, जिसके लिए डीएम ने भी कई बार जिले के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इसमें तेजी लाने के विषय में निर्देश दिए हैं. बड़ा सवाल यही है कि आखिर 4 साल में स्वास्थ्य विभाग इस तरफ तेजी क्यों नहीं ला पा रहा.



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