मेरठ. देश की सबसे पहली हाईस्पीड ट्रेन के बारे में हर कोई जानना चाहता है. दिल्ली से मेरठ के बीच अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से महज 55 मिनट में ये रैपिड ट्रेन 82 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. देश की पहली रीजनल ट्रांजिट रैपिड रेल का ट्रायल इसी वर्ष दिसंबर माह में हो सकता है.
अगले साल 2023 मार्च महीने में ये ट्रेन साहिबाबाद स्टेशन से लेकर दुहाई के बीच चलने लगेगी. NCRTC ने इस ट्रेन का एक कोच गाजियाबाद के दुहाई स्थित डिपो में पहुंच चुका है. कोच अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है.
गौरतलब है कि एनसीआरटीसी ने इन विभिन्न सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को मूल रूप से जोड़कर एक विशाल नेटवर्क बनाने की पहल की है. एनसीआरटीसी के सीपीआरओ पुनीत वत्स ने बताया कि ये रैपिड ट्रेन अर्बन ट्रांसपोर्ट में एक गति के नए युग की शुरुआत कर रही है.
उनका कहना है कि इस ट्रेन की गति मेट्रो ट्रेन की तुलना में तीन गुणी है. पूरी ट्रेन खास तौर पर इस तरह से डिजाइन की गई है ताकि यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो.
उन्होंने बताया कि RRTS सुरक्षित और कुशल क्षेत्रीय आवागमन के लिए लोगों की पहली पसंद बनने की क्षमता रखता है. दावा किया जा रहा है कि 2025 तक मेरठ दिल्ली के बीच ये दौड़ने लगेगी.
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अल्ट्रा-आधुनिक आरआरटीएस ट्रेनों में एर्गोनोमिक रूप से डिजाईन की गई 2×2 ट्रांसवर्स सिटिंग, आरामदायक स्टैंडिंग स्पेस, लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था के अलावा कैमरा व लैपटॉप और मोबाइल चार्जिंग की सुविधा से लेकर डायनैमिक रुत मैप, इंफोटनमेंट सिस्टम, रोशनी ऑटो नियंत्रण प्रकाश व्यवस्था, तापमान नियंत्रण प्रणाली समेत और भी कई अहम सुविधाऐं इसमें मिलेंगी.
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प्रत्येक ट्रेन में एक कोच प्रीमियम वर्ग के लिए एक सेपरेट कोच होगा. एक कोच प्रत्येक ट्रेन में महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा जबकि स्टैंडर्ड क्लास के लिए अलग कोच रहेगा. ये भारत की सबसे तेज गति की ट्रेन है जिसकी डिजाइन स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है. ये मेड इन इंडिया आरआरटीएस ट्रेन हैदराबाद में डिजाईन की गई है जबकि गुजरात के सावली में इसका निर्माण अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर किया जा रहा है. इनोवेटिव डिजाइन अत्यानुधिक ट्रेन ड्राइवर केबिन स्टैंडर्ड क्लास में आरामदायक गद्देदार सीटें, सामान रखने के लिए इसमें लगेज रैक की भी व्यवस्था है.
मेट्रो या सामान्य ट्रेन से अधिक खड़े होने के लिए भी पर्याप्त स्पेस है. ऑटो कंट्रोल लाइटिंग से लेकर सीसीटीवी की निगरानी ऑनबोर्ड वाई-फाई इसे और भी अलग बना देते हैं. इतना ही नहीं आम तौर पर देखा जाता है कि मेरठ, मुजफ्फरनगर या अन्य जगहों से आए दिन मरीजों को दिल्ली रेफर किया जाता है. ऐसे में रैपिड रेल उन मरीजों के लिए भी बेहद ही उपयोगी सिद्ध होगी. तीव्र गति से ग्रीन कॉरिडोर की तरह ही ये ट्रेन ऐसे मरीजों के लिए बहुत ही उपयोगी सिध्द होने वाली है जिन्हें अतिशीघ्र उपचार की आवश्यकता है.
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