मेरठ : बीते रविवार को मेरठ में भारतीय जनता पार्टी के मुजफ्फरनगर से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी यूपी को अलग राज्य और मेरठ को उसकी राजधानी बनाने की इच्छा जताई थी. इसी के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. बालियान के मांग का विरोध बीजेपी के ही नेता कर रहे हैं और इसे अनुचित बता असहमति जता रहे हैं. जबकि विपक्ष इस बयान को मूल मुद्दों से भटकाने वाला मान रहा है.
संगीत सोम बोले-बन जाएगा मिनी पाकिस्तान : बीजेपी के फायरब्रांड नेता कहे जाने वाले पूर्व विधायक संगीत सोम ने तो अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर यहां तक कह दिया कि अगर ऐसा होता है तो पश्चिमी यूपी मिनी पाकिस्तान बन जाएगा.
लक्ष्मीकांत ने कहा- बयान बालियान की निजी राय : बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी संजीव बालियान की पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग को उनकी निजी राय मान रहे हैं. कहते हैं- यह कोई पार्टी की लाइन नहीं है.
रालोद भी हुई सक्रिय : इस मुद्दे पर वेस्ट यूपी में अलग राजनीतिक पहचान रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल भी अब एक्टिव हो गई है.राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता सुनील रोहटा का कहना है कि सिर्फ आरक्षण की मांग के मुद्दे से भटकाने के लिए मंत्री बालियान ने ऐसा बोला है. रालोद के नेताओं का कहना है कि अलग राज्य की मांग दल के संस्थापक अजित सिंह ने उठाई थी. जिसमें उन्होंने छोटे राज्य का नामकरण तक कर दिया था. यूपी वेस्ट को तब हरित प्रदेश बनाने की मांग उठाई गई थी. लेकिन 2014 में सत्ता परिवर्तन के बाद अलग राज्य बनाने की मांग जैसे ठंडे बस्ते में चली गई.
जाट आरक्षण के साथ उठाया यह मुद्दा : यूपी वेस्ट में इन दिनों केंद्रीय सेवाओं में खासतौर पर जाट आरक्षण की मांग उठ रही है. इसे लेकर पिछले माह अखिल भारतीय जाट महासभा की तरफ से एक बड़ी सभा मेरठ में हुई थी. उस सभा में जाटों को आरक्षण का मुद्दा उठाया गया था. बीते दिनों जाटों का बड़ा सम्मेलन मेरठ में आयोजित हुआ. इस बार आरक्षण समेत समाज के महापुरुषों के लिए भारत रत्न की मांग उठी. हजारों की संख्या में पहुंचे जाट नेताओं ने इन मांगों को प्रमुखता से उठाया, लेकिन केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मंच से अपने वक्तव्य में कहा कि उनकी दिल की इच्छा है कि यूपी वेस्ट अलग राज्य हो और मेरठ उसकी राजधानी हो. यहां गौरतलब है कि बालियान इससे पहले जाट आरक्षण के मुद्दे पर ज्यादा मुखर थे और उन्होंने समाज के नेताओं को प्रधानमंत्री से मिलवाया भी था.
बयान का क्या होगा असर : इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिज़वी कहते हैं कि अलग राज्य की मांग से कहीं न कहीं विपक्षी पार्टियों और खासकर जाट समाज को ऐसा लग रहा है कि आरक्षण की मांग कमजोर करने के लिए यह बयान दिया गया. जाट समाज जिधर हो जाता है, उसी दल को पश्चिम में फायदा होता है. कहते हैं, निकट भविष्य में ऐसा नहीं लगता कि बयान के बाद इस दिशा में वास्तव में कुछ होगा.