मेरठः जिले के ग्रामीण इलाके में रहने वाले प्रतिभावान युवाओं को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिलेगा. इसके लिए मेरठ मंडल के जिलों के तहत आने वाले गांवों में लाइब्रेरी स्थापित की जा रही है. मेरठ मंडलायुक्त इस बारे में खास रूचि ले रहे हैं. उनकी कोशिशों के परिणाम ये हैं कि अभी तक मंडल के 1350 गांवों में लाइब्रेरी स्थापित की जा चुकी है. गांवों में पुस्तकालय होने से अब युवाओं को भी गांव में ही प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित तैयारी का माहौल मिल रहा है.
पुस्तकें जीवन बदल देती हैं. इतनी ही नहीं अगर ईमानदार कोशिशें की जाएं तो ये किताबें वो माध्यम हैं, जिनसे कोई भी बुलंदियां छू सकता है. कहा भी जाता है कि पुस्तकों की उपयोगिता जो समझते हैं, वे जीवन में निश्चित ही सफल होते हैं. मेरठ मंडलायुक्त के निर्देश पर मेरठ मंडल से संबंधित जिलों में तो प्रशासन स्तर से पुस्तकालयों को स्थापित भी किया जा रहा है.
यहां से संबंधित जिलों के जिम्मेदार अधिकारी खासतौर पर ग्रामीण अंचलों में लाइब्रेरी स्थापित करा रहे हैं. मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह का कहना है कि ग्रामीण अंचलों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. लेकिन सीमित संसाधनों या आर्थिक वजहों से कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत सी प्रतिभाएं दबकर रह जाती हैं.
उन्होंने बताया कि बच्चों को स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के बाद पढ़ाई को लेकर एक बेहतर माहौल देने के लिए ऐसा किया जा रहा है. क्योंकि वे खुद गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े हैं, तो वे उन चीजों को बखूबी समझते हैं. वे कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गांवों में सरकारी स्कूलों में भवन, सरकारी भवन या अन्य किसी भवन में लाइब्रेरी की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि ये महज कोई औपचारिकता नहीं है बल्कि इन पुस्तकालयों में बहुत सारी सुविधाएं मिलेंगी. उन्होंने बताया कि उद्देश्य यही है कि ग्रामीण परिवेश में बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर माहौल मिल सके.
मेरठ कमिश्नर ने ईटीवी भारत से बताया कि दो चीजें हैं, जिसमें ये कि बच्चों के पास किताबें होती हैं, लेकिन पढ़ने के लिए उचित माहौल नहीं होता. इसके साथ ही घर में एक सेपरेट कमरा उस तरह से नहीं होता, जिससे कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर ढंग से पढ़ाई कर सकें.
उन्होंने कहा कि इन पुस्तकालयों की स्थापना से उन बच्चों को एक माहौल देने की कोशिश की है. जिसमें अब कई बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. इससे ये फायदा हो रहा है कि वे एक दूसरे को देखकर अधिक रूचि से पढ़ाई कर रहे हैं. इसके साथ ही वे कहते हैं कि कुछ बच्चों के पास किताबों की कमी होती है, जिसके लिए कोशिश यही है कि जहां भी जिस तरह की पुस्तकों की डिमांड हो वहां उनको पहुंचाया जाए.
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मेरठ कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूल में जब वे पढ़ते थे तो देखते थे कि पढ़ाई का जो एक माहौल होना चाहिए वो नहीं होता था. जिस वजह से होनहार होने के बाद भी काफी युवा बेहतर माहौल न मिलने से आगे नहीं बढ़ पाते. उन्होंने कहा कि कोशिश है कि अगले तीन महीने में मंडल के प्रत्येक गांव में लाइब्रेरी स्थापित हो. मेरठ के मुख्य विकास अधिकारी शशांक चौधरी से हमने बात की है. वे बताते हैं कि पुस्तकालयों की स्थापना के साथ-साथ बच्चों के लिए जरूरी किताबें उपलब्ध हों, इसके लिए काफी सहयोग मिलेगा. वे बतातें हैं कि लोग और संस्थाएं बढ़-चढ़कर आगे आकर मदद भी करना चाहते हैं. इस बारे में युवाओं से बात की, जो लाइब्रेरी के खुलने से युवा भी खुश हैं.