मेरठ: कचहरी में शुक्रवार को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए शपथ दिलाई गई. यह शपथ जिला जज मेरठ द्वारा दिलवाई गई है. इस दौरान जिला जज ने कहा कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का हर वर्ष आयोजन सभी भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है.
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन
जिला जज नलिन श्रीवास्तव ने बताय कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन लोगों को यह बताता है कि हर व्यक्ति के लिए मतदान करना जरूरी है. भारत के प्रत्येक नागरिक की मतदान प्रक्रिया में भागीदारी जरूरी है. क्योंकि आम आदमी का एक वोट ही सरकार बदल देता है. हम सबका एक वोट ही पल भर में एक अच्छा प्रतिनिधि भी चुन सकता है और एक बेकार प्रतिनिधि भी चुन सकता है. इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने मत का प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए और ऐसी सरकारें या प्रतिनिधि चुनने के लिए करना चाहिए जो कि देश को विकास और तरक्की के पथ पर ले जा सके.
साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने के लिए करेगा जागरुक
डीएम अनिल ढींगरा ने कहा कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य लोगों की मतदान में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करेगा. साथ-साथ मतदाताओं को एक अच्छा साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान के लिए जागरूक करना है. हमारे लोकतंत्र को विश्व में इतना मजबूत बनाने के लिए मतदाताओं के साथ-साथ भारत देश के निर्वाचन आयोग का भी अहम् योगदान है. हमारे निर्वाचन आयोग की वजह से ही देश में निष्पक्ष चुनाव हो पाते हैं. आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस के दिन देश के प्रत्येक मतदाता को अपनी सक्रिय भागीदारी के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए.
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जाने क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय मतदाता दिवस
राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिवस भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए अहम है. इस दिन भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रत्येक चुनाव में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि भारत के प्रत्येक व्यक्ति का वोट ही देश के भावी भविष्य की नींव रखता है. इसलिए हर एक व्यक्ति का वोट राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनता है. भारत में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी ‘भारत निर्वाचन आयोग’ की होती है. ‘भारत निर्वाचन आयोग’ का गठन भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी, 1950 को हुआ था. क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था, इसलिए 25 जनवरी, 1950 को ‘भारत निर्वाचन आयोग’ का गठन हुआ.