मेरठ: एक जनवरी 2023 को जब दुनिया नए साल का जश्न मना रही होगी. नेपाल की मान्या और हरियाणा की अंजली जैन साध्वी बनने के लिए मेरठ में दीक्षा ले रही होगीं. मोह-माया को दरकिनार कर 17 साल की दोनों लड़कियां जैन साध्वी की तरह जीवन निर्वाह करेगी. आखिर इतनी कम उम्र में दोनों लड़कियों ने साध्वी बनने का फैसला क्यों किया ?
17 साल की मान्या जैन नेपाल के जिला स्याङजा के सरादी की रहने वाली हैं. 6 वर्ष पहले ही मान्या ने परिजनों को जैन साध्वी बनने की ख्वाहिश बता दी थी. मान्या के पिता लेखराज पौडेल और मां दुर्गा देवी पौडेल ने उन्हें ऐसा न करने के लिए काफी समझाया मगर वह नहीं मानी. बेटी के हठ के सामने परिजन भी झुक गए. मान्या ने बताया कि वह तो अब जैन साध्वी बनने का प्रण कर चुकी हैं. वह पिछले 6 वर्ष से लगातार जैन धर्म की साध्वी बनने के मार्ग पर निरन्तर आगे बढ़ रही हैं. मान्या ने बताया कि उन्होंने पिछले 6 साल के दौरान दादी गुरु ज्योति साध्वी गीता के साथ जैन धर्म के कठोर नियमों का पालन किया.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मान्या ने बताया कि वह क्लास 10 में पढ़ रही हैं. जैन साध्वी बनने की ललक में उन्होंने जैन धर्मग्रंथदशवैकालिक सूत्र उत्तराध्ययन सूत्र, भक्तांबर, 25 बोल, 67 बोल, थोकड़े व प्रतिक्रमण आदि को कंठस्थ कर चुकी हैं. उनके साथ हरियाणा के सोनीपत जिले के फाजिलपुर की निवासी 17 वर्षीय अंजलि भी साध्वी बनेंगी. अंजलि की गुरुणी साध्वी मानवी व दादी गुरुणी प्रभाविका साध्वी मंजूल हैं. अंजली जैन का वैराग्यकाल दो वर्ष है. उन्होंने कक्षा 12 तक पढ़ाई की है. अंजलि के पिता संजय कुमार और मां सीमा देवी ने बेटी की भावना को समझते हुए साध्वी बनने की मंजूरी दे दी. अंजलि का कहना है कि इस मार्ग को उन्होंने आत्मकल्याण के लिए चुना है. अपनी आध्यात्मिक शिक्षा के बारे में बताया कि धार्मिक शिक्षा में प्रतिक्रमण, 25 बोल, 33 बोल, देशवैकालिक सूत्र भक्तांबर, कल्याण मंदिर, स्त्रोत कंठस्थ हैं.
मेरठ में एसएस जैन सभा की ओर से एक जनवरी को जैन नगर स्थित गुरु निहाल स्मारक स्थल पर भव्य जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम आयोजित होगा. अभी अंजलि और मान्या जैन की महाभिनिष्क्रमण यात्रा के लिए जैन स्थानक में रस्में हो रहीं है. जैन संत गुरुदेव सुमति प्रकाश के सानिध्य में एक जनवरी को भव्य कार्यक्रम होगा. समारोह में देशभर से पहुंचने वाले 18 साधु और 32 साध्वियों का भी मान्या और अंजलि को आशीर्वाद मिलेगा. ईटीवी भारत से मान्या जैन और अंजलि जैन की गुरु ने बताया कि वह दोनों ही बेहद ही लगनशील,धर्मपरायण और कर्तव्यनिष्ठ हैं और निरंतर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर रही हैं.
दुल्हन की तरह सजेंगी अंजलि और मान्या ...
श्रीएसएस जैन सभा कार्यकारिणी मंडल के महामंत्री मनीश जैन ने बताया कि 30 दिसंबर को मान्या और अंजलि को मेहंदी लगाई जाएगी. 31 दिसंबर को शहर में एक शोभायात्रा निकलेगी, जिसमें मान्या और अंजलि दुल्हन की तरह सजकर बग्गी पर सवार होंगी. अगले दिन एक जनवरी को दीक्षा समारोह होगा. यहां से दोनों की महाभिनिष्क्रमण यात्रा शुरू होगी. इस यात्रा के संपन्न होने के साथ ही उनका साध्वी जीवन शुरू हो जाएगा. जैन संत गुरुदेव सुमति प्रकाश बताते हैं कि दीक्षा लेने के लिए साधु और साध्वियों को अपना घर, कारोबार, महंगे कपड़े, ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर पूरी तरह से संन्यासी जीवन शैली अपनाना होता है. इस प्रक्रिया में साधु और साध्वी बनने वालों के बाल एक बेहद ही अलग प्रक्रिया से अलग किए जाते हैं, जिसे केशलोचन विधि कहा गया है. यह बेहद ही कठिन प्रक्रिया है. गुरुदेव सुमति प्रकाश ने बताया कि दीक्षा लेने के साथ ही साधकों को पांच व्रतों के पालन के लिए भी समर्पित होना पड़ता है. साध्वी की दीक्षा के समय उनका संकल्प मान्या और अंजलि को भी कराया जाएगा.
ये हैं 5 संकल्प...
अहिंसा: किसी भी जीवित प्राणी को अपने तन, मन या वचन से हानि ना पहुंचाना
सत्य: हमेशा सच बोलना और सच का ही साथ देना
अस्तेय: किसी दूसरे के सामन पर बुरी नजर ना डालना और लालच से दूर रहना
ब्रह्मचर्य: अपनी सभी इन्द्रियों पर काबू करना और किसी से साथ भी संबंध ना बनाना
अपरिग्रह: जितनी जरुरत है उतना ही अपने पास रखना, जरूरत से ज्यादा संचित ना करना
जैन मुनि साधक पैदल ही तय करते हैं सम्पूर्ण यात्रा...
गौरतलब है कि एक बार संकल्प लेने के बाद चाहे जैन साधु हों या चाहे साध्वी फिर कभी जैन मुनि किसी भी प्रकार की गाड़ी या यात्रा के साधन का प्रयोग नहीं कर सकते. वह पैदल ही चलते हैं और लंबी दूरियां भी पैदल चलकर ही पूरी करते हैं. बारिश के मौसम के 4 महीने छोड़कर ये लोग पूरे साल यात्रा करते हैं. इस दौरान भी उन्हें नंगे पैर और बिना किसी चप्पल या जूते पहने ही पदयात्रा करते हैं.