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आयुष्मान भारत योजना में लापरवाही, गोल्डन कॉर्ड बनने पर भी नहीं मिल रहा इलाज, ढाई हजार लोगों ने की शिकायतें

मेरठ में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का पात्रों को पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पा रहा है. अस्पतालों में पैसा लेकर इलाज करने की भी तमाम शिकायतें आ रही हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 13, 2023, 8:30 PM IST

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मेरठ में पात्रों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

मेरठ : केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आलम यह है कि जिले में इस योजना के हर पात्र के हाथ में गोल्ड़न कार्ड नहीं पहुंच पाया है. वहीं इलाज में लापरवाही के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं. आलम यह है कि इस योजना से जुडी तमाम तरह की 2544 शिकायतें इस साल में दर्ज हुई हैं.
आयुष्मान भारत योजनामें ऐसे परिवार जो कि इसके पात्रता के दायरे में आते हैं, उनके लिए पांच लाख रुपये तक के इलाज की निःशुल्क व्यवस्था हो जाती है. मेरठ की अगर बात करें तो अभी तक जिले में सभी पात्रों के गोल्डन कॉर्ड नहीं बना पाए हैं. इतना ही नहीं, योजना में इलाज कराने वालों में सैकड़ों लोग ऐसे भी हैं, जो हर माह उन अस्पतालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं जो जिले के अफसरों ने पैनल में जोड़े हैं.

कुल 54 प्रतिशत लोगों के बने हैं अभी तक गोल्डन कॉर्ड

मेरठ के सीएमओ सीएमओ अखिलेश मोहन ने ईटीवी भारत को बताया कि कि कुल मिलाकर जिले के अंदर 6 लाख 94 हजार लोगों के गोल्डन कॉर्ड बन चुके हैं. अगर बात करें जिले के कुल पात्रों की तो मेरठ में 12 लाख से भी अधिक लोग इस योजना के पात्र हैं. बकौल सीएमओ इस तरह से कुल 54 प्रतिशत कॉर्ड अब तक बन चुके हैं. बताते हैं कि एक परिवार में किसी के भी बीमार होने पर पांच लाख रुपये तक का इलाज इस कॉर्ड के सहयोग हो सकता है. फिलहाल जो 2011 की सूची है, उसमें 6 और उससे अधिक सदस्यों वाले परिवारों को सम्मिलित किया है.वह बताते हैं कि मुख्यमंत्री के द्वारा भी एक सर्वे कराया था, उनको भी इसमें सम्मिलित किया गया है.

शिकायतों पर होती है कार्रवाई

शिकायतों के बाबत सीएमओ ने बताया कि ठीक से उपचार नहीं मिलने की शिकायतें आती हैं. और भी तमाम आरोप लगते हैं. ये शिकायतें लिखित में भी प्राप्त होती हैं और IGRS पर भी. बताते हैं जनवरी से अब तक लगभग 2544 शिकायतें आ चुकी हैं. जिनके समाधान के प्रयास किए जाते हैं. शिकायतकर्ता से बात कर निस्तारण किया जाता है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक कमेठी बनी हुई है, जिसे जिला शिकायत निवारण कमेटी के नाम से जाना जाता है. जो भी शिकायत आती है, उस कमेटी के द्वारा बुलाया जाता है. अस्पताल के जो डॉक्टर्स या जिम्मेदार होते हैं, उनको भी बुलाया जाता है. सुनवाई के दौरान किसी भी तरह की गलती पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

सरकारी के अलावा 92 हॉस्पिटल अधिकृत

वह बताते हैं कि जिले में लगभग 92 ऐसे हॉस्पिटल हैं, जो कि आयुष्मान भारत के कॉर्डधारकों के उपचार के लिए अधिकृत हैं. ज़ब से इस योजना की शुरुआत हुई है तब से अब तक लगभग 35,000 हजार लोगों का उपचार जिले में हो चुका है. शिकायत मिलने पर कई अस्पतालों की मान्यता खत्म भी की गई है और अगर किसी की मान्यता एक बार खत्म हो जाती है तो दो से तीन साल तक फिर उसे बहाल नहीं किया जा सकता.

पात्रों के कॉर्ड बनाने के किए जा रहे प्रयास

इस बारे में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉक्टर आरके सिरोहा बताते हैं कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2018 में लागू हुई थी. यह सही है कि जिले में अभी तक स्थाई पात्रता सूची के आधार पर सभी पात्रों के कॉर्ड नहीं बन पाए हैं, लेकिन प्रयास तमाम माध्यमों से किए जा रहे हैं.वह बताते हैं कि जो शिकायतें आती हैं उनमें ऐसे मामले ज्यादा हैं जिनमें अस्पतालों इलाज के नाम पर पैसे लेने की शिकायत होती है. लेकिन अधिकतर में शिकायतकर्ता के पास कोई प्रूफ नहीं होता.

आरोप सिद्ध होने पर वसूली गई है अस्पतालों से रकम

अगर किसी पात्र मरीज का उपचार करने की एवज में अस्पताल पर पैसे लेने का आरोप सही पाया जाता है तो उससे पांच गुणा तक पेनाल्टी लगाई जा सकती है. वह ऐसे अस्पतालों के नाम भी बताते हैं जो कि योजना के लाभ लेने वाले मरीजों से अवैध रूप से पैसे लेने के नाम पर नप भी चुके हैं. नोडल अधिकारी बताते हैं कि जहां तक इस योजना के पात्रों के गोल्डन कॉर्ड बनने की बात है तो इसमें काफ़ी दिक्क़तें सामने आ रही हैं. वह बताते हैं कि कभी सर्वें में निर्धारित पते पर पात्र नहीं मिलते तो कभी उनकी वेरिफिकेशन में समस्या उत्पन्न होती है. हालांकि कैम्प के माध्यम से भीं लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है.

यह भी पढ़ें : लाखों का पेसमेकर फ्री में लगवाने का मौका! 23 साल से शिविर लगा रहा ये दिल का डॉक्टर, अमेरिका से आते हैं स्पेशलिस्ट

यह भी पढ़ें : युवाओं के लिए सीख : तीन माह की बची थी पिता की जिंदगी, बेटे ने लिवर दान कर दिया जीवनदान

मेरठ में पात्रों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

मेरठ : केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आलम यह है कि जिले में इस योजना के हर पात्र के हाथ में गोल्ड़न कार्ड नहीं पहुंच पाया है. वहीं इलाज में लापरवाही के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं. आलम यह है कि इस योजना से जुडी तमाम तरह की 2544 शिकायतें इस साल में दर्ज हुई हैं.
आयुष्मान भारत योजनामें ऐसे परिवार जो कि इसके पात्रता के दायरे में आते हैं, उनके लिए पांच लाख रुपये तक के इलाज की निःशुल्क व्यवस्था हो जाती है. मेरठ की अगर बात करें तो अभी तक जिले में सभी पात्रों के गोल्डन कॉर्ड नहीं बना पाए हैं. इतना ही नहीं, योजना में इलाज कराने वालों में सैकड़ों लोग ऐसे भी हैं, जो हर माह उन अस्पतालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं जो जिले के अफसरों ने पैनल में जोड़े हैं.

कुल 54 प्रतिशत लोगों के बने हैं अभी तक गोल्डन कॉर्ड

मेरठ के सीएमओ सीएमओ अखिलेश मोहन ने ईटीवी भारत को बताया कि कि कुल मिलाकर जिले के अंदर 6 लाख 94 हजार लोगों के गोल्डन कॉर्ड बन चुके हैं. अगर बात करें जिले के कुल पात्रों की तो मेरठ में 12 लाख से भी अधिक लोग इस योजना के पात्र हैं. बकौल सीएमओ इस तरह से कुल 54 प्रतिशत कॉर्ड अब तक बन चुके हैं. बताते हैं कि एक परिवार में किसी के भी बीमार होने पर पांच लाख रुपये तक का इलाज इस कॉर्ड के सहयोग हो सकता है. फिलहाल जो 2011 की सूची है, उसमें 6 और उससे अधिक सदस्यों वाले परिवारों को सम्मिलित किया है.वह बताते हैं कि मुख्यमंत्री के द्वारा भी एक सर्वे कराया था, उनको भी इसमें सम्मिलित किया गया है.

शिकायतों पर होती है कार्रवाई

शिकायतों के बाबत सीएमओ ने बताया कि ठीक से उपचार नहीं मिलने की शिकायतें आती हैं. और भी तमाम आरोप लगते हैं. ये शिकायतें लिखित में भी प्राप्त होती हैं और IGRS पर भी. बताते हैं जनवरी से अब तक लगभग 2544 शिकायतें आ चुकी हैं. जिनके समाधान के प्रयास किए जाते हैं. शिकायतकर्ता से बात कर निस्तारण किया जाता है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक कमेठी बनी हुई है, जिसे जिला शिकायत निवारण कमेटी के नाम से जाना जाता है. जो भी शिकायत आती है, उस कमेटी के द्वारा बुलाया जाता है. अस्पताल के जो डॉक्टर्स या जिम्मेदार होते हैं, उनको भी बुलाया जाता है. सुनवाई के दौरान किसी भी तरह की गलती पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

सरकारी के अलावा 92 हॉस्पिटल अधिकृत

वह बताते हैं कि जिले में लगभग 92 ऐसे हॉस्पिटल हैं, जो कि आयुष्मान भारत के कॉर्डधारकों के उपचार के लिए अधिकृत हैं. ज़ब से इस योजना की शुरुआत हुई है तब से अब तक लगभग 35,000 हजार लोगों का उपचार जिले में हो चुका है. शिकायत मिलने पर कई अस्पतालों की मान्यता खत्म भी की गई है और अगर किसी की मान्यता एक बार खत्म हो जाती है तो दो से तीन साल तक फिर उसे बहाल नहीं किया जा सकता.

पात्रों के कॉर्ड बनाने के किए जा रहे प्रयास

इस बारे में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉक्टर आरके सिरोहा बताते हैं कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2018 में लागू हुई थी. यह सही है कि जिले में अभी तक स्थाई पात्रता सूची के आधार पर सभी पात्रों के कॉर्ड नहीं बन पाए हैं, लेकिन प्रयास तमाम माध्यमों से किए जा रहे हैं.वह बताते हैं कि जो शिकायतें आती हैं उनमें ऐसे मामले ज्यादा हैं जिनमें अस्पतालों इलाज के नाम पर पैसे लेने की शिकायत होती है. लेकिन अधिकतर में शिकायतकर्ता के पास कोई प्रूफ नहीं होता.

आरोप सिद्ध होने पर वसूली गई है अस्पतालों से रकम

अगर किसी पात्र मरीज का उपचार करने की एवज में अस्पताल पर पैसे लेने का आरोप सही पाया जाता है तो उससे पांच गुणा तक पेनाल्टी लगाई जा सकती है. वह ऐसे अस्पतालों के नाम भी बताते हैं जो कि योजना के लाभ लेने वाले मरीजों से अवैध रूप से पैसे लेने के नाम पर नप भी चुके हैं. नोडल अधिकारी बताते हैं कि जहां तक इस योजना के पात्रों के गोल्डन कॉर्ड बनने की बात है तो इसमें काफ़ी दिक्क़तें सामने आ रही हैं. वह बताते हैं कि कभी सर्वें में निर्धारित पते पर पात्र नहीं मिलते तो कभी उनकी वेरिफिकेशन में समस्या उत्पन्न होती है. हालांकि कैम्प के माध्यम से भीं लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है.

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