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बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बनीं मेरठ की रहने वाली नम्रता, दादा-दादी निवास के नाम से चला रहीं संस्था

मेरठ में रहने वाली नम्रता अपनी नौकरी छोड़कर बेसहारा बुजुर्गों को सहारा दे रही हैं. नम्रता ने दादा-दादी निवास के नाम से एक संस्था खोल रखी है, जिसमें कई बुजुर्ग रहते हैं.

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दादा-दादी निवास
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Published : Oct 4, 2022, 10:24 PM IST

Updated : Oct 4, 2022, 10:41 PM IST

मेरठः जिले में रहने वाली नम्रता उम्र के आखिरी पड़ाव में ठुकराए गए लोगों का सहारा बन रही हैं. नम्रता अपनी प्राइवेट स्कूल टीचर की नौकरी छोड़कर बेसहारा बुजुर्गों का आश्रय देती हैं. साथ ही उनके खाने-पीने और रहने की जरूरतों का भी इंतजाम करती हैं. उनके पास रहने वाले बुजुर्गों में कई तो ऐसे हैं, जिनके परिजनों उच्च पदों पर आसीन हैं. लेकिन उन्होंने उस वक्त उनका साथ छोड़ दिया, जब इन बुजुर्गों को उनके सहारे की जरूरत थी.

दादा-दादी निवास

दादा दादी निवास की संचालिका नम्रता गंगानगर में रहती हैं. नम्रता कुछ समय पहले तक स्कूल टीचर थी, लेकिन जब उनकी सास बीमार हुईं तो ढाईं साल तक नम्रता ने उनकी सेवा की. इसके बाद नम्रता ने ये तय कर लिया कि अब ऐसे बुजुर्ग जनों का सहारा वे बनेंगी, जिनको उनके अपने अजीज बीच मंझधार में छोड़ देते हैं या जिनका कोई सहारा नहीं होता है.

नम्रता ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर ऐसे बुजुर्गों को आश्रय दिया, जो अपनों के द्वारा किसी न किसी रूप में भुला दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि नवदुर्गा में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की लोग पूजा कर रहे हैं, दुर्गा मां की प्रतिमाओं को घरों में स्थापित भी किया गया है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके अपने घर के भगवान बुजुर्ग बेसहारा हैं. नम्रता का कहना है कि बुजुर्गों के लिए उन्होंने एक बड़ा सा घर किराए पर लिया है. नम्रता ने बताया कि उन्होंने सिर्फ शुरुआत की थी, लेकिन अब लोग वहां आते हैं और स्वेच्छा से बुजुर्गों के लिए समय-समय पर कुछ न कुछ देते रहते हैं.

नम्रता ने बताया कि इस वक्त 25 ऐसे अम्मा-बाबा उनके पास रह रहे हैं, जिनकी सेवा करने में उन्हें न सिर्फ मन की शांति मिलती है बल्कि उन्हें अच्छा लगता है. वहीं, बुजर्गों का कहना है कि जब उन्हें परिवार के सदस्यों की जरूरत थी तब उनके अपनों ने उन्हें ठुकरा दिया. बुजुर्ग का कहना है कि अब नम्रता ही उनका ध्यान रखती हैं. साथ ही अगर कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसकी पूरी देखभाल करती हैं. कई बुजुर्गों ने बताया कि उनके परिवार के लोग उच्च पदों पर अधिकारी हैं, लेकिन अब उन्हें हमारी याद नहीं आती.

नम्रता ने बताया कि जो बुजुर्ग उनके पास रह रहे हैं, उनमें कई बुजुर्गों के परिवार में तो आईएएस व पीसीएस भी हैं. वहां रहने वाली एक अम्मा के पति तो एसपी भी रहे हैं, लेकिन पति की मौत के बाद वे अब उनके पास रहती हैं. बच्चों के पास उनके लिए समय नहीं है. बहरहाल नम्रता का कहना है कि वे तो यही चाहती हैं कि कोई भी बुजुर्ग मां बाप कहीं भी न रहे और अगर कहीं ऐसा कोई बुजुर्ग अम्मा बाबा हैं तो वे उनके साथ खड़ी हैं.

पढ़ेंः दादी तो आ गईं अब पोतों का है इंतजार, खाली पड़ा है पीएम के सपनों का घर

मेरठः जिले में रहने वाली नम्रता उम्र के आखिरी पड़ाव में ठुकराए गए लोगों का सहारा बन रही हैं. नम्रता अपनी प्राइवेट स्कूल टीचर की नौकरी छोड़कर बेसहारा बुजुर्गों का आश्रय देती हैं. साथ ही उनके खाने-पीने और रहने की जरूरतों का भी इंतजाम करती हैं. उनके पास रहने वाले बुजुर्गों में कई तो ऐसे हैं, जिनके परिजनों उच्च पदों पर आसीन हैं. लेकिन उन्होंने उस वक्त उनका साथ छोड़ दिया, जब इन बुजुर्गों को उनके सहारे की जरूरत थी.

दादा-दादी निवास

दादा दादी निवास की संचालिका नम्रता गंगानगर में रहती हैं. नम्रता कुछ समय पहले तक स्कूल टीचर थी, लेकिन जब उनकी सास बीमार हुईं तो ढाईं साल तक नम्रता ने उनकी सेवा की. इसके बाद नम्रता ने ये तय कर लिया कि अब ऐसे बुजुर्ग जनों का सहारा वे बनेंगी, जिनको उनके अपने अजीज बीच मंझधार में छोड़ देते हैं या जिनका कोई सहारा नहीं होता है.

नम्रता ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर ऐसे बुजुर्गों को आश्रय दिया, जो अपनों के द्वारा किसी न किसी रूप में भुला दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि नवदुर्गा में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की लोग पूजा कर रहे हैं, दुर्गा मां की प्रतिमाओं को घरों में स्थापित भी किया गया है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके अपने घर के भगवान बुजुर्ग बेसहारा हैं. नम्रता का कहना है कि बुजुर्गों के लिए उन्होंने एक बड़ा सा घर किराए पर लिया है. नम्रता ने बताया कि उन्होंने सिर्फ शुरुआत की थी, लेकिन अब लोग वहां आते हैं और स्वेच्छा से बुजुर्गों के लिए समय-समय पर कुछ न कुछ देते रहते हैं.

नम्रता ने बताया कि इस वक्त 25 ऐसे अम्मा-बाबा उनके पास रह रहे हैं, जिनकी सेवा करने में उन्हें न सिर्फ मन की शांति मिलती है बल्कि उन्हें अच्छा लगता है. वहीं, बुजर्गों का कहना है कि जब उन्हें परिवार के सदस्यों की जरूरत थी तब उनके अपनों ने उन्हें ठुकरा दिया. बुजुर्ग का कहना है कि अब नम्रता ही उनका ध्यान रखती हैं. साथ ही अगर कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसकी पूरी देखभाल करती हैं. कई बुजुर्गों ने बताया कि उनके परिवार के लोग उच्च पदों पर अधिकारी हैं, लेकिन अब उन्हें हमारी याद नहीं आती.

नम्रता ने बताया कि जो बुजुर्ग उनके पास रह रहे हैं, उनमें कई बुजुर्गों के परिवार में तो आईएएस व पीसीएस भी हैं. वहां रहने वाली एक अम्मा के पति तो एसपी भी रहे हैं, लेकिन पति की मौत के बाद वे अब उनके पास रहती हैं. बच्चों के पास उनके लिए समय नहीं है. बहरहाल नम्रता का कहना है कि वे तो यही चाहती हैं कि कोई भी बुजुर्ग मां बाप कहीं भी न रहे और अगर कहीं ऐसा कोई बुजुर्ग अम्मा बाबा हैं तो वे उनके साथ खड़ी हैं.

पढ़ेंः दादी तो आ गईं अब पोतों का है इंतजार, खाली पड़ा है पीएम के सपनों का घर

Last Updated : Oct 4, 2022, 10:41 PM IST
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