मेरठ : पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के कस्बा मवाना निवासी विरमवती समाज के लिए मिसाल बन गई हैं. 23 वर्षीय इकलौते बेटे को हॉरर किलिंग में खोने के बाद बिरमवती ने न सिर्फ बेटे की प्रेमिका को सहारा दिया बल्कि उसको नई जिंदगी दी है. बेबस मां ने बिना शादी के विधवा की जिंदगी जी रही बेटे की प्रेमिका का जुलाई 2019 में कन्यादान कर नई जिंदगी दी है. अपनी रिश्तेदारी में एक लड़के के साथ बेटी की तरह विवाह कर विदा किया है. विवाह के बाद अब युवती अपनी वैवाहिक जिंदगी बसर कर रही है. हालांकि एक बेबस मां और लाचार प्रेमिका मृतक शैंकी को भूल नहीं पा रहीं. खास बात ये है कि एक मां के साथ युवती का त्याग भी अपने आप में अनोखी कहानी है, जिसे सुनकर न सिर्फ हर किसी की आंखे भर आती है बल्कि सेवाभाव को देखकर तारीफ भी कर रहे हैं.
जानिए क्या है पूरी कहानी
यह एक ऐसी कहानी है जो फिल्मी नहीं बल्कि वास्तविक दुनिया की है. इस कहानी का हर पहलू मार्मिक और किरदार अनोखा है. प्रेमी के हॉरर किलिंग का शिकार होने के बाद एक युवती उसकी मां का दामन थाम लेती है. इकलौते बेटे को खोने के बाद एक मां, बेटे की प्रेमिका को बेटी बनाकर कन्यादान करती है. खुद दर्द में रहकर बेटे की प्रेमिका की जिंदगी संवार देती है. दरअसल, प्रेमी संजीव की प्रेमिका उसकी मौत के बाद जीना भूल गई. एक ने संजीव को जन्म दिया था तो दूसरी ने शिद्दत से चाहा था. दोनों ने साथ जीने-मरने के ख्वाब देखे थे. लेकिन मोहब्बत के परवान चढ़ने से पहले ही प्यार हॉरर किलिंग की भेंट चढ़ गया. दीपा के परिजनों ने मिलकर संजीव को मौत के घाट उतार दिया.
हॉरर किलिंग की भेंट चढ़ गया प्रेमीआपको बता दें कि मवाना निवासी विरमवती के पति का निधन करीब 22 साल पहले हो गया था. उनका एक बेटा संजीव और एक बेटी थी. पति के निधन के बाद विरमवती ने खेतीबाड़ी एवं पशुपालन कर अपने दोनों बच्चों की परवरिश की. संजीव एक साधारण व्यक्तित्व वाला लड़का था. वह मेरठ में एक प्राइवेट नौकरी कर रहा था. जहां संजीव का पल्लवपुरम निवासी एक युवती (बदला हुआ नाम दीपा) के साथ प्रेम सबंध चल रहा था. दोनों ने एक दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाई थी. लेकिन दीपा के परिजनों को उनकी मोहब्बत नागवार गुजर रही थी. विरमवती बताती है कि 6 दिसंबर 2018 को संजीव प्रेमिका से मिलने के लिए पल्लवपुरम में उसके घर गया था. जहां प्रेमिका के पिता और भाइयों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी थी. वारदात के वक्त दीपा, संजीव को छुड़ाने के लिए गिड़गिड़ाती रही, लेकिन परिजनों ने उसकी नहीं सुनी. उसको कमरे में बंद कर दिया. दीपा के परिजनों ने शैंकी की हत्या कर शव को ललसाना के जंगल में ले जाकर कार समेत जला दिया था. जिसके बाद पुलिस ने दीपा के पिता और भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. तभी से सभी आरोपी जेल की सजा काट रहे हैं.
मृतक संजीव की मां विरमवती.
हत्या के बाद प्रेमी की मां का सेवा कर रही थी प्रेमिकाप्रेमी की मौत के बाद प्रेमिका दीपा ने खुद को संजीव की मां के लिए समर्पित कर दिया. प्रेमी की मौत के बाद दीपा अपना घर परिवार छोड़कर संजीव की मां के साथ रहने लगी थी. जहां उसने प्रेमी शैंकी से किया वादा पूरा करने में मशगूल हो गई. दीपा न सिर्फ संजीव की मां की सेवा करने लगी, बल्कि संजीव की विधवा पत्नी की तरह रह रही थी. संजीव की मां विरमवती ने उसको घर जाने के लिए बहुत समझाया, लेकिन उसने हत्यारे परिवार में वापस जाने से इनकार कर दिया. जैसे-तैसे विरमवती ने दीपा को समझा-बुझाकर शादी के लिए राजी कर लिया. 6 जुलाई 2019 को विरमवती ने अपनी रिश्तेदारी में एक लड़के के साथ उसकी शादी कर दी. एक दूसरे को हिम्मत बढ़ाती रही मां व प्रेमिका
बेबश मां बेटे की मौत का दर्द भले ना भूल पा रही हो, लेकिन साथ रहकर सेवा कर रही दीपा की पीड़ा भी वो समझती रही. बिन ब्याही दीपा का दर्द विरमवती से देखा नहीं जा रहा था. उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 2018 को संजीव घर से गया था. उसी दिन उसके आने की बजाए उसकी मौत की मनहूस खबर आई. यानी दीपा के पिता और भाइयों ने उसकी हत्या कर दी थी. संजीव की मौत के बाद दीपा ने जिद्द की कि मैं आपके साथ रहकर आपकी सेवा करूंगी. दीपा कई महीने तक मेरे साथ रही और एक अच्छी बेटी की तरह अपना फर्ज निभाते हुए सेवा की. संजीव की जितनी कमी मुझे हो रही थी, उतना ही दर्द दीपा की आंखों में छलक रहा था, जिसे मैं देख नहीं पा रही थी. जैसे-तैसे मैंने उसे समझाने की कोशिश की, कि तेरे आगे पूरी जिंदगी पड़ी है, तेरी शादी करा देती हूं. लाख समझाने पर उसने मेरी बात मानी.
बेटे की प्रेमिका का किया कन्यादान
विरमवती भावुक होते हुए बताती हैं कि मेरी रिस्तेदारी में एक लड़का है जो दीपा के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गया. मैंने अपनी सगी बेटी की तरह उसका विवाह कर कन्यादान कर दिया. उसके मान-सम्मान के लिए आज भी हर तरह से तैयार हूं. मेरी कोशिश रहेगी कि उसको कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दूंगी. दीपा ससुराल से आती रहती है. मैं भी मां का पूरा फर्ज निभाती हूं. जबकि मेरी एक बेटी है, वह भी उसका पूरा सम्मान करती है.