मेरठ : सदर सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेयी को हराकर विधानसभा पहुंचे समाजवादी पार्टी के रफ़ीक़ अंसारी मुख्य रूप से विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़े और जीते. पर इस बार वे विकास के मुद्दे पर बात करने में थोड़ा झिंझकते दिखे. आगामी विधानसभा चुनावों में चुनावी मुद्दों पर उनसे बात की गई. इस दौरान उन्होंने विस्तार से सभी विषयों पर बात की.
शहर में विकास कार्य कितना हुआ, इस सवाल के जवाब में वह पहले बचते और फिर प्रदेश सरकार पर तोहमत लगाते नजर आते हैं. सपा विधायक का कहना है कि वो तो जनता के सेवक हैं. विपक्षी दल का होने के नाते वर्तमान सरकार ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया. कहा कि अपनी सीमित विधायक निधि से वह जितना विकास कार्य करा सकते थे, उन्होंने कराया.
बताया कि विधायक निधि का फिक्स पैसा मिलता है. उसमें उन्होंने अपने क्षेत्र में प्रकाश व्यवस्था को दुरुस्त कराया. बताया कि सड़कों पर पानी भरा रहता था. सड़कें बदहाल थीं. उन सड़कों को दुरुस्त कराया गया.
सदर विधायक ने कहा कि सदन में सीएम योगी ने घोषणा की थी कि प्रत्येक विधायक को 5-5 करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए अलग से दिए जाएंगे. साथ ही उसमें सांसद की संस्तुति आवश्यक कर दी. सांसद सत्ताधारी पार्टी के हैं. ऐसे में उन्हें वो पैसा भी विकास कार्यों के लिए नहीं मिल सका. वह कोरोनाकाल में निधि रोकने का भी आरोप लगाते हैं.
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सदर सीट से विधायक रफ़ीक़ अंसारी ने कहा कि उन्होंने जनता की आवाज सड़क से विधानसभा तक उठाई है. CAA व NRC जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई. सपा शासनकाल में एक 50 बेड का हॉस्पिटल मंजूर हुआ था. पचास लाख रुपये भी तब उसके लिए स्वीकृत हो गए थे. आरोप लगाया कि हॉस्पिटल मुस्लिम बहुल इलाके में बनने जा रहा था. सरकार ने इसके प्रस्ताव को रद्द कर दिया.
कहा कि अगर जनता ने दोबारा आशीर्वाद दिया तो उस हॉस्पिटल को सबसे पहले स्थापित करना व शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल कॉलेजों को स्थापना करना उनकी प्राथमिकता में होगा. बता दें कि रफ़ीक़ अंसारी भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता व बीजेपी के पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेयी की जीत के पहिए को रोककर मेरठ सदर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे.