मेरठ : लगातार देखा जा रहा है कि बदलते दौर में खानपान की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं. ऐसे में तेल रिफाइंड और घी आदि में मिलावट भी खूब हो रही है. जिसकी वजह से लोगों को बीमारियां भी खूब घेर रही हैं. मेरठ की जनविश्लेषक प्रयोगशाला, NABL में जो सैम्पल आ रहे हैं, उनमें 30 से 35 फीसदी नमूने ऐसे हैं जिनमें मिलावट की बात सही साबित हो रही है. ऐसे में बच्चे और युवा भी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वास्थ्य के साथ जाने अनजाने में खिलवाड़ हो रही है. परीक्षण में कम से कम 30 फीसदी नमूनों में मिलावट की पुष्टि हो रही है.
क्षेत्रीय जनविश्लेषक प्रयोगशाला की खाद्य विश्लेषक अनामिका बताती हैं कि तेल और घी में पाम ऑयल का इस्तेमाल मिलावट के तौर पर बहुत ज्यादा हो रहा है. सरसों के तेल में सबसे ज्यादा मिलावट हो रही है. तिल के तेल में केरोसीन की मिलावट पकड़ी जा चुकी है. आजकल तिल के तेल का उपयोग भी बहुत लोग करते हैं. जिसको पूजा में तो उपयोग में लिया ही जाता है. साथ ही इसका उपयोग खाने में भी लोग शुद्ध मानकर खूब कर रहे हैं. सामान्य तौर पर देखा जाए तो कहा भी जाता है कि तिल का तेल दिल के लिए अच्छा होता है. कई बार तिल के तेल में केरोसिन की मिलावट पाई गई. अलग अलग खाद्य तेलों की अगर बात करें तो इनमें मिलावट तो है ही. देशी घी में भी खूब मिलावट पकड़ी जाती है. घी में पाम ऑयल मिलाया जाता है. सरसों के तेल में राइस ब्रैन ऑयल मिलाया जाता है.
मेडिकल कॉलेज की डॉ. आभा गुप्ता बताती हैं कि किसी भी तेल में जब तक ही उसकी प्रापर्टी उसके अंदर होती हैं जब तक कि उसे गर्म नहीं करते, लेकिन जैसे ही उसे तेज आंच पर गर्म किया जाता है यानी कुछ फ्राई करते हैं या गर्म करके कुछ बनाते हैं तो उसकी प्रॉपर्टी बदल जाती है. वह शरीर के लिए अच्छा नहीं है, बल्कि नुकसान देता है. जब हम किसी तेल को तेज आंच में गर्म करते हैं तो उसमें ट्रांसफैट बन जाते हैं. इनमें अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं जो कि शरीर के लिए खतरनाक होते हैं. जो शरीर के good cholesterol (HDL) को कम कर देते हैं जबकि जो BAD CHOLESTEROL है उसे बढ़ा देते हैं. जिससे बॉडी को जो रक्त धमनियां हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है. जितनी बार एक तेल उपयोग होगा उतनी ही बार उसके ट्रांस फैटी एसिड बढ़ते चले जाएंगे. इससे धमनियों में रक्त का प्रवाह कम होता जाएगा. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है, मोटापा बढ़ता है. साथ ही शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीज ऐसे व्यक्ति हो जाते हैं. हर दिन मेडिकल कॉलेज में मरीज इस तरह की समस्याओं से ग्रसित आते हैं. युवावस्था में हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक के मामले ज्यादा आ रहे हैं.
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MEERUT NEWS : तेल-घी में मिलावट की भरमार, बदलें रवैया नहीं तो हो जाएंगे बीमार
बदलते दौर में मिलावटी खानपान बीमारियों (MEERUT NEWS) का कारण बन रहा है. बच्चे, युवा और प्रौढ़ सभी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. मेरठ की जनविश्लेषक प्रयोगशाला NABL मेरठ में आने वाले खाद्य नमूनों में 30 फीसदी सैंपल मिलावटी साबित हो रहे हैं.
मेरठ : लगातार देखा जा रहा है कि बदलते दौर में खानपान की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं. ऐसे में तेल रिफाइंड और घी आदि में मिलावट भी खूब हो रही है. जिसकी वजह से लोगों को बीमारियां भी खूब घेर रही हैं. मेरठ की जनविश्लेषक प्रयोगशाला, NABL में जो सैम्पल आ रहे हैं, उनमें 30 से 35 फीसदी नमूने ऐसे हैं जिनमें मिलावट की बात सही साबित हो रही है. ऐसे में बच्चे और युवा भी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वास्थ्य के साथ जाने अनजाने में खिलवाड़ हो रही है. परीक्षण में कम से कम 30 फीसदी नमूनों में मिलावट की पुष्टि हो रही है.
क्षेत्रीय जनविश्लेषक प्रयोगशाला की खाद्य विश्लेषक अनामिका बताती हैं कि तेल और घी में पाम ऑयल का इस्तेमाल मिलावट के तौर पर बहुत ज्यादा हो रहा है. सरसों के तेल में सबसे ज्यादा मिलावट हो रही है. तिल के तेल में केरोसीन की मिलावट पकड़ी जा चुकी है. आजकल तिल के तेल का उपयोग भी बहुत लोग करते हैं. जिसको पूजा में तो उपयोग में लिया ही जाता है. साथ ही इसका उपयोग खाने में भी लोग शुद्ध मानकर खूब कर रहे हैं. सामान्य तौर पर देखा जाए तो कहा भी जाता है कि तिल का तेल दिल के लिए अच्छा होता है. कई बार तिल के तेल में केरोसिन की मिलावट पाई गई. अलग अलग खाद्य तेलों की अगर बात करें तो इनमें मिलावट तो है ही. देशी घी में भी खूब मिलावट पकड़ी जाती है. घी में पाम ऑयल मिलाया जाता है. सरसों के तेल में राइस ब्रैन ऑयल मिलाया जाता है.
मेडिकल कॉलेज की डॉ. आभा गुप्ता बताती हैं कि किसी भी तेल में जब तक ही उसकी प्रापर्टी उसके अंदर होती हैं जब तक कि उसे गर्म नहीं करते, लेकिन जैसे ही उसे तेज आंच पर गर्म किया जाता है यानी कुछ फ्राई करते हैं या गर्म करके कुछ बनाते हैं तो उसकी प्रॉपर्टी बदल जाती है. वह शरीर के लिए अच्छा नहीं है, बल्कि नुकसान देता है. जब हम किसी तेल को तेज आंच में गर्म करते हैं तो उसमें ट्रांसफैट बन जाते हैं. इनमें अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं जो कि शरीर के लिए खतरनाक होते हैं. जो शरीर के good cholesterol (HDL) को कम कर देते हैं जबकि जो BAD CHOLESTEROL है उसे बढ़ा देते हैं. जिससे बॉडी को जो रक्त धमनियां हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है. जितनी बार एक तेल उपयोग होगा उतनी ही बार उसके ट्रांस फैटी एसिड बढ़ते चले जाएंगे. इससे धमनियों में रक्त का प्रवाह कम होता जाएगा. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है, मोटापा बढ़ता है. साथ ही शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीज ऐसे व्यक्ति हो जाते हैं. हर दिन मेडिकल कॉलेज में मरीज इस तरह की समस्याओं से ग्रसित आते हैं. युवावस्था में हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक के मामले ज्यादा आ रहे हैं.
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