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मेरठ में खतौली मॉडल से सपा गठबंधन को मिलेगी जीत या बीजेपी रचेगी इतिहास - समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल

नगर निकाय चुनाव को लेकर मेरठ में बेहद तगड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. यहां कुल 15 प्रत्याशी मेयर की कुर्सी के लिए चुनावी मैदान में हैं. वहीं, सपा-रालोद खतौली उपचुनाव के फार्मूले को दोहराने की कोशिश में है, जबकि बीजेपी मेरठ में इतिहास रचने का दावा कर रही है.

Meerut Municipal Election 2023
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Published : Apr 26, 2023, 9:11 AM IST

Updated : Apr 26, 2023, 10:46 AM IST

मेरठ में नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मत

मेरठः पश्चिमी यूपी की राजनीति मेरठ की अपनी एक अलग पहचान है. नगर निकाय चुनाव 2023 में भी मेरठ में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है. यहां इस बार मेयर की कुर्सी को लेकर सपा गठबंधन खतैली मॉडल पर चुनाव लड़ने जा रहा है. खतौली विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और आजाद समाज पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन ने बीजेपी से खतौली सीट छीन ली थी. अब, समाजवादी पार्टी खतौली मॉडल पर मेरठ में भी मेयर की कुर्सी पाने का सपना देख रही है.

नगर निकाय चुनाव में खतौली मॉडल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक शादाब रिजवी ने बताया कि गठबंधन कर समाजवादी पार्टी ने मेरठ में महापौर की कुर्सी पाने का दांव खेला है. क्योंकि वह गठबंधन के इस फार्मूले को आजमा चुके हैं और उसमें सफल भी हो चुके हैं. इससे उनका मनोबल बढ़ा हुआ है. वहीं, बीजेपी के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. भारतीय जनता पार्टी खतौली में गठबंधन के चलते हार का सामना कर चुकी है. निश्चित ही बीजेपी इससे आशंकित होगी.

मेयर चुनाव में खतौली उपचुनाव जैसी स्थितिः रिजवी ने कहा कि खतौली में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता थे. मेरठ में भी सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर ही हैं. खतौली की तरह ही यहां भी दलितों की अच्छी-खासी संख्या है. जाट को लेकर भी स्थिति काफी हद तक एक जैसी ही है. खतौली में गठबंधन की पार्टी ने गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दिया था. उसी तरह मेरठ के मेयर पद के लिए भी सपा ने गुर्जर समाज से ही उम्मीदवार बनाया है. सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को प्रत्याशी बनाया है.

खतौली में गठबंधन ने बीजेपी को दी थी करारी हारः शादाब रिजवी ने बताया कि गठबंधन कि 3 दलों की तिकड़ी ने खतौली में बीजेपी से विधानसभा की सीट छीन ली थी. आरएलडी के मदन भैया बीजेपी को पटखनी देकर विधायक बने थे. अगर मेरठ में भी तीन दल सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी की तरफ से एक बार फिर एकजुट होकर मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश हुई, तो निश्चित ही बीजेपी के लिए मेरठ की सीट निकालनी टेड़ी खीर हो जाएगी.

संगीत सोम को हराकर विधायक बने थे अतुल प्रधानः वहीं, वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर जोशी ने बताया कि अतुल प्रधान जब सरधना से बीजेपी के संगीत सोम को चुनाव में हराकर जीते थे. उसमें भी रालोद की बड़ी भूमिका थी. उस समय भी गठबंधन था, जिससे प्रधान को जीत मिली. उससे पहले कई बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि भारतीय जनता पार्टी की स्थिति भी यहां बहुत मजबूत नहीं है, क्योंकि मुस्लिम यहां निर्णायक हैं. उनके साथ दलित मिल जाते हैं, तो बसपा जीत जाती है. शहर में जाटों की संख्या अच्छी खासी है. जैन समाज के लोग भी काफी है.

बीजेपी को चमत्कार की है उम्मीदः प्रदेश सरकार के मंत्री सोमेंद्र तोमर कहते है कि सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी जिस खतौली मॉडल के पैटर्न पर चुनाव लड़ने की उम्मीद मेरठ में लगा रही है. वहां की स्थिति अलग थी. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस बार भाजपा मेरठ में इतिहास रचेगी.

बीएसपी और आजाद समाज पार्टी को कमतर आंकना होगी भूलः वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शाहिद मिर्जा ने कहा कि मेरठ किसी भी दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यहां से जो सन्देश सियासत में जाता है, उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है. सपा और बीजेपी के अलावा बीएसपी प्रत्याशी को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. आम आदमी पार्टी ने भी मेरठ में मेयर पद के लिए जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मुकाबला दिलचस्प होगा, प्रत्याशियों को मेहनत करनी होगी.

गौरतलब है कि बीजेपी ने पंजाबी समाज से हरिकांत अहलूवालिया को मेयर पद का प्रत्याशी बनाया है. आप ने ऋचा सिंह को, बीएसपी ने हशमत मलिक, कांग्रेस ने नसीम कुरैशी, सपा रालोद गठबंधन की तरफ से सपा ने सीमा प्रधान को मैदान में उतारा है. मेरठ में कुल 15 मेयर के प्रत्याशी मैदान में हैं.

ये भी पढ़ेंः मेयर प्रत्याशी वंदना मिश्रा ने कहा- सपा ही करा सकती है लखनऊ का चहुंमुखी विकास

मेरठ में नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मत

मेरठः पश्चिमी यूपी की राजनीति मेरठ की अपनी एक अलग पहचान है. नगर निकाय चुनाव 2023 में भी मेरठ में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है. यहां इस बार मेयर की कुर्सी को लेकर सपा गठबंधन खतैली मॉडल पर चुनाव लड़ने जा रहा है. खतौली विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और आजाद समाज पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन ने बीजेपी से खतौली सीट छीन ली थी. अब, समाजवादी पार्टी खतौली मॉडल पर मेरठ में भी मेयर की कुर्सी पाने का सपना देख रही है.

नगर निकाय चुनाव में खतौली मॉडल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक शादाब रिजवी ने बताया कि गठबंधन कर समाजवादी पार्टी ने मेरठ में महापौर की कुर्सी पाने का दांव खेला है. क्योंकि वह गठबंधन के इस फार्मूले को आजमा चुके हैं और उसमें सफल भी हो चुके हैं. इससे उनका मनोबल बढ़ा हुआ है. वहीं, बीजेपी के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. भारतीय जनता पार्टी खतौली में गठबंधन के चलते हार का सामना कर चुकी है. निश्चित ही बीजेपी इससे आशंकित होगी.

मेयर चुनाव में खतौली उपचुनाव जैसी स्थितिः रिजवी ने कहा कि खतौली में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता थे. मेरठ में भी सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर ही हैं. खतौली की तरह ही यहां भी दलितों की अच्छी-खासी संख्या है. जाट को लेकर भी स्थिति काफी हद तक एक जैसी ही है. खतौली में गठबंधन की पार्टी ने गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दिया था. उसी तरह मेरठ के मेयर पद के लिए भी सपा ने गुर्जर समाज से ही उम्मीदवार बनाया है. सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को प्रत्याशी बनाया है.

खतौली में गठबंधन ने बीजेपी को दी थी करारी हारः शादाब रिजवी ने बताया कि गठबंधन कि 3 दलों की तिकड़ी ने खतौली में बीजेपी से विधानसभा की सीट छीन ली थी. आरएलडी के मदन भैया बीजेपी को पटखनी देकर विधायक बने थे. अगर मेरठ में भी तीन दल सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी की तरफ से एक बार फिर एकजुट होकर मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश हुई, तो निश्चित ही बीजेपी के लिए मेरठ की सीट निकालनी टेड़ी खीर हो जाएगी.

संगीत सोम को हराकर विधायक बने थे अतुल प्रधानः वहीं, वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर जोशी ने बताया कि अतुल प्रधान जब सरधना से बीजेपी के संगीत सोम को चुनाव में हराकर जीते थे. उसमें भी रालोद की बड़ी भूमिका थी. उस समय भी गठबंधन था, जिससे प्रधान को जीत मिली. उससे पहले कई बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि भारतीय जनता पार्टी की स्थिति भी यहां बहुत मजबूत नहीं है, क्योंकि मुस्लिम यहां निर्णायक हैं. उनके साथ दलित मिल जाते हैं, तो बसपा जीत जाती है. शहर में जाटों की संख्या अच्छी खासी है. जैन समाज के लोग भी काफी है.

बीजेपी को चमत्कार की है उम्मीदः प्रदेश सरकार के मंत्री सोमेंद्र तोमर कहते है कि सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी जिस खतौली मॉडल के पैटर्न पर चुनाव लड़ने की उम्मीद मेरठ में लगा रही है. वहां की स्थिति अलग थी. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस बार भाजपा मेरठ में इतिहास रचेगी.

बीएसपी और आजाद समाज पार्टी को कमतर आंकना होगी भूलः वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शाहिद मिर्जा ने कहा कि मेरठ किसी भी दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यहां से जो सन्देश सियासत में जाता है, उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है. सपा और बीजेपी के अलावा बीएसपी प्रत्याशी को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. आम आदमी पार्टी ने भी मेरठ में मेयर पद के लिए जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मुकाबला दिलचस्प होगा, प्रत्याशियों को मेहनत करनी होगी.

गौरतलब है कि बीजेपी ने पंजाबी समाज से हरिकांत अहलूवालिया को मेयर पद का प्रत्याशी बनाया है. आप ने ऋचा सिंह को, बीएसपी ने हशमत मलिक, कांग्रेस ने नसीम कुरैशी, सपा रालोद गठबंधन की तरफ से सपा ने सीमा प्रधान को मैदान में उतारा है. मेरठ में कुल 15 मेयर के प्रत्याशी मैदान में हैं.

ये भी पढ़ेंः मेयर प्रत्याशी वंदना मिश्रा ने कहा- सपा ही करा सकती है लखनऊ का चहुंमुखी विकास

Last Updated : Apr 26, 2023, 10:46 AM IST
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