मेरठ: पिछले लंबे इंतजार के बाद महिला क्रिकेट टीम में मेरठ की बेटी का चयन हुआ है और अब मेरठ की भूमि रणजी टीम में शामिल हो मैदान में अपने खेल का हुनर देखाएगी. लेकिन भूमि को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उनके परिजनों ने ढेरों त्याग दिए. होनहार क्रिकेटर भूमि के पिता एक समर्सिबल रिपेयरिंग मैकेनिक हैं, जबकि मां अपनी बेटी के जुनून व सपने को पूरा करने के लिए घरों में काम करती हैं.
मेरठ की अपनी एक अलग पहचान है. खेल के सामान के बड़े बाजार के तौर पर मेरठ को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली हुई है. लेकिन अब यहां की एक बेटी भूमि रणजी टीम में खेलने जा रही है. भूमि मेरठ के ट्रांसपोर्टनगर के देवपुरी की रहने वासी हैं और उनका चयन यूपी रणजी वनडे टीम में हुआ है.
भूमि की इस उपलब्धि के बाद आज उनके परिवार को शहर भर के लोग बधाईयां दे रहे हैं. परिवार भी अपनी बेटी के चयन से बेहद खुश हैं. परिजनों का मानना है कि उनकी बेटी चयनकर्ताओं की उम्मीद पर खरी उतरेंगी. बता दें कि भूमि के पिता समर्सिबल को सुधारने व बनाने का कार्य करते हैं व किसी तरह परिवार का भरण-पोषण करते हैं. वहीं, भूमि की मां भी मेहनत मजदूरी कर कुछ पैसे इकट्ठा कर परिवार के संचालन में हाथ बंटाती हैं.
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भूमि की मां अपनी बेटी के रणजी टीम में चयन से बेहद खुश हैं और वो कहती हैं कि उन्होंने कभी 200 रुपये की खुद चप्पल नहीं पहनी. लेकिन बेटी पर उन्हें पूरा भरोसा है कि वो एक दिन चमकेगी. उसे उन्होंने 4 हजार के जूते तक खरीदकर देने में कभी गुरेज नहीं किया.
भूमि की मां देवकी ने कहा- "उनकी बेटी को उन्होंने व उनके पति ने पूरी छूट दी कि वो जो बनना चाहे बन के दिखाए. भूमि ने दिन-रात मेहनत की और अपनी कठिन मेहनत व निरन्तर अभ्यास के बल पर उसने क्रिकेट टीम में जगह बनाई है."
भूमि के पिता उमाकांत का कहते हैं- "भले ही उन्हें कितनी भी दिक्कत आईं,लेकिन अपनी बेटी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने हमेशा साथ दिया. हौसला बढ़ाया. बेटी व बेटों में लोग फर्ख करते हैं, लेकिन हमने अपनी बेटी को ही बेटे की तरह पाला और उससे भी अधिक जरूरी होता है कि उसपर भरोसा करना. हमने अपनी बेटी को पूरी आजादी दी और उसी का परिणाम है कि आज हमारी बेटी रणजी क्रिकेट टीम में चयनित हुई है."
भूमि के पिता आगे कहते हैं कि वो तो मजदूरी करते हैं, उन्हें सिर्फ इतना पता है कि उनकी बेटी उनका गौरव है और वो किसी से कम नहीं है. वो जो सपना देखते-देखते अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही है, उसमें आगे भी कामयाब होगी.
परिवार के लोग इस सफलता के लिए भूमि के कोच के योगदान की भी सराहना करते हैं. बता दें कि भूमि को काफी समय से विपिन वत्स कोचिंग दे रहे थे. विपिन वत्स क्रिकेटर प्रवीण कुमार और भुवनेश्वर के भी कोच रहे हैं व खुद भी एक अच्छे प्लेयर रहे हैं. वत्स कहते हैं कि भूमि बेहद ही प्रतिभाशाली हैं और वो प्रैक्टिस के लिए लगभग 22 किलोमीटर दूर आकर प्रैक्टिस करती थी.
प्रवीण वत्स कहते हैं कि कई बार लोग अपने बच्चों पर भरोसा तो करते हैं, लेकिन उन्हें एक दो साल में अगर कामयाबी नहीं मिलती है तो फिर वो आगे इंतजार नहीं करते. खैर, सफलता निरन्तर प्रयास के बाद ही मिलती है.
भूमि में अपने लक्ष्य के प्रति गम्भीरता व समर्पण भाव है. वो मानते हैं कि भूमि एक दिन शिखर पर पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि जो सहयोग वो कर सकते थे, उन्होंने किया और अब उन्हें उम्मीद है कि मेरठ की होनहार भूमि मैदान में अपना जलवा दिखाएगी.
उन्होंने बताया कि फिलहाल भूमि कानपुर में तीन दिवसीय कैम्प में शामिल होने गई हुई हैं. उसके बाद 31 अक्टूबर को वन डे मैच खेलेगी और वो भूमि दाएं हाथ की तेज गेंदबाज है.
ईटीवी भारत ने भूमि से फोन पर बातचीत की तो उसने बताया कि माता-पिता, भाई, कोच और दोस्तों के साथ ही सभी सहयोगियों ने उसे हमेशा हौसला दिया है और अब उसे सभी की उम्मीदों पर खरा उतरना है.