मेरठ: ओलंपिक के बाद टोक्यो में ही 24 अगस्त से पांच सितंबर तक पैरालंपिक गेम्स (Paralympics Games) का आयोजन होगा. इसे लेकर खिलाड़ियों में जबरदस्त उत्साह है. मेरठ सहित प्रदेश के पांच खिलाड़ी भारतीय पैरालंपिक (Paralympics) टीम का हिस्सा बने हैं. इसमें मेरठ के रहने वाले तीरंदाज विवेक चिकारा (Vivek Chikara) का नाम भी शामिल है. विवेक की कामयाबी की दास्तान किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं.
विवेक चिकारा (Vivek Chikara) एमबीएम की पढ़ाई के बाद एक बड़ी कंपनी में नौकरी कर रहे थे लेकिन 2016 में हुए एक हादसे ने उसकी जिंदगी बदल दी. भीषण सड़क हादसे में विवेक ने अपने एक पैर को गंवा दिया. इसके बाद लगभग एक साल तक उन्होंने बिस्तर पर ही गुजारा.
2018 से उन्होंने तीरंदाजी की शुरुआत की. अपने कठिन परिश्रम के बलबूते विवेक ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक सफलता की ऊंचाइयों की ओर बढ़ते गए. विवेक के परिश्रम का ही नतीजा है कि अब 24 अगस्त से शुरु हो रहे पैरालंपिक में विवेक देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. विवेक के पिता की आंखें अपने लाडले के संघर्ष को बताते बताते नम हो जातीं हैं.
विवेक चिकारा ने साल 2017 के अंत में तीरंदाजी की शुरुआत गुरुकुल प्रभात आश्रम से की. यहां पर कुछ समय ट्रेनिंग के बाद वह सत्यकाम इंटरनेशनल एकेडमी में पहुंचे. कोच सत्यदेव प्रसाद के मार्गदर्शन में तीरंदाजी की ट्रेनिंग की. इसके बाद नेशनल चैंपियन बने और वर्ल्ड रैंकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन किया. कोच सत्यदेव प्रसाद कहते हैं कि उन्हें विवेक पर पूरा भरोसा है कि वो गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचेंगे.
इसे भी पढ़ें-टोक्यो पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई
विवेक ने 2018 से तीरंदाजी की दुनिया में प्रवेश किया और महज एक साल की मेहनत में ही मार्च 2019 में पैरा तीरंदाजी की नेशनल प्रतियोगिता में नए रिकॉर्ड के साथ नेशनल चैंपियन बन गए. बाद में एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल उन्होंने अपने नाम किया. 29 साल के चिकारा से अब देश को उम्मीद है कि वो पैरालंपिक में अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर निशाना साधेंगे और भारत का तिरंगा टोक्यो में शान से लहराएंगे.
बता दें टोक्यो ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेलों का आयोजन इस साल जुलाई अगस्त और अगस्त-सितंबर में होना है. इसमें उत्तर प्रदेश से पांच खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इन खेलों का आयोजन बीते साल ही होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण इन्हें एक साल के लिए टाल दिया गया था. टोक्यो ओलंपिक के बाद पैरालंपिक को लेकर दिव्यांग खिलाड़ियों में जबरदस्त उत्साह है. विनर लिस्ट में देश भर के दिव्यांग खिलाड़ी अपना और अपने देश का नाम दर्ज कराने के लिए पूरे जोरशोर से लगे हुए हैं.