अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू नदी में 'जल समाधि' दी गई. आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई में बुधवार को निधन हो गया था. इसके बाद आचार्य सत्येंद्र दास का शव लाया गया था, जहां पर लोगों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद गुरुवार को सत्येंद्र दास के शव की भव्य शोभा यात्रा निकालते हुए सरयू नदी पर ले जाया गया. यहां से बोट के जरिए सरयू नदी के अंदर सत्येंद्र दास के शव को ले जाकर जल समाधि दी गई. इस दौरान संत-महात्माओं, गणमान्य नागरिक और जन प्रतिनिधियों की भारी भीड़ रही.
शिष्य प्रदीप दास दी समाधिः इससे पूर्व आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर का दर्शन करने के लिए उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर से रथ के माध्यम से नगर भ्रमण कराया गया और विशेष रूप से हनुमानगढ़ी के सिंह द्वार के सामने से यात्रा निकाली गई. जिसके बाद रामघाट होते हुए संत तुलसी घाट (कच्चा घाट) पर जाकर उनके शिष्य प्रदीप दास ने जलसमाधि देते हुए संस्कार पूर्ण किया.
#WATCH अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सरयू नदी में 'जल समाधि' दी गई।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 13, 2025
आचार्य सत्येंद्र दास का कल निधन हो गया था। pic.twitter.com/8lPWWWoZ9l
बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब चल रही थी. 29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें अयोध्या के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से चार फरवरी को लखनऊ PGI रेफर किया गया था. तब से पीजीआई में इलाज चल रहा था. चार फरवरी को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई में मुलाकात की थी. इलाज के दौरान ही ब्रेन हैमरेज होने से बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया था. संतकबीरनगर में जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास ने 34 साल तक रामलला की सेवा की.
आचार्य सत्येंद्र दास 958 में पिता से अनुमति लेने के बाद घर परिवार को छोड़कर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा अभिराम दास के शिष्य बने और 1960 में पुजारी बने. इसके साथ ही संस्कृत पाठशाला में आचार्य तक संस्कृत की शिक्षा ली. सत्येंद्र दास सन 1976 में रामकोट क्षेत्र स्थित त्रिदंडदेव संस्कृत पाठशाला में व्याकरण विभाग में संस्कृत के शिक्षक बने. जहां उन्हें 75 रुपए वेतन मिलता था. इस बीच राम मंदिर आंदोलन भी तेज हो गया और वह अपने गुरु बाबा अभिराम दास के साथ रामलला की सेवा के लिए जाने लगे. 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद कोर्ट के आदेश पर तैनात रिसीवर के द्वारा सत्येंद्र दास को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया. आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की थी.
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