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राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू में दी गई जल समाधि - ACHARYA SATYENDRA DAS

आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई में बुधवार को निधन हो गया था.

आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू में दी गई जल समाधि.
आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू में दी गई जल समाधि. (Photo Credit; ANI)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2025, 4:24 PM IST

Updated : Feb 13, 2025, 7:43 PM IST

अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू नदी में 'जल समाधि' दी गई. आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई में बुधवार को निधन हो गया था. इसके बाद आचार्य सत्येंद्र दास का शव लाया गया था, जहां पर लोगों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद गुरुवार को सत्येंद्र दास के शव की भव्य शोभा यात्रा निकालते हुए सरयू नदी पर ले जाया गया. यहां से बोट के जरिए सरयू नदी के अंदर सत्येंद्र दास के शव को ले जाकर जल समाधि दी गई. इस दौरान संत-महात्माओं, गणमान्य नागरिक और जन प्रतिनिधियों की भारी भीड़ रही.

शिष्य प्रदीप दास दी समाधिः इससे पूर्व आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर का दर्शन करने के लिए उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर से रथ के माध्यम से नगर भ्रमण कराया गया और विशेष रूप से हनुमानगढ़ी के सिंह द्वार के सामने से यात्रा निकाली गई. जिसके बाद रामघाट होते हुए संत तुलसी घाट (कच्चा घाट) पर जाकर उनके शिष्य प्रदीप दास ने जलसमाधि देते हुए संस्कार पूर्ण किया.

आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू में दी गई जल समाधि (Video Credit; ETV Bharat)
पुजारी के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षाः शोभा यात्रा में जगह-जगह पर पुजारी के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा भी की गई. इस यात्रा में जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास, महंत राघवेश दास वेदांती, नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, हनुमान गढ़ी के महंत गौरी शंकर दास, महंत धर्म दास, दिवाकराचार्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, जिला अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस प्रदेश कार्यशामिति के सदस्य राजेंद्र सिंह, बबलू खान, नारायण मिश्रा, वीरू तिवारी समेत सैकड़ो की संख्या अयोध्यावासी और भक्त उनके अंतिम यात्रा में शामिल हुए.
वहीं, अयोध्या के कुछ संतों के द्वारा आचार्य सत्येंद्र दास को पद्मश्री से नवाजे जाने की मांग उठाई गई है. अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास अब हम लोगों के बीच नहीं रहे. उन्हें पिछले 40 वर्षों से आचार्य जी का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता रहा है. भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा और लगाव को शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है. महंत धर्मदास ने कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास जी हमारे बड़े गुरु भाई थे. इन्हीं के माध्यम से हम इस संत विरासत में शामिल हुए और इन्हीं के द्वारा निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महंत भी बनाए गए थे. आज उनके न रहने पर हमें बहुत ही दुख है.महंत धर्मदास ने कहा कि रामलला के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास अयोध्या में सांस्कृतिक व सामाजिक सौहार्द के वाहक थे. राम मंदिर विवाद के दौरान मंदिर-मस्जिद विवाद को आपसी समझौते से हल के सहयोगी रहे. साधूशाही ऐसी कि परिणाम की परवाह किए बगैर सच बोलने से वह गुरेज नहीं करते थे. लगभग 35 साल तक राम लला की सेवा करने वाले मुख्य पुजारी का 87 साल की उम्र में निधन हो गया. राम जन्मभूमि पर विवादित ढांचा ढहने के बाद आपसी सुलह समझौते के प्रयास शुरू हुए. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान एक सेवानिवृत्त अफसर अल्लामा रिजवी और कार्तिक चोपड़ा अयोध्या विवाद के हल का फार्मूला लेकर अयोध्या पहुंचे. उन्होंने दोनों पक्ष से कई चक्र की बातचीत की. इसमें आचार्य सत्येंद्र दास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि यह सफल नहीं हुआ. इसके बाद पश्चिमी बंगाल के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पलोक बसु ने हल की पहल की, आचार्य उनके साथ रहे. यह प्रयास लगभग एक दशक तक चला. उनके लिए हिंदू, मुस्लिम सहित सभी समान थे. मंदिर-मस्जिद विवाद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी और उनके बेटे इकबाल अंसारी के साथ भी उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं.

बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब चल रही थी. 29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें अयोध्या के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से चार फरवरी को लखनऊ PGI रेफर किया गया था. तब से पीजीआई में इलाज चल रहा था. चार फरवरी को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई में मुलाकात की थी. इलाज के दौरान ही ब्रेन हैमरेज होने से बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया था. संतकबीरनगर में जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास ने 34 साल तक रामलला की सेवा की.

आचार्य सत्येंद्र दास 958 में पिता से अनुमति लेने के बाद घर परिवार को छोड़कर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा अभिराम दास के शिष्य बने और 1960 में पुजारी बने. इसके साथ ही संस्कृत पाठशाला में आचार्य तक संस्कृत की शिक्षा ली. सत्येंद्र दास सन 1976 में रामकोट क्षेत्र स्थित त्रिदंडदेव संस्कृत पाठशाला में व्याकरण विभाग में संस्कृत के शिक्षक बने. जहां उन्हें 75 रुपए वेतन मिलता था. इस बीच राम मंदिर आंदोलन भी तेज हो गया और वह अपने गुरु बाबा अभिराम दास के साथ रामलला की सेवा के लिए जाने लगे. 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद कोर्ट के आदेश पर तैनात रिसीवर के द्वारा सत्येंद्र दास को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया. आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की थी.

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शिष्य प्रदीप दास दी समाधिः इससे पूर्व आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर का दर्शन करने के लिए उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर से रथ के माध्यम से नगर भ्रमण कराया गया और विशेष रूप से हनुमानगढ़ी के सिंह द्वार के सामने से यात्रा निकाली गई. जिसके बाद रामघाट होते हुए संत तुलसी घाट (कच्चा घाट) पर जाकर उनके शिष्य प्रदीप दास ने जलसमाधि देते हुए संस्कार पूर्ण किया.

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पुजारी के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षाः शोभा यात्रा में जगह-जगह पर पुजारी के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा भी की गई. इस यात्रा में जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास, महंत राघवेश दास वेदांती, नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, हनुमान गढ़ी के महंत गौरी शंकर दास, महंत धर्म दास, दिवाकराचार्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, जिला अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस प्रदेश कार्यशामिति के सदस्य राजेंद्र सिंह, बबलू खान, नारायण मिश्रा, वीरू तिवारी समेत सैकड़ो की संख्या अयोध्यावासी और भक्त उनके अंतिम यात्रा में शामिल हुए.
वहीं, अयोध्या के कुछ संतों के द्वारा आचार्य सत्येंद्र दास को पद्मश्री से नवाजे जाने की मांग उठाई गई है. अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास अब हम लोगों के बीच नहीं रहे. उन्हें पिछले 40 वर्षों से आचार्य जी का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता रहा है. भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा और लगाव को शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है. महंत धर्मदास ने कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास जी हमारे बड़े गुरु भाई थे. इन्हीं के माध्यम से हम इस संत विरासत में शामिल हुए और इन्हीं के द्वारा निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महंत भी बनाए गए थे. आज उनके न रहने पर हमें बहुत ही दुख है.महंत धर्मदास ने कहा कि रामलला के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास अयोध्या में सांस्कृतिक व सामाजिक सौहार्द के वाहक थे. राम मंदिर विवाद के दौरान मंदिर-मस्जिद विवाद को आपसी समझौते से हल के सहयोगी रहे. साधूशाही ऐसी कि परिणाम की परवाह किए बगैर सच बोलने से वह गुरेज नहीं करते थे. लगभग 35 साल तक राम लला की सेवा करने वाले मुख्य पुजारी का 87 साल की उम्र में निधन हो गया. राम जन्मभूमि पर विवादित ढांचा ढहने के बाद आपसी सुलह समझौते के प्रयास शुरू हुए. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान एक सेवानिवृत्त अफसर अल्लामा रिजवी और कार्तिक चोपड़ा अयोध्या विवाद के हल का फार्मूला लेकर अयोध्या पहुंचे. उन्होंने दोनों पक्ष से कई चक्र की बातचीत की. इसमें आचार्य सत्येंद्र दास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि यह सफल नहीं हुआ. इसके बाद पश्चिमी बंगाल के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पलोक बसु ने हल की पहल की, आचार्य उनके साथ रहे. यह प्रयास लगभग एक दशक तक चला. उनके लिए हिंदू, मुस्लिम सहित सभी समान थे. मंदिर-मस्जिद विवाद के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी और उनके बेटे इकबाल अंसारी के साथ भी उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं.

बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब चल रही थी. 29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें अयोध्या के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से चार फरवरी को लखनऊ PGI रेफर किया गया था. तब से पीजीआई में इलाज चल रहा था. चार फरवरी को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई में मुलाकात की थी. इलाज के दौरान ही ब्रेन हैमरेज होने से बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया था. संतकबीरनगर में जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास ने 34 साल तक रामलला की सेवा की.

आचार्य सत्येंद्र दास 958 में पिता से अनुमति लेने के बाद घर परिवार को छोड़कर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा अभिराम दास के शिष्य बने और 1960 में पुजारी बने. इसके साथ ही संस्कृत पाठशाला में आचार्य तक संस्कृत की शिक्षा ली. सत्येंद्र दास सन 1976 में रामकोट क्षेत्र स्थित त्रिदंडदेव संस्कृत पाठशाला में व्याकरण विभाग में संस्कृत के शिक्षक बने. जहां उन्हें 75 रुपए वेतन मिलता था. इस बीच राम मंदिर आंदोलन भी तेज हो गया और वह अपने गुरु बाबा अभिराम दास के साथ रामलला की सेवा के लिए जाने लगे. 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद कोर्ट के आदेश पर तैनात रिसीवर के द्वारा सत्येंद्र दास को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया. आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की थी.

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Last Updated : Feb 13, 2025, 7:43 PM IST
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