मेरठ: आगामी नगर निकाय चुनावों (municipal elections in meerut) को लेकर तमाम दल अब सक्रिय हो गए हैं. जी हां मेरठ की मेयर की कुर्सी पर पकड़ मजबूत करने को सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियां यहां तमाम संभावनाओं के साथ मजबूत मुकाबले को योजनाएं बना रही हैं, क्योंकि बीजेपी, बीएसपी और सपा के लिए ये बेहद खास है.
यूपी में निकाय चुनावों को लेकर डुगडुगी कभी भी बज सकती है. बस इंतजार है तो सिर्फ इन चुनावों को लेकर आरक्षण के एलान का. वहीं, वेस्टर्न यूपी में मेरठ की महापौर की कुर्सी बेहद ही अहम है. इस सीट पर पिछले चुनावों में बीएसपी की प्रत्याशी महापौर बनने में सफल रही थीं. 2017 के निकाय चुनाव में मेरठ मेयर की सीट एससी/ एसटी महिला के लिए आरक्षित थी. यहां से तब बसपा ने सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा. वह पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं. जबकि बीजेपी ने कांता कर्दम को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में भाजपा की मेयर प्रत्याशी कांता कर्दम को बीएसपी की प्रत्याशी ने हरा दिया था. इसके बाद जब प्रदेश में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजा तब बसपा की सुनीता वर्मा और उनके पति पूर्व विधायक पति योगेश वर्मा सपा में शामिल हो गए थे.
ईटीवी भारत से समाजवादी पार्टी के वर्तमान जिलाध्यक्ष और पूर्व राज्यमंत्री राजपाल सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में मेरठ की मेयर सपा की हैं. भले ही निकाय चुनाव कभी भी हो. लेकिन समाजवादी पार्टी ने यहां अलग-अलग वर्ग से तीन-तीन प्रत्याशियों की लिस्ट प्रदेश मुख्यालय के द्वारा घोषित कमेटी को प्रेषित कर दिए हैं. कहा कि राष्ट्रीय लोकदल और सपा का गठबंधन है. जिले में ही नहीं प्रदेशभर में इस बार सपा मजबूती से निकाय चुनावों में उतरेगी और सफल होगी.
वेस्ट यूपी बीएसपी के 4 मंडल के प्रभारी और पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि भले ही मेयर ने बीएसपी का दामन छोड़ सपा में शामिल हो गई है. लेकिन मेरठ में अब भी बसपा ही मजबूत है और बीजेपी की लड़ाई सपा से नहीं बल्कि बीएसपी से है. गौरतलब है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने तो बीते माह सपा छोड़कर आए ईमरान मसूद को निकाय चुनावों के मद्देनजर पश्चिमी यूपी के 4 मण्डल की जिम्मेदारी दी है, जिसके बाद इमरान मसूद भी मेरठ पर खासतौर से विशेष ध्यान दे रहे हैं.
जानिए कब किसके पास रही मेयर की कुर्सी
2012 के निकाय चुनाव में भी यहां मेयर की सीट ओबीसी में आरक्षित थी. तब पंजाबी समाज से भाजपा उम्मीदवार हरिकांत अहलूवालिया महापौर बने थे, उससे पहले 2007 में भी ओबीसी में थी. तब भाजपा की मधु गुर्जर महापौर बनी थीं. उससे पहले 2002 के चुनाव में शाहिद अखलाक महापौर बने थे. बहरहाल बीजेपी हो या बीएसपी या सपा तीनों के ही अपने-अपने दावे हैं.
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