मेरठः गिनीज बुक में नाम दर्ज करा चुकीं ममता दीक्षित का कहना है कि उन्हें जितने भी सम्मान मिले हैं. वो सब कैंसर सरवाइवर को समर्पित करती हूं. मेरठ की महिला ने कैंसर को मात देकर एक ऐसा उदाहरण पेश किया है कि जो न जाने कितने मरीजों को नई ऊर्जा देता है. मेरठ की महिला को 2013 में कैंसर हुआ था. कई सालों तक कैंसर से जूझकर उसे मात देकर उन्होंने कला के क्षेत्र में नया जीवन शुरू किया. मेरठ की रहने वाली ममता दीक्षित ने पेंटिंग की दुनिया में ऐसा तहलका मचाया कि आज की तारीख में अब तक दो बार उनका गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो चुका है.
राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर कला क्षेत्र में अपना अलग मुकाम बनाने वाली ममता दीक्षित ने हाल ही में दूसरी बार गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड में भाग लिया. उन्होंने इसमें सफलता भी हासिल की. इसी साल दो मई को रेडार्ट संस्था ने ऑनलाइन पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया. इस कम्पटीशन में एक घंटे के दौरान 1,057 कलाकारों ने भाग लिया. जिनमें 797 पोस्ट को रिकॉर्ड के मुताबिक सही पाया गया. प्रतियोगिता में 112 देशों के 184 शहरों और 26 राज्यों से 900 से अधिक कलाकारों ने हिस्सा लेकर गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड बनाया. ममता दीक्षित को गिनीज बुक की तरफ से सर्टिफिकेट और मेडल से सम्मानित किया गया है.
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ममता दीक्षित की हर पेंटिंग ऐसी हैं कि आपका नज़रे हटाने का दिल नहीं करेगा. हर पेटिंग कई हज़ार शब्द बोलती हुई नजर आती है. महिला ने कोरोनाकाल में लॉकडाउन की ऐसी तस्वीर उकेरी कि आप वाह कहे बिना नहीं रहेंगे. उन्होंने एक मुस्कुराती हुई महिला की तस्वीर पेंटिंग के माध्यम से दर्शायी है. इस पेंटिंग में बाहर ताला लगा हुआ नजर आता है. लेकिन फिर भी महिला मुस्कुरा रही है. ममता का कहना है कि इस पेंटिंग में उन्होंने ये दर्शाने की कोशिश की है कि हालात चाहे जैसे भी हों, लेकिन नारी हमेशा हर परिस्थिति का मुकाबला हंस कर ही करती है. ममता की हर पेंटिंग कुछ अलग कहानी कहती हुई नजर आती है. उनका कहना है कि पेंटिंग ने ही उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकाला है. ममता कहती हैं कि कला एक मेडिटेशन है और उनके लिए वो औषधि का कार्य करती है.