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मेरठ में पिछली बार बसपा की सुनीता वर्मा बनी थीं मेयर, इस बार भाजपा-सपा में सीधी टक्कर - यूपी निकाय चुनाव

मेरठ में निकाय चुनाव की मतगणना जारी है. पिछली बार मेयर सीट पर बसपा ने कब्जा जमाया था. इस बार इस सीट पर भाजपा और सपा की सीधी टक्कर मानी जा रही है. शाम तक तस्वीर साफ हो जाएगी.

पिछली बार बसपा ने मेयर सीट पर जमाया था कब्जा.
पिछली बार बसपा ने मेयर सीट पर जमाया था कब्जा.
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Published : May 13, 2023, 12:36 PM IST

मेरठ : जिले में महापौर का चुनाव इस बार दिलचस्प माना जा रहा है. मतों की गिनती तेजी से चल रही है. पिछली बार मेयर सीट पर बीएसपी की सुनीता वर्मा ने जीत दर्ज की थी. इस बार भाजपा और सपा में सीधा मुकाबला माना जा रहा है. इस बार बसपा के तीसर नंबर पर रहने का अनुमान जताया जा रहा है.

बता दें कि मेयर की कुर्सी पर इस बार बीएसपी का दावा उतना मजबूत नहीं माना जा रहा है, जबकि बीएसपी ने 2017 में यहां उस वक्त जीत दर्ज की थी जब पूरे प्रदेश में बीजेपी ने बढ़त बनाई थी. हालांकि सपा तब भी प्रदेश में कहीं अपना मेयर नहीं जिता पाई थी. जबकि 16 में से 2 पर बसपा का जादू चला था. मेरठ के अलावा अलीगढ़ में भी बीएसपी ने जीत दर्ज की थी. इस बार कहीं ना कहीं सपा-रालोद गठबंधन के लिए भी है यह चुनाव अहम माना जा रहा है. हालांकि खतौली उपचुनाव से पहले सपा के साथ रालोद के अलावा आजाद समाज पार्टी भी आ गई थी. इतना ही नहीं सहारनपुर में जब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने निकाय चुनाव को लेकर प्रेसवार्ता की थी, तो आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर भी साथ थे, लेकिन जब समाजवादी पार्टी की तरफ से मेरठ में महापौर की प्रत्याशी सीमा प्रधान के समर्थन में रोड शो निकला तो उस वक्त बहुत कुछ बदला हुआ था.

रोड शो में रालोद के अलावा आजाद समाज पार्टी का भी कोई नेता नजर नहीं आया. इसके बाद माना जा रहा था कि अब सपा के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा. गौरतलब है कि रालोद-सपा गठबंधन की तरफ से निकाय चुनाव को लेकर खतौली मॉडल पर निकाय चुनाव लड़ने की बातें हो रहीं थीं, लेकिन वह खतौली मॉडल यहां धूल में मिलता दिखाई दिया. खास बात यह भी है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेरठ में रोड शो करने आए, लेकिन उनके किठौर से विधायक शाहिद मंजूर और शहर के विधायक रफीक अंसारी ने मेयर प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार तक नहीं किया. जबकि अतुल प्रधान का दावा है कि सपा प्रत्याशी इस बार मेरठ में महापौर का चुनाव जीतेंगी. बता दें कि अतुल प्रधान सरधना से विधायक हैं और उनकी पत्नी पर ही समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भरोसा जताया है.

फिलहाल जो समीकरण मेरठ में बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं, उसके अनुसार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया जीत की रेस में आगे चल रहे हैं. पिछली बार 2017 में बीएसपी की प्रत्याशी सुनीता वर्मा ने यहां भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कांता कर्दम को शिकस्त दी थी. वहीं इस बार बीजेपी बदला लेती दिखाई दे रही है. बसपा की तरफ से हशमत मलिक को यहां प्रत्याशी बनाया गया है.

यह भी पढ़ें : निकाय चुनाव में जयंत चौधरी से दूरी को लेकर क्या बोले अखिलेश यादव, जानिए

मेरठ : जिले में महापौर का चुनाव इस बार दिलचस्प माना जा रहा है. मतों की गिनती तेजी से चल रही है. पिछली बार मेयर सीट पर बीएसपी की सुनीता वर्मा ने जीत दर्ज की थी. इस बार भाजपा और सपा में सीधा मुकाबला माना जा रहा है. इस बार बसपा के तीसर नंबर पर रहने का अनुमान जताया जा रहा है.

बता दें कि मेयर की कुर्सी पर इस बार बीएसपी का दावा उतना मजबूत नहीं माना जा रहा है, जबकि बीएसपी ने 2017 में यहां उस वक्त जीत दर्ज की थी जब पूरे प्रदेश में बीजेपी ने बढ़त बनाई थी. हालांकि सपा तब भी प्रदेश में कहीं अपना मेयर नहीं जिता पाई थी. जबकि 16 में से 2 पर बसपा का जादू चला था. मेरठ के अलावा अलीगढ़ में भी बीएसपी ने जीत दर्ज की थी. इस बार कहीं ना कहीं सपा-रालोद गठबंधन के लिए भी है यह चुनाव अहम माना जा रहा है. हालांकि खतौली उपचुनाव से पहले सपा के साथ रालोद के अलावा आजाद समाज पार्टी भी आ गई थी. इतना ही नहीं सहारनपुर में जब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने निकाय चुनाव को लेकर प्रेसवार्ता की थी, तो आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर भी साथ थे, लेकिन जब समाजवादी पार्टी की तरफ से मेरठ में महापौर की प्रत्याशी सीमा प्रधान के समर्थन में रोड शो निकला तो उस वक्त बहुत कुछ बदला हुआ था.

रोड शो में रालोद के अलावा आजाद समाज पार्टी का भी कोई नेता नजर नहीं आया. इसके बाद माना जा रहा था कि अब सपा के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा. गौरतलब है कि रालोद-सपा गठबंधन की तरफ से निकाय चुनाव को लेकर खतौली मॉडल पर निकाय चुनाव लड़ने की बातें हो रहीं थीं, लेकिन वह खतौली मॉडल यहां धूल में मिलता दिखाई दिया. खास बात यह भी है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेरठ में रोड शो करने आए, लेकिन उनके किठौर से विधायक शाहिद मंजूर और शहर के विधायक रफीक अंसारी ने मेयर प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार तक नहीं किया. जबकि अतुल प्रधान का दावा है कि सपा प्रत्याशी इस बार मेरठ में महापौर का चुनाव जीतेंगी. बता दें कि अतुल प्रधान सरधना से विधायक हैं और उनकी पत्नी पर ही समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भरोसा जताया है.

फिलहाल जो समीकरण मेरठ में बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं, उसके अनुसार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया जीत की रेस में आगे चल रहे हैं. पिछली बार 2017 में बीएसपी की प्रत्याशी सुनीता वर्मा ने यहां भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कांता कर्दम को शिकस्त दी थी. वहीं इस बार बीजेपी बदला लेती दिखाई दे रही है. बसपा की तरफ से हशमत मलिक को यहां प्रत्याशी बनाया गया है.

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