मेरठ: भारत को डिजिटल तौर पर एक सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के क्रम में आईटी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मेरठ में एसटीपीआई इंक्यूबेशन केंद्र (आईटी पार्क) का निर्माण हुआ. 13 महीने पहले यानी 28 दिसंबर 2022 में इसका उद्घाटन हुआ था. लेकिन, इसको लेकर जो भी दावे किए गए, वह सभी हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं.
बता दें कि करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से यूपी के मेरठ में प्रदेश के छठवें STPI (सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया) की स्थापना हुई थी. तकनीकी के क्षेत्र में अब देशभर में मेरठ भी देश की डिजिटल सोसाइटी में जुड़ जाएगा. कुछ इसी तरह की बातें तब नेता व मंत्री तक कर रहे थे. दरअसल, मेरठ के बाईपास स्थित वेदव्यासपुरी के नजदीक में आईटी पार्क का उद्घाटन जब हुआ था, तब तमाम दावे भी किए गए थे कि यह संयंत्र युवा तकनीकी-उद्यमियों और स्टार्टअप्स के बीच एक निर्माता संस्कृति विकसित करने के लिए एक जीवंत इको-सिस्टम तैयार करेगा. इतना ही नहीं तब यह भी प्रचारित किया गया था कि यह आईटी पार्क भारत और विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए नवीन सॉफ्टवेयर उत्पादों को विकसित करने के लिए सशक्त बनाएगा.
आईटी निर्यात को बढ़ावा देने और क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद करेगा. लेकिन, ऐसा कुछ यहां नहीं हो पाया. 13 महीने हो चुके STPI में सिर्फ दो ही आईटी की नई कम्पनियां वहां पहुंच पाई हैं. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यमंत्री राजपाल सिंह कहते हैं कि मेरठ में पिछले साल विधानसभा चुनाव हुए उससे पहले दिसंबर 21 में करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से STPI का उद्घाटन करके सिर्फ अपना प्रचार ही सत्ताधारी दल ने किया. वह कहते हैं कि यही वजह है कि जो कोशिशें होनी चाहिए थीं, वह यहां हुई ही नहीं.
इस बारे में उपायुक्त उद्योग दीपेंद्र कुमार बताते हैं कि हाल फिलहाल में जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के साथ उन्होंने दौरा भी किया था. वह कहते हैं कि मेरठ STPI को प्रमोट करने की आवश्यकता है. अभी सिर्फ दो नई कंपनियां ही वहां हैं, जबकि वहां की व्यवस्थाओं की बात करें तो अत्याधुनिक सुविधाओं से वह लैस है. उपायुक्त उद्योग दीपेंद्र कहते हैं कि अगर वहां कोई इंडिविजुअल यंग भी कोई कार्य करना चाहता है तो stpi स्पेस उपलब्ध करा सकती है. इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ही सुपर क्वालिटी का वहां पर है. कई ऑफिस वहां स्थापित हो सकते हैं.
मेरठ का आईटी पार्क
गौरतलब है कि मेरठ का आईटी पार्क कुल 25 हजार 74 वर्ग फुट में तैयार किया गया है. 3,704 वर्ग फुट में 133 सीटों के साथ प्लग-एन-प्ले स्पेस, 2,021 वर्ग फुट में रॉ इन्क्यूबेशन का स्थान है, जोकि हाई स्पीड डेटा संचार सुविधाओं से लैस है. कंपनी का दावा है कि वर्ष 2021 में एसटीपीआई की रजिस्टर्ड यूनिट्स ने आईटी/आईटीईएस निर्यात में 4,96,313 करोड़ रुपये का योगदान दिया था. इसमें उत्तर प्रदेश ने 22,671 करोड़ का योगदान दिया था. मेरठ से पहले सिर्फ लखनऊ, कानपुर, नोएडा और प्रयागराज में ही आईटी पार्क हुआ करते थे.
मेरठ में जब इस आईटी पार्क की स्थापना की गई तब इसके लाभ भी झूब गिनाए गए थे. माना गया था कि दिल्ली मेरठ के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के चलते यहां आईटी क्षेत्र की कंपनियां तेजी से आएंगी और डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा. आईटी एक्सपर्ट्स यहां से नई-नई तकनीक ईजाद करेंगे. आईटी का बड़ा हब मेरठ आने वाले समय में बन सकेगा. लेकिन, ऐसा होता यहां दिखाई नहीं देता.
यह था उद्देश्य
इस क्षेत्र से आईटी सॉफ्टवेयर और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार सकल राष्ट्रीय निर्यात में योगदान करना, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) और इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (ईएचटीपी) योजना के तहत वैधानिक सेवाएं प्रदान करना, अत्याधुनिक इनक्यूबेशन संयंत्र, उच्च गति डेटा संचार (एचएसडीसी) और अन्य मूल्य-वर्धित सेवाएं प्रदान करना, नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए आईपीआर का सृजन और उत्पाद विकास करना, स्टार्ट-अप को मार्गदर्शन और प्रचार संबंधी सहायता देना.
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