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मेरठ : बिना इलाज के मेडिकल कॉलेज में घंटों तड़पता रहा घायल बच्चा - पटाखे से जला बच्चे का हाथ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के दावे कर रही है. वहीं मेरठ मेडिकल कॉलेज सरकार के दावों की पोल खोल रहा है. शनिवार को मेरठ मेडिकल कॉलेज में एक ऐसा मामला आया, जिसे देखकर सभी का दिल पसीज गया, लेकिन मेडिकल स्टाफ पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

फर्श पर तड़पता बच्चा.
फर्श पर तड़पता बच्चा.
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Published : Nov 29, 2020, 4:40 AM IST

मेरठ : मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. 10 साल का मासूम जख्मी हालत में अपने परिजनों के साथ नंगे पैर ठंडे फर्श पर घंटों तड़पता रहा. इस दौरान उसके परिजन हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर खड़े रहे. स्वास्थ्य कर्मियों ने जख्मी हालत में मासूम बच्चे को भर्ती करना तो दूर उसको स्ट्रेचर उपलब्ध कराना भी जरूरी नहीं समझा.

मासूम बच्चा दर्द के मारे तड़पता रहा और परिजन स्वास्थ्य कर्मियों के हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. उधर कॉलेज के प्रिंसिपल मामले का संज्ञान लेकर लापरवाही बरतने वाले स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

पटाखे से जला बच्चे का हाथ
थाना किठौर इलाके के बरला गांव में पटाखा चलाते वक्त 10 साल के बच्चे के साथ दर्दनाक हादसा हो गया. अचानक पटाखा चलने से बच्चे का हाथ फट गया. दो उंगलियां जड़ से उखड़ कर अलग हो गईं. घायल अवस्था में परिजन बच्चे को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे, जहां डॉक्टर ने इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी. बच्चे के हाथ की मरहम पट्टी कर एक्सरे कराने के लिए छोड़ दिया, जिसके बाद परिजन बच्चे को लेकर एक्सरे रूम के बाहर घंटों तक जमीन पर बैठे रहे.

ठंडे फर्स पर बैठा रहा मासूम
मरहम पट्टी के बाद बच्चा एक्सरे कराने के लिए हड्डी वार्ड पहुंचा, जहां उसके हाथ का एक्सरे किया जाना था. ठंड के मौसम में मासूम बच्चा जमीन पर घंटों तक बैठा रहा. बच्चे की बेबस मां हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर खड़ी रही. बच्चा न सिर्फ ठंड से कांप रहा था बल्कि दर्द के मारे कराह रहा था. बच्चे के पैरों में जूते चप्पल भी नहीं थे. शायद जल्दी इलाज के लिए परिजन जूते पहनाना भूल गए.

मेडिकल स्टाफ का नहीं पसीजा दिल
मासूम बच्चा जमीन पर ठंड और दर्द से परेशान हो रहा था, लेकिन मेडिकल स्टाफ का दिल नहीं पसीजा. ठंडे फर्श पर तड़पते बच्चे को इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों और वार्ड ब्वाय ने बच्चे को भर्ती करना तो दूर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर तक भी उपलब्ध नहीं कराया. बच्चे के परिजन डॉक्टरों के हाथ पांव जोड़ कर खुशामद करते रहे. बच्चे के दर्द को देखकर हर किसी का दिल पसीज रहा था लेकिन डॉक्टरों को कोई फर्क नहीं पड़ा.

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद किया भर्ती
मेडिकल कॉलेज में जमीन पर नंगे पैर दर्द से रोते बिलखते बच्चे के दर्द को मीडिया कर्मियों ने साझा किया और प्रिंसिपल को फोन पर लापरवाही की सूचना दी. इसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने आनन-फानन में बच्चे को भर्ती कर लिया. साथ ही बच्चे के हाथ का एक्सरे भी किया गया और अच्छे से मरहम पट्टी कर इलाज भी किया गया.

इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही का मामला संज्ञान में आया है. सबसे पहले बच्चे को भर्ती कर इलाज के निर्देश दिए हैं. बच्चे को भर्ती कर लिया गया है. पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच में दोषी पाए जाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार, प्रिंसिपल

मेरठ : मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. 10 साल का मासूम जख्मी हालत में अपने परिजनों के साथ नंगे पैर ठंडे फर्श पर घंटों तड़पता रहा. इस दौरान उसके परिजन हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर खड़े रहे. स्वास्थ्य कर्मियों ने जख्मी हालत में मासूम बच्चे को भर्ती करना तो दूर उसको स्ट्रेचर उपलब्ध कराना भी जरूरी नहीं समझा.

मासूम बच्चा दर्द के मारे तड़पता रहा और परिजन स्वास्थ्य कर्मियों के हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. उधर कॉलेज के प्रिंसिपल मामले का संज्ञान लेकर लापरवाही बरतने वाले स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

पटाखे से जला बच्चे का हाथ
थाना किठौर इलाके के बरला गांव में पटाखा चलाते वक्त 10 साल के बच्चे के साथ दर्दनाक हादसा हो गया. अचानक पटाखा चलने से बच्चे का हाथ फट गया. दो उंगलियां जड़ से उखड़ कर अलग हो गईं. घायल अवस्था में परिजन बच्चे को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे, जहां डॉक्टर ने इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी. बच्चे के हाथ की मरहम पट्टी कर एक्सरे कराने के लिए छोड़ दिया, जिसके बाद परिजन बच्चे को लेकर एक्सरे रूम के बाहर घंटों तक जमीन पर बैठे रहे.

ठंडे फर्स पर बैठा रहा मासूम
मरहम पट्टी के बाद बच्चा एक्सरे कराने के लिए हड्डी वार्ड पहुंचा, जहां उसके हाथ का एक्सरे किया जाना था. ठंड के मौसम में मासूम बच्चा जमीन पर घंटों तक बैठा रहा. बच्चे की बेबस मां हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर खड़ी रही. बच्चा न सिर्फ ठंड से कांप रहा था बल्कि दर्द के मारे कराह रहा था. बच्चे के पैरों में जूते चप्पल भी नहीं थे. शायद जल्दी इलाज के लिए परिजन जूते पहनाना भूल गए.

मेडिकल स्टाफ का नहीं पसीजा दिल
मासूम बच्चा जमीन पर ठंड और दर्द से परेशान हो रहा था, लेकिन मेडिकल स्टाफ का दिल नहीं पसीजा. ठंडे फर्श पर तड़पते बच्चे को इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों और वार्ड ब्वाय ने बच्चे को भर्ती करना तो दूर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर तक भी उपलब्ध नहीं कराया. बच्चे के परिजन डॉक्टरों के हाथ पांव जोड़ कर खुशामद करते रहे. बच्चे के दर्द को देखकर हर किसी का दिल पसीज रहा था लेकिन डॉक्टरों को कोई फर्क नहीं पड़ा.

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद किया भर्ती
मेडिकल कॉलेज में जमीन पर नंगे पैर दर्द से रोते बिलखते बच्चे के दर्द को मीडिया कर्मियों ने साझा किया और प्रिंसिपल को फोन पर लापरवाही की सूचना दी. इसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने आनन-फानन में बच्चे को भर्ती कर लिया. साथ ही बच्चे के हाथ का एक्सरे भी किया गया और अच्छे से मरहम पट्टी कर इलाज भी किया गया.

इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही का मामला संज्ञान में आया है. सबसे पहले बच्चे को भर्ती कर इलाज के निर्देश दिए हैं. बच्चे को भर्ती कर लिया गया है. पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच में दोषी पाए जाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार, प्रिंसिपल

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