लखनऊ: प्रदेश में मलेरिया और फाइलेरिया निरीक्षकों को गलत ग्रेड पे लंबे समय से दी जा रही हैं. इस गोरखधंधे को मुख्य संप्रेक्षा अधिकारी भी पकड़ चुके हैं. कई निरीक्षकों से वसूली का आदेश भी हो चुका है. एक-एक निरीक्षक से चार से पांच लाख रुपये तक की वसूली के आदेश हुए हैं.
स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक मलेरिया एवं वीबीडी (वेक्टर बॉर्न डिजीज) कार्यालय के अधीन कार्यरत कर्मियों के ग्रेड पे में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. विभागीय अधिकारी और कार्मिकों की मिलीभगत से हर साल लाखों रुपये का अतिरिक्त भुगतान हो रहा है. खास बात यह है कि ऑडिट की रिपोर्ट में भी यह मामला पकड़ में आया है. इसके बाद भी विभागीय अफसर गलत ग्रेड पे देने से बाज नहीं आ रहे हैं.
दूसरी तरफ जिन निरीक्षकों का मामला पकड़ में आ रहा है, उनके खिलाफ वसूली का आदेश भी जारी किया गया हैं. ऐसे में वे अपने समकक्ष निरीक्षकों के ग्रेड पे का हवाला देकर वसूली से बचने के लिए कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं.
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संप्रेक्षा रिपोर्ट में हुआ वसूली का आदेश: चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक कार्यालय के मुख्य संप्रेक्षा अधिकारी डॉ. ने 12 जुलाई 2024 को कई निरीक्षकों को गलत ग्रेड पे दिए जाने का मामला पकड़ा था. तत्कालीन महानिदेशक ने प्रयागराज के मुख्य चिकित्साधिकारी से वसूली का आदेश दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया निरीक्षक संतोष कुमार सिंह की नियुक्ति 30 नवंबर 1999 को हुई. इन्हें 10 वर्ष बाद 2400 के बजाय 2800 ग्रेड पे दे दिया गया. ऐसे में इन्हें 5.74 लाख का अतिरिक्त भुगतान हुआ, जिसकी वेतन से कटौती के आदेश दिए गए.
इसी तरह मयंक त्रिपाठी से 2.04 लाख, सुदीप राज सिंह से 4.03 लाख की वसूली आदेश दिया गया है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धनराशि कटौती की गणना दिसंबर 2023 के आधार पर की गई है. आगे के वेतन से अतिरिक्त कटौती और ग्रेड पे संशोधित करने का आदेश भी दिया गया है. वहीं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. बृजेश राठौर ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच चल रही है. इसके लिए कमेटी गठित की जाएगी. और वह इसकी पूरी जांच करेगी. दोषी होने पर दोषियों को सजा भी मिलेगी.